सहारनपुर : जिला प्रशासन का फरमान- गौवंश आवारा छोड़ा तो लगेगा जुर्माना

सहारनपुर की सड़कों पर आवारा और खुला घुमने वाले गौवंश को लेकर यहां के जिला प्रशासन ने सख्ती दिखाई है। डीएम आलोक कुमार ने आदेश दिए हैं कि अपने गौवंश को आवारा और खुला छोड़ने वाले पशु पालकों को चिन्हित किया जाए और उन पर जुर्माना लगाया जाए।

Update:2019-01-05 20:34 IST

सहारनपुर: सहारनपुर की सड़कों पर आवारा और खुला घुमने वाले गौवंश को लेकर यहां के जिला प्रशासन ने सख्ती दिखाई है। डीएम आलोक कुमार ने आदेश दिए हैं कि अपने गौवंश को आवारा और खुला छोड़ने वाले पशु पालकों को चिन्हित किया जाए और उन पर जुर्माना लगाया जाए। इसी के साथ उन्होंने जनपद में अस्थायी गौवंश आश्रय स्थल की स्थापना किए जाने की जानकारी भी दी है।

शनिवार की दोपहर बाद कलेक्ट्रट सभागार में आयोजित बैठक के दौरान जिलाधिकारी आलोक कुमार पाण्डेय सभी नगर निकायों के ईओ, एसडीएम और बीडीओ को निर्देश दिये कि अपने क्षेत्रों के आवारा पशु को चिन्हित कर गौ मालिक पर जुर्माना लगांए। जिलाधिकारी ने उपस्थित अधिकारियों को निर्देशित किया कि जनपद में लगातार बढ रहे निराश्रित, बेसहारा गौवंश की संख्या में कमी किया जाना आवश्यक है। इसके लिये जनपद व समस्त ग्रामीण व शहरी स्थानीय निकायों में अस्थायी गौवंश आश्रय स्थल की स्थापना व संचालन किया जाना आवश्यक है।

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उन्होंने कहा कि अब यदि किसी किसान/पशु पालक द्वारा पशुओं को छोडा जाता है तो उचित कार्यवाही की जाएगी। उन्होने कहा कि अस्थायी गौवंश आश्रय स्थलों के संचालन व प्रबंधन को वित्तीय रूप से सवावलंबी बनाने हेतु कार्य किये जाएंगे। जिसके अन्र्तगत गौशाला के गोबर व गौमूत्र से बने खाद व कीटनाशक के विक्रय गोबर से बने गमलों के विक्रय, गोबर एवं गौमूत्र आधारित जैविक कृषि एवं बागवानी आदि द्वारा भी गौवंश आश्रय स्थलों का सवावलंबी बनाया जाएगा।

अस्थायी गौवंश आश्रय स्थलों की स्थापना, क्रियान्वयन संचालन व प्रबन्ध हेतु विकास खण्ड स्तरीय कमैटी गठित की जाएगी। जिसमें बीडीओ को अध्यक्ष, पशु चिकित्साधिकारी को उपाध्यक्ष के अलावा ग्राम प्रधान, पशुधन प्रसार अधिकारी, वन विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी, सहायक विकास अधिकारी कृषि, राजस्व निरीक्षक को सदस्य के अलावा ग्राम पंचायत अधिकारी को सदस्य सचिव नामित किया जाएगा। इसी क्रम में मण्डल, जनपद व तहसील स्तरीय समिति का भी गठन होगा।

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उन्होंने जनपद में संचालित गौशालाओं पर भी जोर दिया, कहा कि गौशाला के रखरखाव के लिये कम से कम दो मजदूर होने चाहिए। और कम से कम हर ब्लाॅक में एक गौशाला का निर्माण होना आवश्यक है। गौवंश आश्रम स्थल निर्माण में सभी विभाग अपने अपने कार्यों को सुनिश्चित करें। किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कम से कम 11 सौलर पम्पों की व्यव्स्था करेंगे। इस हेतु सर्वप्रथम कमैटी का निर्माण करा लें। सरकारी जमीन चिन्हित कर अवगत करा दें। तत्पश्चात् कन्सलटैन्ट विभाग को क्या करना है अवगत करा दें।

गौमूत्र से बनने वाले उत्पादों का निर्माण करें। तथा ट्रस्ट व ग्राम प्रधान को जागरुक करने का प्रयास करें। गांव में निराश्रित गाय व बैल खेतों में जाकर नुकसान करते है तथा अधिकारियों को चेतावनी दी कि जो अधिकारी जिस क्षेत्र के अंतर्गत आता है शिकायत आने पर उस क्षेत्र के अधिकारी पर कार्यवाही की जाएगी। तथा पशु चिकित्सा अधिकारी प्राईवेट संस्थाओं को भी इस कार्य में शामिल करें।

एसडीएम, बीडीओ तथा संबन्धित अधिकारियों को पशु जनगणना की जानकारी दें। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी रेनू तिवारी, एडीएम ई एसके दूबे, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी वाईपी सिंह तथा सभी निकायों के ईओ, एसडीएम, बीडीओ तथा संबन्धित विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।

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