Siddharthnagar News: आठवीं मोहर्रम पर निकला अलम व मातमी दस्ते का जुलूस, चारों तरफ से आती रहीं ‘या हुसैन...!’ की सदा

Siddharthnagar News: डुमरियागंज तहसील छेत्र के कस्बा हल्लौर में गुरूवार को आठवीं मोहर्रम पर दरगाह हजरत अब्बास अस. से मातमी जुलूस निकाला गया।

Update:2023-07-27 23:22 IST
आठवीं मोहर्रम पर निकला अलम व मातमी दस्ते का जुलूस: Photo- Newstrack

Siddharthnagar News: डुमरियागंज तहसील छेत्र के कस्बा हल्लौर में गुरूवार को आठवीं मोहर्रम पर दरगाह हजरत अब्बास अस. से मातमी जुलूस निकाला गया। अलम का मातमी जुलूस अंजुमन गुलदस्ता मातम और अंजुमन फरोग मातम के बैनर तले निकाला गया। जुलूस पूरे कस्बे में गश्त करता हुआ तीन बजे डुमरियागंज बस्ती मार्ग पर पहुंचा, जहां मातमदार शोकाकुल माहौल में नंगे पैर मातम करते रहे। जुलूस में चारों तरफ से या हुसैन-या हुसैन की सदा बुलंद होती रही।

मजलिस का किया गया आयोजन

जुलूस से पूर्व दरगाह हजरत अब्बास में मजलिस का आयोजन किया गया। इसे जाकिरे अहलेबैत हबीबुल हसन ने खिताब करते हुए कहा कि हजरत अब्बास को इमाम हुसैन ने अपनी छोटी सी फौज का कमांडर बनाया था। इमाम साहब जानते थे कि हजरत अब्बास को अगर जंग के लिए भेजा जाएगा तो जंग का नक्शा ही बदल जाएगा। चूंकि व बहुत बहादुर थे, इमाम कर्बला के मैदान में कुर्बानी देने के लिए आए थे। इमाम ने अब्बास को पानी लाने के लिए भेजा। अब्बास ने हमला कर फरात (नदी) से यजीदी फौज को भगा दिया और मश्क को पानी से भर लिया। लौटते समय यजीदी फौज ने उनपर पीछे से छिपकर हमला कर दिया और दोनों हाथ काट लिए। मश्क दांतों से पकड़ लिया, बहादुरी का यह आलम था कि तब भी वह मश्क लेकर आगे बढ़ रहे थे। तभी पीछे गुर्ज से उनके सिर पर हमला कर दिया। तब जाकर मश्क-ए-सकीना छूटकर जमीन पर गिर गई। दुश्मनों ने घेरकर हजरत अब्बास को शहीद कर दिया।

अजादारों की आंखों से आंसू छलक पड़े

उन्होंने ने मजलिस में आए लोगों को बताया कि अब्बास के वफादारी का आलम यह था कि खुद तीन दिन से प्यासे होने के बाद भी नहर के किनारे जाने पर भी पानी नहीं पिया। मसायब सुनकर पूरे गांव के अजादारों की आंखों से आंसू छलक पड़े। नौहाख्वानी नफीस सैयद, हसन जमाल, कामयाब बब्लू, शकील अहमद, मंजर, खुलूष, आमिर आदि ने किया। इस दौरान तौफीक रजा, तशबीब हसन, कसीम रिजवी, काजिम रजा, खुर्शीद अहमद, राहिब हुसैन, अजीम हैदर, बशीर हसन दरोगा, तस्कीन, आसिफ रिजवी, मंजर अब्बास, सज्जाद हुसैन, गुलाम अली, नफासत रिजवी, अकबर जमील, रावी, आदि लोग मौजूद रहे।

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