शाहजहांपुर: डाक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है। लेकिन जब उसी के दिल में पैसे का लालच आ जाएं तो वहीं डाक्टर शैतान नजर आने लगता है। ऐसा ही एक वाकया यूपी के शाहजहांपुर में भी देखने को मिला है। यहां स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में मानवता को शर्मशार कर देने वाली घटना सामने आई है।
अस्पताल के डाक्टर चार दिन से एक गरीब महिला मरीज को बंधक बनाए हुए थे। मरीज के परिजन डाक्टर से छोड़ने की गुहार लगाते रहे। लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार उन्होंने 100 नम्बर डायल कर मदद की गुहार लगाई। जिसके बाद से उन्हें मदद मिल पाई।
ये है पूरा मामला
जनपद लखीमपुरखीरी के ग्राम इचौलिया के रहने वाले धर्मेन्द्र सिंह की पत्नी सुनीता को प्रसव पीड़ा हुई। धर्मेन्द्र अपनी पत्नी को लेकर शाहजहांपुर के जिला अस्पताल पहुंच गये। लेकिन वहां के डाक्टरों ने आपरेशन करने से इंकार कर दिया। उसके बाद सुनीता को सिद्धि विनायक अस्पताल मे भर्ती कराया गया था।
उसके बाद प्राइवेट अस्पताल के डाक्टरों ने मनमानी शुरू कर दिया। इलाज के नाम पर सबसे पहले अस्पताल के डाक्टरों ने 28 हजार रुपये जमा करने के लिए मरीज से कहा। मरीज ने इतना पैसा होने से इंकार कर दिया। लेकिन उसके पति धर्मेन्द्र ने पैसा लाने की ठानी और गांव जाकर ग्रामीणों से चंदा इकट्ठा किया।
करीब आठ हजार रुपये लेकर धर्मेंद्र अस्पताल आया और उसे जमा कर दिया। लेकिन डाक्टरों की तरफ से पैसे की मांग जारी रही। धीरे -धीरे कर्जा लेकर धर्मेन्द्र 28 हजार लाकर अस्पताल में जमा कर दिया। महिला ने बच्ची को जन्म दिया लेकिन उसकी मौत हो गई।
पांच दिन महिला को भर्ती रखने के बाद डाक्टरों ने 40 हजार रुपये की मांग की। इतना पैसा पति ने देने मना कर दिया। जिसके बाद डाक्टरों का शर्मनाक चेहरा सामने आया। डाक्टरों ने मरीज को वार्ड मे बंधक बना लिया।
चार दिन से महिला को अस्पताल से बाहर नहीं आने दिया और अस्पताल के निकासी गेट पर ताला डाल दिया गया। बेबस गरीब पति अपनी पत्नी को छुङाने के लिए हाथ जोड़कर गुहार लगाता रहा लेकिन उसकी मदद करने के लिए जिले के बड़े अधिकारी भी सामने नहीं आए।
पीड़ित धर्मेन्द्र ने बताया कि पत्नी को छुड़ाने के लिए हम 40 हजार रुपये नहीं ला सकते है। चार दिन से वह अस्पताल के बाहर बैठे हे। आज मदद के लिए डीएम को फोन किया तो वह फोटो काट रहे थे। एसपी को फोन किया तो उन्होंने तहसील दिवस मे होने कि बात कहकर फोन काट दिया।
उसके बाद एडीएम को फोन किया तो उन्होंने देखते है कहकर फोन काट दिया। उसके बाद जब सीएमओ को फोन किया तो उन्होंने कहा कि तहसील दिवस में है। एप्लीकेशन दे दो कार्रवाई करेंगे। लेकिन जिस महिला को छुड़ाने की गुहार उसका पति लगाता रहा उसकी किसी ने नहीं सुनी। जब कही से कोई मदद नहीं मिली तो पीड़ित परिवार ने 100 नम्बर डायल कर मदद की मांग की।
फोन करने के कुछ देर बाद ही 100 नम्बर की गाड़ी मौके पर पहुंच गई। पुलिसकर्मियों ने पांच हजार रुपये अस्पताल स्टाफ को दिलवाकर महिला को वहां से छुड़ाया।
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