UP Politics: अखिलेश और आजम में बढ़ती दूरियां, क्या अखिलेश मुस्लिम मुद्दों की कर रहे हैं अनदेखी?
UP Politics: आजम खान ने एक बार फिर सपा मुखिया अखिलेश यादव से नाराज होने के संकेत दिए हैं। अखिलेश यादव और आजम खान के बीच बढ़ती सियासी दूरी को पार्टी में चर्चा का बिंदू बना दिया है।
UP Politics: समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) एक साथ कई सियासी संकटों में घिर गए हैं। विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी पराजय के बाद सपा मुखिया की वर्किंग को लेकर शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) सबसे पहले खफा हुए थे। इसके बाद सीतापुर जेल (Sitapur Jail) में बंद सपा के संस्थापक आजम खान (Azam Khan) ने अपनी नाराजगी का इजहार कर दिया। फिर भी अखिलेश यादव ने पार्टी के इन दोनों सीनियर नेताओं को मनाने का कोई प्रयास नहीं किया।
ऐसे में आजम खान ने रविवार को सीतापुर जेल में मिलने के लिए पहुंचे सपा विधायक रविदास से मिलने से मना कर दिया। लेकिन सोमवार को आजम खान ने सीतापुर जेल में मिलने पहुंचे कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम से मिल कर सपा मुखिया से नाराज होने का संकेत फिर से दे दिया। इस नये घटनाक्रम में अखिलेश यादव और आजम खान के बीच बढ़ती सियासी दूरी को पार्टी में चर्चा का बिंदू बना दिया है।
क्या आजम खान बना लेंगे सपा से दूरी
ऐसे में अब आजम खान के सपा से एक बार फिर बाहर जाने के दावे किये जाने लगे हैं। ऐसा दावा करने वाले सपा नेताओं का मत है कि जिस तरह से अखिलेश यादव पर मुस्लिम हितों की अनदेखी करने का इल्जाम लग रहा है, उससे अखिलेश यादव लगातार सवालों के घेरे में हैं। चूंकि विधानसभा के चुनाव में मुस्लिम समाज ने उनके लिए गोलबंद होकर वोट डाले, इसलिए वे चाहते हैं कि पार्टी के मुस्लिम नेताओं और मुस्लिम समाज से जुड़े मुद्दों पर अखिलेश यादव मुखर होकर बोलें। लेकिन वह हर मसले पर चुप्पी ही साधे हुए हैं।
इसके चलते ही आजम खां के करीबी समझे जाने वाले रामपुर के फसाहत अली खां ने अखिलेश यादव की वर्किंग पर सवाल करते हुए कहा कि वोट भी अब्दुल देगा और जेल भी अब्दुल ही जाएगा। यह कितने दिन चलेगा? इस बयान के बाद शिवपाल सिंह यादव सीतापुर जेल जाकर आजम खान से मिले और यह कह दिया कि आजम खां के लिए समाजवादी पार्टी को जिस मजबूती के साथ खड़ा होना चाहिए, वह नहीं खड़ी हुई।
इसके बाद भी सपा मुखिया अखिलेश यादव खामोश ही रहे। जबकि पार्टी के मुस्लिम नेताओं और समाज के लोगों की यह अपेक्षा थी वह कुछ बोलेंगे क्योंकि मुसलमान एवं यादव समाज के गठजोड़ ने ही अखिलेश यादव को यूपी की राजनीति में एक नई ऊंचाई दी है। ऐसे में पार्टी के मुस्लिम नेताओं को लगता है कि अखिलेश को भी खुलकर उनका साथ देना चाहिए। परन्तु बदली हुई राजनीति में अब अखिलेश यादव ऐसी तस्वीर बनने नहीं देना चाहते, जिसमें यह संदेश जाए कि समाजवादी पार्टी मुसलमानों की पार्टी है।
फूंक-फूंककर क़दम उठा रहे अखिलेश यादव
अखिलेश का मत है कि समाजवादी पार्टी पर यादव और मुसलमानों की पार्टी होने का ठप्पा अब उन्हें नुकसान पहुंचा रहा है। वह यादव और मुसलमानों से आगे बढ़कर अपनी पार्टी के वोट बैंक को और विस्तार देना चाहते हैं। हालांकि अभी तक उन्हें इसमें कामयाबी नहीं मिली। इसलिए वह बहुत फूंक-फूंककर क़दम उठा रहे हैं। अखिलेश के इस रुख से आजम खान आहत हुए हैं और वह भी अब सपा में रहने को लेकर मंथन करने लगे हैं। ऐसे में अब आजम और अखिलेश में दूरियां बढ़ती जा रही हैं।
पार्टी नेताओं का कहना है कि अगर अखिलेश यादव से खफा पार्टी के सीनियर नेता आजम खान और शिवपाल सिंह मनाने की पहल अखिलेश यादव अथवा मुलायम सिंह के स्तर से नहीं हुई तो यह दोनों ही नेता सपा से एक बार फिर नाता तोड़ लेंगे। ऐसा होने पर पार्टी को इसका नुकसान झेलना पड़ेगा। इस लिए पार्टी के तमाम नेता चाहते हैं कि अखिलेश यादव जेल में बंद आजम खान को मनाने का प्रयास करें, लेकिन अभी तक अखिलेश इसके लिए तैयार नहीं हुए हैं।
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