68500 सहायक अध्यापक भर्ती : प्रदेश के बाहर के चयनित अभ्यर्थियों को राहत
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में पिछले पांच वर्षाें से प्रदेश का निवासी होने की अनिवार्यता के 8 अगस्त 18 के शासनादेश के उपखण्ड दो को असंवैधानिक घोषित कर दिया है और दूसरे प्रदेशों के चयनित निवासियों की नियुक्ति के लिए काउंसिलिंग कराने का निर्देश दिया है।
प्रयागराज : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में पिछले पांच वर्षाें से प्रदेश का निवासी होने की अनिवार्यता के 8 अगस्त 18 के शासनादेश के उपखण्ड दो को असंवैधानिक घोषित कर दिया है और दूसरे प्रदेशों के चयनित निवासियों की नियुक्ति के लिए काउंसिलिंग कराने का निर्देश दिया है। दूसरे प्रदेशों के उन अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिली है जिन्हें पांच वर्षाें तक प्रदेश में निवास न करने के आधार पर नियुक्ति देने से इंकार कर दिया गया था।
कोर्ट ने ऐसे अभ्यर्थियों को उ.प्र. बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली 1981 के तहत सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के योग्य करार दिया है। कोर्ट ने बोर्ड व परीक्षा नियामक प्राधिकारी को अन्य प्रदेशों सहित प्रदेश के दो अखबारों व वेबसाइट पर इसकी सूचना प्रकाशित करने व अपलोड करने का निर्देश दिया है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने हरियाणा दिल्ली निवासी मनीष व अन्य सहित दर्जनों याचिकाओं को मंजूर करते हुए दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एन.त्रिपाठी, राघवेन्द्र मिश्र व अरविन्द कुमार मिश्र ने बहस की। कोर्ट ने चयनित प्रदेश के बाहर के अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग कराकर मेरिट लिस्ट से नियुक्ति का निर्देश दिया है।
याची अधिवक्ता का कहना था कि अनुच्छेद 16 (3) के तहत धर्म, वर्ण, जाति, स्थान निवास के आधार पर नियुक्ति में विभेद करने पर रोक है। इस संबंध में कानून बनाने का अधिकार संसद को है। राज्य सरकार को ऐसा नियम बनाने का क्षेत्राधिकार नहीं है जिससे निवास के आधार पर नियुक्ति में भेद किया जाए। सेवा नियमावली 1981 में सभी नागरिकों को नौकरी के अवसर का जिक्र है। साथ ही विज्ञापन में यह शर्त नहीं थी। आवेदन तिथि से पांच वर्षाें से प्रदेश का निवासी होने की शर्त कानून व संविधान के खिलाफ हैं उसे रद्द किया जाए।
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कोर्ट ने कहा कि 68500 की भर्ती में 41556 की नियुक्ति के बाद 27 हजार पद खाली बचे हैं। प्रदेश के बाहर के चयनित निवासियों से इन्हें भरा जाए। निवास के आधार पर भर्ती से बाहर करना असंवैधानिक है।