योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल, जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी
मोदी सरकार के गठन के बाद यूपी में मंत्रिमण्डल विस्तार किया जाएगा। जून के पहले सप्ताह में होने वाले मंत्रिमण्डल विस्तार में किसका कद बढ़ेगा और किसको मंत्री बनाया जाएगा।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: मोदी सरकार के गठन के बाद यूपी में मंत्रिमण्डल विस्तार किया जाएगा। जून के पहले सप्ताह में होने वाले मंत्रिमण्डल विस्तार में किसका कद बढ़ेगा और किसको मंत्री बनाया जाएगा।
इसे लेकर सत्ता के गलियारों में कयासबाजी का दौर चल रहा है। लेकिन इतना तो है कि मंत्रिमंडल विस्तार राजनीतिक दृष्टि से गुणाभाग लगाकर ही किया जाएगा।
इसके अलावा कई ऐसे विधायकों को मौका दिया जाएगा जिन्होंने दो से अधिक बार चुनाव जीता है लेकिन अबतक उन्हे उचित सम्मान नहीं मिल सका है। खास बात यह है कि मंत्रिमडल विस्तार के समय इस बात पर गौर किया जाएगा कि सांगठनिक तौर पर बंटे छह क्षेत्रों में जीत हार के प्रदर्शन पर ही मंत्रियों का आकलन किया जाएगा।
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लोकसभा चुनाव के बाद योगी सरकार में ओमप्रकाश राजभर को बर्खास्त किया गया जिसके बाद से मंत्रिमण्डल में फेरबदल की बात कही जा रही थी लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं मंत्रिमण्डल विस्तार किए जाने की बात को स्वीकारी। जिसके बाद नए मंत्रियों के नामों और पुराने मंत्रियों के कद मेें इजाफा को लेकर सत्ता के गलियारों में कयासबाजी चल रही है।
मुख्यमंत्री समेत 47 सदस्यीय मंत्रिमंडल में राजभर को बाहर किए जाने के बाद अब 46 मंत्री हैं। मुख्यमंत्री अपने मंत्रिमंडल की संख्या 60 तक रख सकते हैं। चुनाव लड़ रहे चार मंत्रियों में तीन मंत्री डा रीता बहुगुणा जोशी एसपी सिंह बघेल और सत्यदेव पचैरी सांसद बन चुके है।
भाजपा को जिन 16 सीटों पर हार झेलनी पड़ी है। उनमें 7 सीटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हैं।
इस लिहाज से बुंदेलखंड के नेताओं ने अपने परिश्रम से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन किया है। उससे जुड़े कानपुर क्षेत्र का भी प्रदर्शन ठीक ठाक रहा है। सांगठनिक तौर पर बंटे अवध क्षेत्र में पार्टी का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा। रायबरेली सीट भले ही उसके हाथ से फिसल गई हो पर अमेठी सीट जीतकर पार्टी ने बड़ा करिश्मा किया है।
पिछले लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी में भाजपा अपने वेहतर प्रदर्शन को दोहरा नही पाई। 14 सीटों में से 7 सीट ही उसके खाते में आई है। इसलिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश किसी मंत्री के कद की बढ़ोतरी की संभावना कम है।
भाजपा यहां से मुरादाबाद, संभल बिजनौर मैगजीन अमरोहा रामपुर और सहारनपुर की सीटें गंवा चुकी है। पर गाजियाबाद, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, कैराना और मुजफ्फर नगर की सीट फिर से अपनी झोली में डाल चुकी है।
अवध क्षेत्र में 18 सीटों में से 15 सीटे जीतने वाली भाजपा केवल अम्बेडकर नगर और श्रावस्ती सीट ही हारी है। मोहनलालगंज, उन्नाव, सीतापुर, हरदोई, सुल्तानपुर, धौरहरा, खीरी, मिश्रिख, बाराबंकी, बहराइच, फैजाबाद, गोंडा, कैसरगंज में भाजपा को सफलता मिली है।
इसी तरह कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र से भाजपा सभी 10 सीटे जीत गई है। पहली बार उसने कन्नौज सीट जीती। इसके अलावा कानपुर, अकबरपुर, हमीरपुर, फतेहपुर, फर्रूखाबाद इटावा, झांसी, जालौन, बाँदा जीती।
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जबकि गोरखपुर क्षेत्र में 13 सीटों मे से 10 सीटे भाजपा ने जीती हैं। हांलाकि पहले इसके पास 12 सीट थी। इस बार भाजपा लालगंज, और घोसी सीट चुनाव हार गई। भाजपा ने इस चुनाव में देवरिया, गोरखपुर, बांसगांव, कुशीनगर, महराजगंज, बस्ती, डुमरियागंज, संत कबीरनगर ,बलिया और सलेमपुर सीट जीती है।
जबकि काशी क्षेत्र की 12 सीटों में सहयोगी अपना दल में रॉबर्ट्सगंज और मिर्जापुर तथा भाजपा ने वाराणसी, चंदौली, प्रतापगढ़, कौशाम्बी इलाहाबाद, फूलपुर, मछलीशहर और भदोही में जीत का परचम लहराया है। अगर इन सभी क्षेत्रों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाए तो पार्टी का सबसे बेहतर प्रदर्शन कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र में रह है जहां उसने 10 में से 10 सीटे जीती हैं।
कुछ मंत्रियों का प्रमोशन किया जा सकता है। जिनमे सतीश महाना स्वतंत्र देव सिंह, महेंद्र सिंह, भूपेंद्र चैधरी और सुरेश राणा समेत धर्म सिंह सैनी, मोहसिन रजा और अनिल राजभर का भी प्रमोशन हो सकता है।
योगी मंत्रिमंडल में 12 नए मंत्रियों को जगह दी जा सकती है। बताया जा रहा है कि पंकज सिंह भी नए मंत्री बन सकते हैं। जबकि अन्रू लोगों में करन सिंह पटेल कृष्णा पासवान रामचन्द्र यादव सत्यप्रकाश अग्रवाल डेरी वाले विक्रमाजीत मौर्य का नाम चर्चा में है।
इनके अलावा भाजपा के विधानपरिषद सदस्य और संगठन में महती भूमिका निभाने वाले विजय बहादुर पाठक राकेश कटारिया और विद्यसगार सोनकर को भी मंत्रिमंण्डल विस्तार में स्थान मिल सकता है।
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