लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लखीमपुर खीरी में 2011 मे निघासन थाने में रेप के बाद हत्या कर 14 वर्षीय लड़की की लाश को थाने परिसर में ही पेड़ से लटकाने वाले एक कांस्टबिल को बचाने की कोशिश करने वाले तत्कालीन डीएसपी इनायतुल्लाह खान को रेगुलर पेंशन व उनकी ग्रेजुटी दिलाने से इंकार कर दिया है।
इस केस में खान के खिलाफ सीबीआई ने 29 मार्च 2013 को आरेापपत्र दाखिल किया था जिसमें खान पर कांस्टेबिल अतीक अहमद को बचाने का आरेाप लगा है। मामला कोर्ट में अभी विचाराधीन है।
कोर्ट ने कहा कि सिविल सर्विस रेग्युलेशन के तहत यदि कर्मचारी के खिलाफ न्यायिक प्रकिया लंबित है तो उसे प्राविजनल पेंशन तो दी जा सकती है परंतु नियमित पेंशन नहीं और न ही वह व्यक्ति प्रकिया लंबित रहने तक ग्रेजुटी पाने का ही हकदार है। कोर्ट ने इलायतुल्लाह की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी।
यह आदेश जस्टिस डीके अरोड़ा व जस्टिस रजनीश कुमार की बेंच ने खान की याचिका पर पारित किया। याची 31 दिसंबर 2014 को सेवानिवृत्त हुआ था। उसने पुलिस हेडक्वार्टर के डायरेक्टर फाइंनेस द्वारा पारित 2 सितंबर 2014 के उस आदेश केा चुनौती दी थी जिससे खान को प्राविजनल पेंशन तो दे दी गयी परंतु उन्हें रेगुलन पेंशन व ग्रेजुटी देने से यह कहकर इंकार कर दिया गया था कि उनके खिलाफ कोर्ट में केस चल रहा है। हाई कोर्ट ने डायरेक्टर फाइनेंस के आदेश केा ठीक माना और याचिका खारिज कर दी।