जज्बे को सलामः बैंकों में स्कूली बच्चे बने मिसाल, लाइन लगाने वालों की कर रहे हैं मदद
बागपतः भले ही सभी बैंकों के बाहर 1000 और 500 के नोट बदलने के लिए अफरा-तफरी मची हुई हो और अव्यस्थाएं हावी हों, लेकिन बागपत में स्कूली बच्चों की पहल एक अनोखी मिसाल कायम कर रही है। ये स्कूली बच्चे बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों का साथ भी दे रहें हैं और बैंक में आने वाले लोगों के फार्म भरने के साथ-साथ उन्हें टोकन भी दे रहें हैं।
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छोड़ो कल की बाते...कल की बात पुरानी...नए दौर में लिखेंगे...हम मिलकर नई कहानी...इस गाने की लाइनों को हकीकत में बदलने का काम बागपत के स्कूली बच्चों ने किया है। 1000 और 500 के नोट बदलने के लिए हजारों लोग बैंकों के बाहर कतारों में लगे हैं। कुछ को फार्म भरना नहीं आता और किसी को ये नहीं पता कि आखिर उनका नोट बदलने का नंबर कब आएगा, लेकिन इन बच्चों की मुहिम और मेहनत की बदौलत हर शख्स को ये पता है कि उसे किस समय बैंक आकर नोट बदलने हैं या फिर जमा करने है।
रविवार की छुट्टी होने के बाद जहां बच्चे मौज-मस्ती करते हैं, वहीं ग्रोवल पब्लिक स्कूल के बच्चे बड़ौत में एक्सिस बैंक कर्मचारियों और पब्लिक की परेशानी को दूर कर रहें हैं। बाकायदा लाइन में खड़े लोगों को टोकन दिए जा रहें हैं उनके ये बच्चे फार्म भी भर रहें हैं। बच्चों की इस मेहनत ने लोगों की परेशानी वाकई कम कर दी है।
सुबह जिस वक्त ये बच्चे स्कूल जाते हैं, उसी समय से बच्चे बड़ौत में इस बैंक के बाहर आकर व्यवस्था संभालने में जुट जाते हैं। कभी लोगों को कतारों में लगा रहें हैं तो कभी उनकी परेशानी को समझकर उसका समाधान भी कर रहें हैं। बच्चें 1000 और 500 के नोट के बंद करने के कदम को अपने भविष्य की बेहतरी के रूप में देख रहें हैं। बच्चों की इस मेहनत और लगन को लेकर जहां बैंक के अधिकारी काफी खुश हैं, वहीं ग्रोवल स्कूल के प्रिंसिपल भी बच्चों की इस मेहनत पर उनकी पीठ थपथपा रहें हैं।
बच्चे इस काम में जहां मिसाल कायम कर रहें हैं। वहां उन संगठनों पर भी उंगलियां उठ रहीं हैं कि जो जनता का हितैषी होने का दंभ भरते हैं, लेकिन जनता को जब उनकी मदद की जरूरत है, उस समय वो हाथ बांधें कहीं बैठें हैं।
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