Loksabha Election 2024: शाहजहांपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र, संघ प्रमुख रहे रज्जू भैया के ज़िले में कसौटी पर भाजपा

Loksabha Election 2024: चौथे चरण में शाहजहांपुर लोकसभा क्षेत्र में भी मतदान होगा। यहां पर भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए सपा और बसपा ने रणनीति बदली है। जानें क्या हैं समीकरण

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2024-05-10 11:35 GMT

Shahjahanpur Loksabha Election 2024 (Photo: Social Media)

Loksabha Election 2024: शाहजहांपुर जिले से सात जिलों की सीमाएं जुड़ती हैं। ये जिले हैं- बरेली, लखीमपुर, पीलीभीत, सीतापुर, हरदोई, फर्रुखाबाद और बदायूं। पर जिले में एक ही लोकसभा सीट है। शाहजहांपुर को शहीद गढ़ या शहीदों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। हनुमान धाम, काशी विश्वनाथ मंदिर, काली बाड़ी मंदिर, शहीद द्वार, यहां के पर्यटन प्रमुख स्थल हैं। शाहजहांपुर जिले को परशुराम की जन्मस्थली और शहीदों की धरती के रूप में जाना जाता है। शहीद अशफाकउल्ला खान, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और रोशन सिंह जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों का नाता यहां से रहा है।

विधानसभा क्षेत्र

शाहजहांपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत 6 विधानसभा क्षेत्र हैं। ये हैं - कटरा, जलालाबाद, तिलहर, पुवायां (एससी), शाहजहाँपुर और ददरौल। इनमें सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है।

जातीय समीकरण

जातीय समीकरण की बात की जाए तो यहां 20 फ़ीसदी जनसंख्या मुस्लिम समुदाय की है । इसके अलावा पिछड़ी जातियों का भी वर्चस्व है। माना जाता है कि मुस्लिम वोटर‌ भी शाहजहांपुर में भी जीत और हार का अंतर तय करता है।



राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनाव

 राजनीतिक दृष्टिकोण से शाहजहांपुर काफी समृद्ध रहा है। सरसंघ चालक रज्जू भैया भी इसी जिले से थे। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे जितेंद्र प्रसाद उर्फ बाबा साहब यहीं से थे। बाबू सत्यपाल सिंह यादव भी केंद्र सरकार में राज्यमंत्री रहे। प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री सुरेश कुमार खन्ना यहीं के हैं। मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्यामनंद का भी यहां से गहरा नाता है।

  •  शाहजहाँपुर जिले में अब तक हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का दबदबा रहा है।
  • 1952 और 57 के चुनावों में शाहजहांपुर व फर्रुखाबाद संयुक्त लोकसभा सीट थी। यहां से दो सांसद चुने जाते थे। यहां से अब तक नौ बार कांग्रेस के सांसद चुने जा चुके हैं। भाजपा तीन बार चुनाव जीती है, जबकि दो बार सपा के खाते में सीट आई है।
  • 1952 में कांग्रेस के गनेशी लाल व निवेटिया चुनाव जीते थे। 1957 में हिन्दू

महासभा से सेठ विशनचंद्र सेठ व लाखनदास निर्दलीय चुनाव जीते थे। 1962 और 67 में कांग्रेस से प्रेम किशन खन्ना और 1971 में जितेंद्र प्रसाद बाबा साहब चुनाव जीते थे। 1977 में जनता दल के सुरेंद्र विक्रम सिंह ने कांग्रेस का विजय रथ रोका। 1980 और 1984 में जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस से जीते। 1989 में सत्यपाल सिंह यादव कांग्रेस (जगजीवन राम) से सांसद बने। 1991 में सत्यपाल सिंह यादव जनता दल से सांसद बने। 1996 में राममूर्ति सिंह वर्मा कांग्रेस से जीते। 1998 में भी सत्यपाल सिंह यादव भाजपा से सांसद बने। 1999 में जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस से जीते। जितेंद्र प्रसाद का निधन होने से 2001 उपचुनाव में सपा से राममूर्ति सिंह वर्मा जीते। 2004 में कांग्रेस से जितिन प्रसाद जीते। 2009 में सपा से मिथिलेश कुमार को जीत मिली। 2014 में भाजपा से कृष्णाराज जीती थीं। 2019 में भाजपा के अरुण कुमार सागर ने जीत दर्ज की।

इस बार कौन है मैदान में

इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अरुण कुमार सागर को उतारा है। जो वर्तमान सांसद हैं। समाजवादी पार्टी ने राजेश कश्यप को टिकट दिया था । लेकिन उनका नामांकन जाँच में खारिज हो गया। सो अब ज्योत्सना गौड़ सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ रही हैं। जबकि बसपा ने दौदराम वर्मा को उतारा है।



स्थानीय मुद्दे

  • ट्रैफिक जाम की समस्या न सिर्फ शहर बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी विकराल बनी हुई है। दो नदियों के बीच स्थित होने के कारण शहर की सड़कों का चौड़ीकरण नहीं हो पा रहा है।
  • कटरी क्षेत्र में बहगुल नदी पर हैदलपुर, शम्सीपुर समेत चार पुलों का निर्माण होना है। सात साल पहले हाइवे को फोरलेन करने का काम शुरू हुआ था, पर अब तक आधा-अधूरा है।
  • हर चुनाव में मुद्दा बनने वाली शहर की जलभराव की समस्या पर इस साल भी कोई काम नहीं हो सका।
  • जिले में रोजगार की कमी अब भी बड़ी समस्या है। युवाओं को रोजगार की तलाश में दूसरे शहरों की ओर पलायन करना पड़ा है। शिक्षा की स्थिति बेहतर नहीं है। यहां पर तकनीकी शिक्षा के लिए कुछ नहीं है। जिले में मात्र एक महिला महाविद्यालय है।
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