SC का बड़ा फैसला: बाबरी विध्वंस के जज की सुरक्षा अवधि बढ़ाने से इनकार

बता दे कि बाबरी मस्जिद विध्वंस मामलें का ट्रायल करने वाले न्यायाधीश एसके यादव पिछले साल 30 सितंबर में ही सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सेवानिवृत्ति को आगे बढ़ाते हुए उनसे अप्रैल 2020 तक मामले की सुनवाई पूरी करके फैसला सुनाने को कहा था।

Update: 2020-11-02 09:28 GMT
SC का बड़ा फैसला: बाबरी विध्वंस के जज की सुरक्षा अवधि बढ़ाने से इनकार (Photo by social media)

लखनऊ: 28 साल पुराने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामलें में फैसला देने वाले न्यायाधीश एसके यादव की सुरक्षा बढ़ाने से सर्वोच्च न्यायालय ने इनकार कर दिया है। इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने ही उन्हे सुरक्षा प्रदान की थी और इसे उनके द्वारा निर्णय सुनाये जाने तक बहाल रखने को कहा था। बीती 30 सितंबर को न्यायाधीश एसके यादव ने इस मामलें में निर्णय सुनाया था। इसके साथ ही उनकी सुरक्षा की अवधि भी समाप्त हो गई थी। जिस पर सेवानिवृत्त हो चुके न्यायाधीश एसके यादव ने सर्वोच्च न्यायालय से सुरक्षा अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया था। जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज करते हुए सुरक्षा की अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया।

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न्यायाधीश एसके यादव पिछले साल 30 सितंबर में ही सेवानिवृत्त होने वाले थे

बता दे कि बाबरी मस्जिद विध्वंस मामलें का ट्रायल करने वाले न्यायाधीश एसके यादव पिछले साल 30 सितंबर में ही सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सेवानिवृत्ति को आगे बढ़ाते हुए उनसे अप्रैल 2020 तक मामले की सुनवाई पूरी करके फैसला सुनाने को कहा था। कार्यकाल बढ़ाने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने यूपी सरकार से जवाब मांगा था, जिसके जवाब में यूपी सरकार ने कहा था कि राज्य में किसी न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए न्यायालय अनुच्छेद 142 के अधिकार के तहत यह कर सकता है।

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इसके बाद शीर्ष अदालत ने फैसला आने तक कार्यकाल बढ़ाने का आदेश जारी किया था। इसी मामलें की सुनवाई में ट्रायल के दौरान न्यायाधीश एसके यादव ने सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल कर सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की थी, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने यूपी सरकार को उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए थे। इस हाई-प्रोफाइल मामलें में कुल 49 आरोपियों में से भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेताओं एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और कई अन्य नेता आरोपी थे। न्यायालय ने इस मामलें में सभी को बरी कर दिया था।

मनीष श्रीवास्तव

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