स्मृति ने लांच की भारतवाणी पोर्टल,कहा-साकार होगा डिजिटल इंडिया का सपना

Update:2016-05-25 22:47 IST

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लखनऊ: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बुधवार को राजधानी के बीबीएयू ऑडिटोरियम से भारतवाणी वेब पोर्टल और ऐप की लांचिग की। इस मौके पर ईरानी ने कहा, 'इस पोर्टल के जरिए पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया का सपना साकार होगा। एक क्लिक पर हमारे देश की भाषा-संस्कृति से जुड़ी करोड़ों जानकारियां मिल सकेंगी।

क्या है भारतवाणी पोर्टल ?

स्मृति ने बताया, भारतवाणी एक ऐसा पोर्टल है, जो सभी भाषाओं के साहित्य, कला और संस्कृति को प्रकाशित करेगा। इसमें हर भाषा से जुड़ी सामग्री उपलब्ध रहेंगी। इस दौरान सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडियन लैंग्वेज के अधिकारी और अन्य लोग भी मौजूद थे।

इस प्रोजेक्ट में क्या है खास ?

प्रोफेसर अवधेश मिश्रा ने बताया, यह मोबाइल ऐप है। इससे एक प्लेटफ़ॉर्म के नीचे सभी भाषाओं से जुड़ी हर साहित्य और सामग्री अपलोड की जाएंगी। इस ऐप में 40 भाषाओं की डिक्शनरी है। इसे साल के अंत तक बढ़ाकर 100 भाषाओं का किया जाएगा।

-भारतवाणी को पाठ्य पुस्तक, कोष, ज्ञान कोष, शब्द कोष, भाषा कोष और सूचना प्रौद्योगिकी कोष 6 भागों में बांटा गया है।

-अभी इस पोर्टल पर 22 भाषाओं से जुड़ा कंटेंट उपलब्ध है।

-दिसंबर के अंत तक इसमें 100 अन्य भाषाओं को भी शामिल कर लिया जाएगा।

-इसमें किसी भी भाषा में लिखने पर मनचाही भाषा में लिप्यान्तरण हो जाएगा।

-इसे किसी भी भाषा में लिखकर ट्विटर और फेसबुक पर शेयर भी किया जा सकता है।

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और क्या बोलीं स्मृति ईरानी ?

स्मृति ईरानी ने शिक्षा के भगवाकरण के लग रहे आरोपों पर तंज कसते हुए कहा, 'हमारे देश की समस्या है कि वह अपने लोगों पर कम बौर बाहरी लोगों पर ज्यादा भरोसा करती है।'

-ईरानी ने आईआईटी में संस्कृत पढ़ाए जाने के विषय पर में उठे विवाद पर नासा के साइंटिस्ट के 1980 में प्रकशित एक लेख का हवाला देते हुए बताया, 'रिचर्ड ब्रिग्स ने लिखा है कि भारत की भाषा-संस्कृति ही जीवित वैज्ञानिक भाषा है। इसलिए भारतीयों में तकनीक के प्रति समझ बहुत अच्छी है।'

-हाल ही में लोगों ने कहा की आप आईआईटी में संस्कृत पढ़वा रही हैं। ऐसा पहली बार हुआ कि अपनी भाषा पढ़ाए जाने पर मुझे दंडित किए जाने की आवाज उठी थी।

-उन्होंने कहा कि एक अमेरिकी यहां आकर शोध करता है तो ये चर्चा का विषय होता है हम गर्व महसूस करते हैं। लेकिन वहीं कोई भारतीय प्रोफ़ेसर अगर ऐसे शोध पत्र प्रकाशित कर दे तो पता नहीं उस पर क्या-क्या आरोप लगेंगे।

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हमारे संस्थान इंटरनेशनल रैंकिंग में नहीं आते

-आज भारत में 80 से ज्यादा भाषाएं हैं जिनका अंग्रेजी में अनुवाद नहीं हो सकता है।

-चर्चा है कि हमारे यहां के संस्थान इंटरनेशनल रैंकिंग में नहीं आते। उनके मानक में यही पूछा जाता है कि क्या आप इंग्लिश में पढ़ाया जाता है। यदि नहीं तो उस संस्थान को शामिल ही नहीं किया जाता। यह हमारे भाषा का अपमान है।

संपूर्णानंद संस्कृत विवि ने बढ़ाया मान

-लेकिन नेशनल रैंकिंग में संपूर्णानंद संस्कृत विवि का अपना स्थान है। यह देखकर ख़ुशी होती है।

-बच्चा अपनी मातृभाषा में आसानी से सीखता है।

-भारत में 1535 से ज्यादा मातृभाषा हैं लेकिन सभी के स्वर एक हैं।

-हमारी सरकार के 2 साल पूरे हो रहे हैं। मैं कहती हूं कि मोदी सरकार भारत को डिजिटल इंडिया में परिवर्तित करने का माद्दा रखती है।

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