लखनऊ: लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के अधिकारियों के प्रश्रय में एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। रुचि खंड, रायबरेली रोड के एक मकान पर तीन लोगों ने मालिकाना हक का दावा किया है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मामले में पहली नजर में गंभीर धोखाधड़ी पाते हुए एलडीए वीसी को मामले की जांच का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एपी साही और न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की खंडपीठ ने मोहनलाल की याचिका पर दिया। याचिका रुचि खंड- 2 के एक मकान का बिजली कनेक्शन काटने के विरुद्ध दाखिल की गई थी।
बिजली कनेक्शन काटने का आग्रह किया था
बिजली विभाग की ओर से कोर्ट को बताया गया कि मकान पर प्रतिवादी संख्या- 7, कंवलजीत ने अपना मालिकाना हक बताते हुए बिजली कनेक्शन काटने का आग्रह किया था। दावे के पक्ष में उसने रमेश चंद्र गुप्ता की ओर से उसके पक्ष में निष्पादित सेल डीड भी प्रस्तुत की। जबकि रमेश चंद्र गुप्ता के पक्ष में एलडीए के ऑफिस इन चार्ज (संपत्ति) शैलेंद्र मल्ल के द्वारा निष्पादित सेल डीड है।
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बड़ा गड़बड़ झाला
वहीं, याची की ओर से भी 4 जुलाई 1983 का अलॉटमेंट लेटर व कुछ पेमेंट रसीद प्रस्तुत की गई। पूरे मामले पर जवाब देते हुए एलडीए की ओर से कहा गया, कि न तो याची को मकान का कब्जा कभी एलडीए ने हस्तांतरित किया और न ही रमेश चंद्र गुप्ता के पक्ष में सेल डीड निष्पादित की गई है। लिहाजा प्रतिवादी संख्या- 7 के पक्ष वाली सेल डीड भी अवैध है। एलडीए का कहना है कि पक्षकारों के दावे वाले ट्रांजेक्शंस भी जाली हैं।
फायदा पहुंचाने के लिए की गई गड़बड़ी
कोर्ट ने कहा, कि प्रथमदृष्टया प्रतीत होता है कि पूरी गड़बड़ी एलडीए के अधिकारियों के प्रश्रय में या तो याची को फायदा पहुंचाने के लिए अथवा सेल डीड के द्वारा दावा कर रहे लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए की गई है।
21 जुलाई तक हलफनामा दाखिल करें
कोर्ट ने एलडीए वीसी को पूरे मामले की जांच कर 21 जुलाई तक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अग्रिम सुनवाई तक यदि वीसी की ओर से हलफनामा दाखिल नहीं किया जाता तो उन्हें स्वयं हाजिर होना पड़ेगा। इसके साथ ही न्यायालय ने रमेश चंद्र गुप्ता वाले सेल डीड पर जिस अधिकारी का फोटो है, उसे भी हाजिर होने का आदेश दिया है। वहीं एलडीए ने इस मामले में थाना वजीरगंज में एफआईआर भी दर्ज करा दी है।