शाहजहांपुर स्कूल हादसा: जिला प्रशासन के बजाए पब्लिक पर करें भरोसा, तभी बचेगी जान
शाहजहांपुर: अगर आपके शहर मे कोई बड़ा हादसा हो जाए तो आप जिला प्रशासन और सरकार के भरोसे न रहे। चूंकि यहां एक बड़े हादसे में जिला प्रशासन और सरकार की पोल खोल दी है। निर्माणाधीन स्कूल की बिल्डिंग गिरने के मामले मे दस घंटे बीत जाने के बाद जिला प्रशासन मलबे में दबे मजदूरों को नहीं निकाल पाया।
यह भी पढ़ें: शाहजहांपुर: निर्माणाधीन स्कूल बिल्डिंग का लिंटर गिरने से 3 की मौत, 15 घायल, दिया 50 हजार का मुआवजा
हद तो तब हो गई जब 60/40 का गिरा लेंटर हटाने मे जिला प्रशासन को दस घंटे का समय लग गया। दस घंटे बाद आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें पहुंचीं। उसके बाद बचाव कार्य में तेजी आ सकी। आप भरोसा अपने शहर की पब्लिक पर कर सकते हैं क्योंकि यहां पब्लिक ने मलबे मे दबे मजदूरों को निकालने का काम किया है। यही वजह थी कि मलबे में दबे मजदूरों के परिजनों का गुस्सा बढ़ता गया।
यह भी पढ़ें: B’day Spl: ‘अद्भुत कलाम को सलाम’, विद्यार्थियों को प्रेरित करते हैं इनके विचार
भारी पुलिस बल मौके पर पहुंच तो जरूर गया लेकिन वहां पर पब्लिक ने उनसे दो कदम आगे बढ़कर ऐसा काम किया मानों कोई गैर नहीं उनका कोई अपना है। लेंटर मे दबे मजदूरों की संख्या 50 से ज्यादा बताई जा रही थी।
भारी पुलिस प्रशासनिक अमला मौजूद तो था लेकिन उनके रेस्क्यू आप्रेशन से मजदूरों के परिजन ओर पब्लिक खुश नही थी। जिला प्रशासन से दो कदम आगे बङकर पब्लिक ने जो हौसला दिखाया वह देखते ही बनता था।
पब्लिक ने जिला प्रशासन की कुछ सुने बगैर खुद रेस्क्यू का बिङा उठाया और सैंकड़ों की तादाद मे पहुची पब्लिक ने मजदूरो को ढूंढना शुरू कर दिया। पब्लिक कङी मशक्कत के बाद मलबे मे दबे कई मजदूरो को बाहर निकाला।
उनको समय रहते जिला अस्पताल भेजा जिससे उनकी जान बच सकी। पब्लिक मलबे मे दबे मजदूरों को ऐसे ढूंढ रही थी जैसे मानो कोई उनका अपना मलबे मे दब गया हो। ये सब देखकर एक बात तो साफ हो गई कि धर्म और जाति मे बटे लोगो मे अभी भी इंसानियत ओर मानवता है।
जिला प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी सैंकड़ों की तादात मे मलबे को हटाने का काम कर रहे थे। लेकिन उनके 60/40 के लेंटर पर पङे लोहे का जाल नही हट रहा था। इतना ही नही मलबे से मजदूरों को निकालने के लिए जाल को काटने का प्लान बनाया लेकिन दस घंटे तक रेस्क्यू कर रहे जिला प्रशासन के कर्मचारी और पुलिस बल जाल काटने मे नाकाम रहा। यही वजह थी मलबे मे दबे मजदूरों के परिजन ओर पब्लिक जिला प्रशासन पर भरोसा नहीं कर पा रही थी।