Meerut: बसों की किल्लत बरकरार, अभी एक सप्ताह और झेलनी पड़ेगी यात्रियों को परेशानी

Meerut: पश्चिमी यूपी की बड़ी संख्या में बसें चुनाव ड्यूटी में भेजी गई हैं। जिसकी वजह से बस अड्डों पर बसों की कमी हो गयी है।

Report :  Sushil Kumar
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2022-03-03 14:56 GMT

बसों की किल्लत (फोटो-सोशल मीडिया)

Meerut: मेरठ समेत पश्चिमी यूपी में उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों की किल्लत करीब एक सप्ताह के बाद ही दूर हो सकेगी। दरअसल, मेरठ समेत पश्चिमी यूपी से दस हजार से अधिक रोडवेज बसें चुनाव ड्यूटी में गई हुई हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अगले- दो से तीन दिनों में चुनाव ड्यूटी गई बसों की वापसी होने लगेगी। ऐसे में करीब एक सप्ताह के बाद ही बसों के संचालन की स्थिति में सुधार हो सकेगा।

बता दें कि चुनाव के चलते मेरठ समेत पश्चिमी यूपी की बड़ी संख्या में बसें चुनाव ड्यूटी में भेजी गई हैं। मेरठ की ही बात करें तो मेरठ के तीनों डिपों से 163 बसों को चुनावी ड्यूटी पर भेजा गया है जिसके चलते बस अड्डों पर बसों की कमी हो रही है।

लंबे रूटों पर बसों के संचालन

जिसके चलते बस अड्डो पर यात्रियों को घंटो इंतजार करना पड़ रहा है। हालांकि विभागीय अफसरों लंबे रूटों पर बसों के संचालन को कम कर लोकल रूटों पर बसों की संख्या का बढ़ाया है,लेकिन इसके बावजूद भी यात्रियों की परेशानी कम नहीं हो रही हैं।

विभागीय अफसरों के अनुसार अमूमन जनवरी और फरवरी में सबसे कम यात्री निकलते हैं, पर वर्तमान में मेरठ परिक्षेत्र के पांच बस अड्डों पर सवा लाख यात्री प्रतिदिन आ रहे हैं। बसों के कुल बेड़े में से 260 बसें अर्धसैनिक बलों और अन्य कर्मचारियों को लेकर मतदान स्थलों पर गई हुई हैं। भैसाली और सोहराब गेट डिपो में बसों की मारामारी है। बसों की किल्लत के कारण कानपुर के लिए जाने वाली एक बस जो कि सोहराब गेट से जाती थी वह भी बंद कर दी गई है। यही हाल सोनीपत, अजमेर आदि के लिए है।

क्षेत्रीय प्रबंधक केके शर्मा ने बताया कि प्रतिदिन औसतन 1.17-1.20 लाख यात्रियों को रोडवेज की बसों में सफर कर रहे हैं। लंबे रूटों की जगह मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, बागपत, बिजनौर जैसे लोकल रूटों पर बसों को भेजा जा रहा है। चूंकि इन क्षेत्रों में जाने वाले यात्रियों के पास कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि बसें संभवत: दो-तीन दिनों के बाद बसें वापस होनी आरंभ होगी। करीब एक सप्ताह सभी बसों के वापस आने लग जाएंगे। इसके बाद ही बसों की किल्लत दूर हो सकेगी।

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