Rabindranath Play: ’’सजा काबलीवाला और भिखारिन‘‘ नाटक देख दर्शकों को उत्तराखंड की संस्कृति और पहाड़ के कठिन जीवन की आई याद

Rabindranath Play: रवीन्द्रनाथ टैगोर की कहानियों पर आधारित नाटको में उत्तराखंड की संस्कृति और पहाड़ी जीवन को भलिभांति दर्शाया गया है। बंगाल की कहानियों को उत्तराखंड की संस्कृति से श्रृंगार किया गया।

Update: 2023-03-31 23:13 GMT
Saja Kabaliwala and Bhikharin Drama Release at Ravindralay

Rabindranath Play: उत्तराखण्ड महापरिषद के रंग मण्डल द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से उत्तराखण्ड महापरिषद के स्थापना दिवस पर रंगमण्डल के कलाकारों द्वारा नाटक पेश किया गया। कलाकारों ने अपने मनमोहक प्रस्तुति से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। दर्शकों ने भी कलाकारों की जमकर तारीफ की।

रवीन्द्रनाथ टैगोरे के नाटकों का किया मंचन

नाटक रवीन्द्र नाथ टैगोर की लोकप्रिय कहानियों पर आधारित ’’सजा काबलीवाला और भिखारिन‘‘ का मंचन संत गाडगे महाराज प्रेक्षागृह, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में मंचन किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि

नाटक के मंचन में मुख्य अतिथि के तौर पर राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार दया शंकर मिश्रा ‘दयालू’, विशिष्ठ अतिथि प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश मेश्राम, कार्यक्रम की अध्यक्षता एमएलसी रामचन्द्र प्रधान ने की। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलन से हुई। कार्यक्रम का प्रारम्भ करते हुए दया शंकर मिश्र ने कहा कि इन नाटकों के माध्यम से सभी को एकजुट होने का मौका मिलता है। मोबाइल को छोड़कर इन कार्यक्रमों को देखकर सभी को अपनी संस्कृति के बारे में जानने का समय निकालना चाहिए।
मुकेश मेश्राम ने कहा कि नाटकों के मंचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आज की इस मोबाइल और इंटरनेट की दुनिया से सभी को दूर करने का प्रयास है। इन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मौजूद दर्शकों को एकजुट होकर अपनी संस्कृति, मिट्टी को जानने का मौका प्राप्त होगा।

नाटक का उद्देश्य

रविंद्रनाथ टैगोर की कहानियों पर आधारित नाटकों ने सभी दर्शकों को उत्तराखंड की संस्कृति और पहाड़ के कठिन जीवन को याद दिला दिया। उत्तराखंड के पहाड़ और कठिन परिश्रम वहाँ के स्थानीय लोगों को शान्त और सीधे व्यक्तित्व का बनाते हैं। उत्तराखंड की सुंदरता, संस्कृति इन नाटकों द्वारा भलीभांति दर्शायी गयी। सभी कहानियाँ समाज की सच्चाई को दर्शाती हैं। बंगाल पर आधारित कहानियों को उत्तराखंडी रूप से श्रृंगार किया गया है।

नाटक के मुख्य कलाकार

नाटक में मुख्य कलाकार के तौर पर ऋषभ मिश्रा सूत्रधार, शोभा-पूनम कनवाल, छेदाम-विजय सिंह बिष्ट, दुखीराम-धर्मेन्द्र सिंह, चन्द्र एवं सूत्रधार-कामना बिष्ट, राधा, सूत्रधार एवं भिखारिन - पिहू, श्रीवास्तव आदि ने नाटक का मंचन कर सभी दर्शकों को अपनी उत्तराखंडी संस्कृति याद दिला दी।

कार्यक्रम में हुए सम्मानित

नाटक में महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित ललित सिंह पोखरिया और आजादी का अमृत महोत्सव सम्मान से सम्मानित डा0 पूर्णिमा पाण्डेय को इस अवसर पर उत्तराखण्ड समाज की प्राचीन एवं शीर्ष संस्था उत्तराखण्ड महापरिषद द्वारा सम्मानित किया गया।

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