Sonbhadra News: ओवरवर्डेन डंपिग से जुड़े मसलों पर एनजीटी ने मांगा जवाब, MOEF&CC सहित चार को नोटिस

Sonbhadra News: एनसीएल खड़िया की तरफ से नवा टोला से किए जाने वाले ओवरवर्डेन डंपिंग से जुड़े मामले को लेकर एक बार फिर से एनजीटी में सुनवाई शुरू हो गई है।;

Update:2025-01-09 20:01 IST

Sonbhadra NGT News  (Social Media) 

Sonbhadra News: एनसीएल खड़िया की तरफ से नवा टोला से किए जाने वाले ओवरवर्डेन डंपिंग से जुड़े मामले को लेकर एक बार फिर से एनजीटी में सुनवाई शुरू हो गई है। पूर्व में की गई सुनवाई के क्रम में, एनसीएल खड़िया पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में पांच करोड़ की पेनाल्टी लगाई गई थी जिसको लेकर प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। वहां से प्रकरण का निर्णय होने के बाद फिर से मामले में सुनवाई शुरू हो गई। प्रकरण शक्तिनगर क्षेत्र के 444 व्यक्तियों की तरफ से दी गई संयुक्त दरख्वास्त और एक राजनीतिक दल के नेता की तरफ से भेजे गए पत्र पर, न्यायाधिकरण की ओर से लिए गए स्वतः संज्ञान से जुड़ा है। मामले में दिए गए निर्देशों में किस तरह के उपचारात्मक उपाय अमल में लाए जा रहे हैं और सही मायने में पर्यावरण के क्षतिपूर्ति की क्या स्थिति हो सकती है? इसको लेकर एमओईएफएंडसीसी सहित चार को प्रकरण का पक्षकार नामित करते हुए, जवाब तलब किया गया है। अगली सुनवाई की तिथि 10 फरवरी 2025 मुकर्रर की गई है।

यह है मसला, जिसको लेकर की जा रही सुनवाई:

प्रकरण शक्तिनगर थाना क्षेत्र के खड़िया एरिया में नवाटोला बस्ती के पास, एनसीएल की तरफ से ओवरवर्डेन के डंपिंग से जुड़ा हुआ है। एनजीटी को भेजे गए पत्र में स्थानीय रहवासियों की तरफ से कहा गया है कि आवासीय क्षेत्र से महज 40 मीटर की दूरी पर ओवरबर्डन डंपिंग के कारण वायु प्रदूषण की समस्या दिन ब दिन गंभीर होती जा रही है। जल प्रदूषण की भी समस्या गहराने की शिकायत करते हुए, इसका लोगों के स्वास्थ्य पर काफी खराब असर प़ड़ने का दावा किया गया है।

वर्ष 2021 में एनजीटी के पास पहुंचा था यह मामला

स्बसे पहले यह प्रकरण एनजीटी के संज्ञान में वर्ष 2021 में लाया गया था। 444 व्यक्तियों के हस्ताक्षरयुक्त पत्र का संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने केंद्रीय-राज्य प्रदूषण नियंत्रण और जिला प्रशासन से संयुक्त रिपोर्ट तलब की थी। ओवरसाइट कमेटी के जरिए भी जरूरी जानकारी ली गई। इसके क्रम में जहां एनसीएल के खड़िया कोल प्रोजेक्ट को कई उपचारात्मक कार्य करने के निर्देश दिए गए। वहीं, पर्यावरण मानकों के उल्लंघन के मामले में क्षतिपूर्ति के रूप में पांच करोड की पेनाल्टी अदा करने के लिए कहा गया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहाः सभी पक्षों की सुनकर लें क्षतिपूर्ति का निर्णय

लगाई गई पेनाल्टी को लेकर एनसीएल की तरफ से वर्ष 2023 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिसे गत 19 अप्रैल 2024 को अंतिम रूप से निर्णित करते हुए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि पिछले उल्लंघनों के लिए 5 करोड़ रुपये का पर्यावरण मुआवजा लगाया जाना उचित नहीं है। हालांकि न्यायाधिकरण मामले की निगरानी करना जारी रखेगा और पर्यावरण मुआवजा लगाने के बारे में निर्णय सभी पक्षों को सुनवाई का अवसर देने के बाद लिया जा सकता है।

नोटिस का संज्ञान न लेने पर नामित किया गया पक्षकार

सुप्रीम कोर्ट से निर्णय आने के बाद गत दो जुलाई 2024 को मामले पर विचार करते हुए एनजीटी ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया। 17 सितंबर 2024 के आदेश जारी कर सभी प्रतिवादियों को पुनः जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया। गत सात दिसंबर को जब न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की अगुवाई वाली बेंच ने प्रकरण की सुनवाई की तो पाया कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का प्रतिनिधित्व करने कोई भी व्यक्ति उपस्थित नहीं हुआ है। इसको गंभीरता से लेते हुए बेंच पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय जरिए सचिव भारत सरकार, यूपी पीसीबी जरिए सदस्य सचिव, नॉर्दर्न कोल फील्ड लिमिटेड खड़िया जरिए महाप्रबंधक प्रोजेक्ट और जिला मजिस्ट्रेट को पक्षकार नामित किया गया है।

इनकी मिली उपस्थिति, इन्हें जारी की गई नोटिस

डीएम और एनसीएल खड़िया की तरफ से मौजूद प्रतिनिधि ने जहां बेंच के समक्ष ही नोटिस स्वीकार कर ली। वहीं, एमओईएफएंडसीसी और यूपीपीसीबी को जरिए रजिस्टर्ड डाक नोटिस भेंजी गई थी। नोटिस प्राप्ति के तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। एनसीएल खड़िया प्रबंधन को हिदायत दी गई है वह, ओवरर्डेन और आवासीय बस्ती के बीच खड़ी की जा रही सुरक्षा दिवार के निर्माण की स्थिति, धूल उत्सर्जन और प्रदूषण को कम करने के लिए उठाए जा रहे कदमों को लेकर एक अतिरिक्त जवाब दाखिल करे।

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