नोएडा: स्पोर्टस सिटी के लिए आवंटित जमीन, चार बिल्डरों पर 3911 करोड़ का बकाया
कॉमनवेल्थ की तर्ज स्पोर्टस सिटी को 346 हेक्टेयर में बसाया जाना था। 2014 से 2016 तक चार बड़े बिल्डरों को जमीन आवंटित की गई। थर्ड पार्टी इंट्रेस्ट बढ़ा और बिल्डरों ने आवंटित चार बड़े भूखंडों को 74 उप विभाजित भूखंडों में 61 अन्य बिल्डरों को बेच दिया।
नोएडा: कॉमनवेल्थ की तर्ज स्पोर्ट्स सिटी को 346 हेक्टेयर में बसाया जाना था। 2014 से 2016 तक चार बड़े बिल्डरों को जमीन आवंटित की गई। थर्ड पार्टी इंट्रेस्ट बढ़ा और बिल्डरों ने आवंटित चार बड़े भूखंडों को 74 उप विभाजित भूखंडों में 61 अन्य बिल्डरों को बेच दिया। विभिन्न मदों में चार मुख्य बिल्डरों पर 3911.07 करोड़ रुपए का बकाया है। यह बकाया 31 जुलाई 2020 तक किए गए आकलन के अनुसार है।
योजना को टट्रैक पर लाने की कोशिश
परियोजना का न बन पाना और प्राधिकरण की आर्थिक स्थिति खराब होने में इसका अहम रोल भी सामने आ गया है। बहराल प्राधिकरण योजना को ट्रेक पर लाने का प्रयास कर रही है। प्राधिकरण के अनुसार स्पोर्टस सिटी के सेक्टर-78, 79 व 101 में थ्री सी ग्रीन डेवलपर्स प्रा.लि. को 7 लाख 27 हजार 500 वर्गमीटर क्षेत्रफल आवंटित किया गया।
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बिल्डर ने इस भूखंड को 16 उप विभाजित खंड किए। जिसे 12 बिल्डर कंपनियों को बेच दिया। इसमे एक कंपनी को एक से अधिक दो या तीन भूखंड की भी सबलीज की। इस तरह थ्री सी व सब बिल्डर कंपनियों को मिलाकर इन पर 401.01 करोड़ का बकाया जुलाई 2020 तक है। इसी तरह सेक्टर-150 में एससी 01 भूखंड लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स को 8 लाख वर्गमीटर जमीन आवंटित की।
24 बिल्डर कंपनियों के नाम सब लीज
लॉजिक्स ने इस भूखंड के 24 उप भूखंड किए और 24 बिल्डर कंपनियों के नाम सब लीज कर दी। इस तरह लॉजिक्स पर कुल 1685.74 करोड़ रुपए का बकाया जुलाई 2020 तक है। थ्री सी ग्रीन डेवलपर्स स्पोर्टस सिटी प्रा. लि. को एससी-02 सेक्टर-15o में 12 लाख वर्गमीटर जमीन आवंटित की। उसने 24 उप विभाजित भूखंड कर 17 बिल्डर कंपनी को सब लीज की। बिल्डर कंपनी पर 1215.14 करोड़ रुपए का बकाया है।
वहीं, एटीएस होम्स प्रा.लि. को एससी 01 सेक्टर-152 में 5 लाख 3 हजार वर्गमीटर भूखंड आवंटित किया गया। बिल्डर ने 10 उपविभाजित भूखंड किए और नौ बिल्डर कंपनी के नाम सबलीज की। इन पर कुल 609.18 करोड़ रुपए का बकाया है। इस तरह स्पोर्टस सिटी के नाम पर मुख्य बिल्डरों ने जमकर अपनी जेब भरी। स्पोर्टस सिटी के नाम पर जमकर बुकिंग भी की गई। यह पैसा स्पोर्टस सिटी को विकसित करने के लिए खर्च नहीं किया। प्राधिकरण की और से मानिटरिंग भी नहीं की गई। जिसके चलते 12 साल बाद भी स्पोर्टस सिटी की योजना परवान नहीं चढ़ सकी। बहराल अब इस योजना को ट्रेक पर लाने का प्रायास किया जा रहा है।
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बकाया वापस खाते में लाना बड़ी चुनौती
प्राधिकरण की एक बड़ी चुनौती परियोजना को विकसित करने की है ही साथ ही बकाया रकम 3911.०7 करोड़ रुपए वापस अपने खाते में जमा कराने की भी है। प्राधिकरण की कई परियोजनाएं सिर्फ फंड की कमी के चलते परवान नहीं चढ़ पा रही है। कास्ट काटिंग भी की जा रही है।
रिपोर्ट: दीपांकर जैन