Meerut: अब पीरियड पर नहीं है शर्माना, जानिये क्यों बेटियां दरवाजे पर लगा रही हैं पीरियड चार्ट
Meerut: सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन के संस्थापक सुनील जागलान को जाता है, जिनकी संस्था के सहयोग से यह पीरियड चार्ट अभियान चलाया जा रहा है।
Meerut: खाप पंचायतों के प्रभाव वाले उत्तर प्रदेश के मेरठ और आसपास के जनपदो में अब बेटियां माहवारी जैसे पाबंदी वाले विषय पर खुलकर बात ही नहीं कर रही हैं बल्कि घरों में अपना पीरियड डेट चार्ट बनाकर लगा रही हैं। गौरतलब है कि समाज में मासिक धर्म जैसे संवेदनशील मुद्दों पर कभी भी खुल कर बातचीत नहीं होती है। घर-परिवार और स्कूलों में भी बच्चों को इन मुद्दों के बारे में कभी भी खुलकर कुछ नहीं बताया जाता है।
ऐसे में आखिरकार पाबंदी वाले विषय पर बात करने और घरों में पीरियड डेट चार्ट (period date chart) लगाने का साहस बेटियों में आया कैसे। मेरठ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो इसका श्रेय 'सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन (Selfie With Daughter Foundation) के संस्थापक सुनील जागलान (Founder Sunil Jaglan) को जाता है, जिनकी संस्था के सहयोग से यह पीरियड चार्ट अभियान (Period Chart Campaign) चलाया जा रहा है। वे कहते हैं, अभियान के तहत बालिकाओं को पीरियड संबंधी जरुरतों और सावधानियों के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
इन गांवों में लगाए गए पीरियड चार्ट
अभियान के बारे में और अधिक जानकारी देते हुए सुनील जागलान (Founder Sunil Jaglan) बताते हैं, इस चार्ट पर घर की महिला सदस्यों के नाम लिखे जाते हैं। उसके आगे उनकी माहवारी की तारीख लिखी जाती है। सुनील जागलान के मुताबिक जिले के खरखौदा, नंगली, कुराली, महलका, किठौर, लावड़, बहसूमा, ताशी, अफजलपुर, जेवरी, अख्तियारपुर, चरला, हाजीपुर, इटायरा, महलका, आदि गांवों में पीरियड चार्ट लगाए गए हैं। अभी कई और गांवों को लेकर काम किया जा रहा है। सुनील जागलान महिलाओं के हितों को लेकर कई कार्य किये जाने का दाव करते हुए बताते हैं कि उनकी संस्था पीरियड चार्ट को लेकर मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में भी सक्रिय है।
हमने करीब दो साल पहले शुरू किया पीरियड चार्ट अभियान: सुनील जागलान
पीरियड चार्ट का ख्याल उनकी संस्था को कैसे आया इसके जवाब में सुनील जागलान (Founder Sunil Jaglan) कहते हैं कि महिलाओं को माहवारी के समय विभिन्न समस्याओं से गुजरना पड़ता है। काफी महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन भी नहीं मिल पाते हैं। गांव की महिलाएं हों या फिर शहर की, सेनेटरी नैपकिन मंगवाने में झिझक महसूस करती हैं। माहवारी के समय स्त्री थकान महसूस करती है। लगातार तीन-चार दिन का रक्तस्राव उसे कमजोर करता है। कई महिलाओं को इस समय हाथ-पैरों में सूजन, पेट-पैर में दर्द, कमर दर्द, बुखार, भूख न लगना, कब्ज जैसी अन्य समस्याएं भी होती हैं। इन सब को देखते हुए ही हमने करीब दो साल पहले पीरियड चार्ट अभियान शुरु करने की सोची।
अभियान की शुरुआत में हुई कई मुश्किलें
सुनील जागलान की मानें तो अभियान की शुरुआत में उनकी संस्था द्वारा घर-घर घूम कर बांटे गए पीरियड चार्ट को कई घरों में जिनमें सभी वर्गों के लोग शामिल थे, फाड़ कर बाहर फेंक दिया गया। वहीं, कई घर ऐसे भी थे जहां चार्ट लगाने की इजाज़त ही नहीं मिली। फिर भी हमने हार नहीं मानी और चार्ट वितरित करना जारी रखा है। इसके परिणाम भी सकारात्मक रहे। मसलन, मेरठ के करीब 70 घरों में लोग महिलाओं की माहवारी की तिथियों को जान रहे हैं। हमे उम्मीद है कि जागरूकता बढ़ने पर ये संख्या बढ़ेगी।
माहवारी होने से पहले ही वह तैयारी कर सकेंगीः किशोरी
वहीं, इस अभियान से जुड़ीं किशोरियों का कहना है कि इससे सबसे बड़ी मदद ये मिलेगी कि माहवारी होने से पहले ही वह तैयारी कर सकेंगी। पीरियड चार्ट को यूज करने वाली फरहा किठौर में रहती है। लॉ की विधार्थी फराह खान कहती हैं कि यह शुरुआत हर घर के लिए जरूरी है। हमें सचमुच इन दिनों में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। बकौल,फरहा - गांव में इमरजेंसी में सेनेटरी पैड की व्यवस्था करना बहुत मुश्किल होता है। चार्ट में देखते ही तारीख का पता चल जाता है। इससे वह पहले ही पैड का इंतजाम कर लेती हैं। फरहा आगे कहती हैं,मेरठ जैसे हमारे क्षेत्र में जहां सेनेटरी पैड का नाममात्र प्रयोग होता है, वहां सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन के पीरियड चार्ट से जरूर बदलाव आएगा।
अपने पीरियड चार्ट के साथ रुकैय्या कहती हैं पीरियड चार्ट होने की वजह से वह पहले ही पैड की व्यवस्था कर लेती हैं। वही, लावड़ की आलिया ने कहा कि पहले घर में वह कभी पीरियड पर बात नहीं कर पाती थीं, लेकिन अब पीरियड चार्ट लगाने से काफी मदद मिली है।