कोर्ट ने कहा- क्षेत्राधिकार के बाहर जाकर सिंगल जज या डिवीजन बेंच नहीं कर सकती सुनवाई

हाई कोर्ट ने सोमवार (9 जनवरी) को कहा है कि सिंगल जज या डिवीजन बेंच केवल वही मामले सुन सकती है जो कि रोस्टर से उसे संदर्भित हों। वह जज या बेंच यदि किसी केस की सुनवाई के दौरान यह पाती है कि उसमें जनहित से जुड़ा मामला भी शामिल है तो या तो वह जज या बेंच याचिका को चीफ जस्टिस को संदर्भित कर देगा या फिर संबंधित बेंच को जो कि पीआईएल मामलों की सुनवाई कर रही हो। वह जज या बेंच स्वयं अपने रोस्टर से इतर जाकर जनहित के मामले की सुनवाई नहीं कर सकता है।

Update: 2017-01-09 15:01 GMT

लखनऊ: हाई कोर्ट ने सोमवार (9 जनवरी) को कहा है कि सिंगल जज या डिवीजन बेंच केवल वही मामले सुन सकती है जो कि रोस्टर से उसे संदर्भित हों। वह जज या बेंच यदि किसी केस की सुनवाई के दौरान यह पाती है कि उसमें जनहित से जुड़ा मामला भी शामिल है तो या तो वह जज या बेंच याचिका को चीफ जस्टिस को संदर्भित कर देगा या फिर संबंधित बेंच को जो कि पीआईएल मामलों की सुनवाई कर रही हो। वह जज या बेंच स्वयं अपने रोस्टर से इतर जाकर जनहित के मामले की सुनवाई नहीं कर सकता है।

चीफ जस्टिस दिलीप बाबा साहब भोंसले, जस्टिस डी के उपाध्याय और जस्टिस राजन राय की फुल बेंच ने उपरोक्त निर्णय सुनाते हुए यह भी कहा कि याचिका से परे जाकर किसी पक्ष या विपक्ष के बारे में जज या बेंच को अनावश्यक टिप्पणी करने से बचना चाहिए।

यह आदेश कोर्ट ने दिनेश कुमार सिंह उर्फ सेानू की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिका पर सुनवाई के बाद फुल बेंच को एक प्रश्न तय करने के लिए मसला संदर्भित था।

इसमें यही तय करना था कि क्या कोई जज या बेंच याचिका में कोई जनहित का प्रश्न पाने के बाद स्वयं उस याचिका की सुनवाई जारी रखेगा या फिर याचिका को संबंधित क्षेत्राधिकार वाली बेंच के सामने पेश करने का आदेश दे देगा।

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