बहनों ने धूमधाम से मनाया भाई दूज, उपवास कर भाई की लंबी उम्र की कामना की

Siddharthnagar News: भाइयों की लंबी उम्र की कामना को लेकर शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में काफी उत्साह रहा। सुबह से ही महिलाओं में काफी उत्साह रहा।

Report :  Intejar Haider
Update:2024-11-03 12:58 IST

Bhai Dooj 2024 (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Siddharthnagar News: भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक भैया दूज का त्योहार रविवार को परंपरागत तरीके से हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। भाइयों की लंबी उम्र की कामना को लेकर शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में काफी उत्साह रहा। सुबह से ही महिलाओं में काफी उत्साह रहा। यहां बहनों ने गाय के गोबर से विभिन्न आकृतियां बनाकर भाई के नाम पर गोबर को लीपकर दुश्मनों से रक्षा करने की ईश्वर से प्रार्थना की।

भाई दूज के दिन भाई के घर आगमन के साथ ही बहनों ने उसकी लंबी उम्र की ईश्वर से प्रार्थना की। इसके बाद तिलक लगाकर उनकी आरती उतारी। यमराज का द्वार पीटते हुए बहनों ने भाइयों की लंबी उम्र की कामना की। अनूठी परंपरा का निर्वहन करते हुए बहनों ने पहले भाइयों को मरने का श्राप दिया, फिर प्रायश्चित स्वरूप उनकी जीभ में कांटा चुभोया और फिर गोबर को लीप दिया।

इस दौरान बहनों ने यमराज का आह्वान कर अपने भाई की दीर्घायु की प्रार्थना की। भैया दूज को प्रेम, आस्था और विश्वास के साथ ही भारतीय संस्कृति की धरोहर माना जाता है। यह अपने भाई को यमराज के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए सबसे उपयुक्त पर्व माना जाता है। भैया दूज के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। इस संबंध में रामलीला मैदान शिव मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित राकेश शास्त्री बताते हैं कि एक दिन यमराज अपनी बहन की नाराजगी दूर करने के लिए उससे मिलने उसके घर पहुंचे।

भाई को आया देख यमुना बहुत प्रसन्न हुई, उसने अपने भाई को तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन खिलाकर उसका स्वागत किया। बहन के आतिथ्य से यमराज प्रसन्न हुए। यमराज जब अपनी बहन यमुना से विदा लेने लगे तो उन्होंने उससे वरदान मांगने को कहा। उनका आग्रह देखकर यमुना ने कहा कि यदि आप मुझे वरदान देना चाहते हैं तो मुझे यह वरदान दीजिए कि आप प्रतिवर्ष इसी दिन मेरे घर आया करेंगे।

गाय के गोबर से तरह-तरह की आकृति बनाकर सबसे पहले पूजा पाठ और हवन करते हैं। उसके बाद कांटे को अपनी जीभ में चुभा कर उसको श्रापित करते हैं, उसके बाद उसे जीवित करने के लिए यमराज की पूजा करते हैं- पण्डित राकेश शास्त्री

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