अजब-गजब! लाखों रुपये चुकाने कब्र से बाहर आयेगा मृत
परिवार के लोग उस समय हैरान हो गए जब उनके 15 साल पहले निधन हो चुके पिता के नाम से बिजली विभाग ने 1 लाख 81 हजार 9 सौ 73 रूपये का बिजली का भेज दिया।
सिद्धार्थनगर: बिजली विभाग अपने कारनामो को लेकर अक्सर चर्चा में बना रहता है। कभी बिना कनेक्सन के ही बिजली का बिल, तो कभी मृतक के नाम बिजली के बिल को भेजने की लापरवाही सामने आती रहती है।
1 लाख 81 हजार 9 सौ 73 रूपये का बिजली बिल
ताजा मामला है सिद्धार्थनगर जिले के जिला मुख्यालय के सिसहनिया मोहल्ले के निवासी राम दुलारे के परिवार का, बताया जा रहा है कि रामदुलारे के परिवार के लोग उस समय हैरान हो गए जब उनके 15 साल पहले निधन हो चुके पिता के नाम से बिजली विभाग ने 1 लाख 81 हजार 9 सौ 73 रूपये का बिजली का भेज दिया।
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बकाया भुगतान 20 फरवरी 2018 को ही खेत बेचकर कर दिया था
बताते चलें कि ये बिल घर के जिस परिवार के नाम से बिजली विभाग ने भेजा है उसका नाम सम्पत था। जिनकी मृत्यु 15 साल पहले हो चुकी है और उसके नाम से जो बिजली का कनेकशन था उसका बकाया भुगतान 20 फरवरी 2018 को ही उसके लड़को ने खेत बेचकर कर दिया था।जिसके बाद बिजली विभाग, स्थायी विच्छेदन प्रमाण पत्र भी जारी करके उसके घर में लगे बिजली के मीटर को ऊखाड़ ले गया था।
बता दें कि इसके बाद भी बिजली विभाग ने शर्मनाक हरकत करते हुए दोबारा राम दुलारे को बिजली कनेक्शन विच्छेदन के करीब दो साल बाद बिजली का बकाया का बिल भेज दिया। बिजली विभाग के इस लापरवाही की वजह से उनका परिवार काफी परेशान है। वो गरीब परिवार से है।
ऐसे में उस बिजली बिल का भुगतान कैसे और क्यों करेगा जो बिजली उन्होंने कभी जलाया ही नहीं। बिजली विभाग की इस लापरवाही से परिवार इतना दुखी है कि बिजली बिल आने के बाद से ही उनके घर में चूल्हा तक नही जला है।
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वहीं बिजली विभाग के इस लापरवाही को लेकर जिले के बिजली विभाग के अधिशासी अधिकारी का कहना है कि बिजली का कनेक्शन जिसके नाम से रहेगा वो चाहे मृतक हो जाये अगर उसके घर वाले बिना कनेक्शन स्थानातरण के लाइट का प्रयोग करते है तो बिल तो जायेगा ही।
जो दोषी होगा उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जायेगी
अगर कनेक्शन विच्छेदन का कोई प्रमाण उनके पास होगा तो उन्हें बिजली का बिल नही देना पड़ेगा और इसे सही कराया जायेगा। वही जब इस गलती पर कार्यवाही की बात की गयी तो अधिशाषी अधिकारी का कहना था कि जांच करायी जायेगी जो दोषी होगा उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जायेगी। ऐसे में सवाल ये है कि कार्यवाही तो जांच के बाद होगी लेकिन क्या सिर्फ कार्यवाही करके ही विभाग अपनी गलतियों को छुपाने का काम करता रहेगा?