लखनऊ: जरा दो किलो दाल देना, भाई किसमें लेकर जाएंगे, कोई झोला लाए हैं, नहीं भाई कोई झोला तो नहीं है। दुकानदार ने तेज आवाज लगाई छोटू जरा अंदर से पॉलीथिन लेते आओ। भईया क्या बताएं जब से सरकार ने पॉलीथिन पर रोक लगा दी, थोड़ा ध्यान रखना पड़ता है। ये नज़ारा लखनऊ में आम है।
सदर बाजार से लेकर अमीनाबाद तक हर जगह आपको यही नजारा देखने को मिलेगा। पर्यावरण के प्रति हानिकारक प्रभावों को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने पॉलीथिन को यूपी में प्रतिबंधित तो कर दिया लेकिन अभी भी सफलता कोसों दूर है।
newztrack.com की टीम ने जब यूपी में पॉलिथीन पर लगी रोक की हकीकत जानने निकली तो पाया कि सरकार पॉलीथिन पर रोक लगा पाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है।
मजबूरी है पॉलीथिन देना
-दुकानदारों का कहना है कि ग्राहक जब दुकान पर आता है तो किसी प्रकार की थैली या पेपर बैग अपने साथ नहीं लाता है।
-ऐसे में अगर हम उसे सामान नहीं देंगे तो हमारी दुकानदारी ही खराब होगी।
-उससे बचने के लिए हम उन्हें पॉलिथीन दे देते हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
-इस बारे में पूछने पर नगर आयुक्त उदयराज ने बताया कि इस काम के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी है और फूड डिपार्टमेंट भी।
-साथ ही नगर निगम की टीम भी काम करती है।
-इससे जुड़े जो भी अधिकारी हैं वो समय-समय पर अभियान चलाकर कार्रवाई करते हैं।
-एक्ट में पॉलीथिन का प्रयोग करते पकड़े जाने पर उसे जब्त करने का प्रावधान है, कार्रवाई का नहीं।
क्या हैं नियम
-पॉलिथीन के प्रयोग पर पहली बार दोषी पाए जाने पर अधिनियम की धारा-3 के तहत 500 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।
-वहीं दूसरी बार पॉलीथिन बेचने अथवा गंदगी करने पर धारा 8(2) के तहत एक महीने की सजा अथवा 2000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है।
-साथ ही भंडारण करने पर धारा-7 के तहत पहली बार पकड़े जाने पर एक माह का कारावास और 5000 रुपए का जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है।
-दूसरी बार पकड़े जाने पर छह महीने का कारवास या 6000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है।