ओ तेरी! योगी की महिला मंत्री ने कर दिया कांड तो सामने आया हाईकोर्ट

Update: 2017-10-09 16:04 GMT

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने महिला एंव बाल कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी के दबाव में पार्क की जमीन बताकर एक महिला की जमीन को कथित रूप से खाली कराने के मामले में नगर निगम व सम्बंधित सरकारी विभागों को निर्देश दिया है कि कोई भी कार्रवाई पार्क का सीमांकन करने व पक्षों को नोटिस देने के बाद ही की जाए।

यह आदेश जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस आरएस चैहान की बेंच ने सरिता पांडेय की याचिका पर दी।

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याचिका के अनुसार मंत्री रीता बहुगुणा जोशी के दबाव में याची की पुस्तैनी जमीन को पार्क की जमीन बताकर उसके खिलाफ गलत कार्र्वाई की जा रही है। इस सम्बंध में 16 सितंबर को एक आदेश भी पारित किया गया जिसमें मोतीलाल नेहरू नगर वार्ड के नेहरू नगर कॉलोनी के पार्क में अवैध कब्जे को हटाने का निर्देश दिया गया।

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याची की ओर से दलील दी गयी कि पुस्तैनी जमीन को पार्क की जमीन बताकर पार्क की जमीन के वास्तविक अतिक्रमणकारियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यदि पार्क की जमीन पर अवैध कब्जा है तो यह सम्बंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे ऐसे कब्जे को हटाएं। हालांकि इसके पूर्व सम्बंधित पक्षकारों को नोटिस दिया जाना और पार्क का डिमार्केशन करना आवश्यक है। कोर्ट ने कहा कि लिहाजा याची को नोटिस देने के पश्चात उसकी मौजूदगी में पार्क का डिमार्केशन किया जाए और यदि अतिक्रमण हो तो उसे हटाया जाए। कोर्ट ने इस सम्बंध में सिविल कोर्ट द्वारा दिए आदेश को भी ध्यान में रखने का निर्देश दिया है।

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