Sonbhadra : अवैध अस्पतालों पर स्वास्थ्य महकमे की बड़ी कार्रवाई, पिता-पुत्र सहित चार संचालकों पर FIR
Sonbhadra: जनपद में अवैध अस्पतालों के खिलाफ स्वास्थ्य महकमे ने बड़ी कार्रवाई की है। इस कार्रवाई के दौरान पिता-पुत्र सहित तीन संचालकों पर एफआईआर दर्ज की गई है।
Sonbhadra: डीएम चंद्र विजय सिंह (DM Chandra Vijay Singh) के निर्देश के क्रम में अवैध तरीके से तथा मानक के विपरीत संचालित हो रहे अस्पतालों को लेकर स्वास्थ्य महकमे (Health Department) की तरफ से बड़ी कार्रवाई सामने आई है। निरीक्षण के दौरान मिली खामियों के बाबत संतोषजनक स्पष्टीकरण न मिलने की दशा में प्राइवेट चिकित्सालयों के नोडल डा. गुरू प्रसाद (Nodal Dr. Guruprasad) की तरफ से शाहगंज और पन्नूगंज थाने में धोखाधडी, इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट सहित धमकी दिए जाने के मामले में पिता-पुत्र सहित चार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।
स्वास्थ्य महकमे की कार्रवाई से हड़कंप की स्थिति
रविवार को सामने आई स्वास्थ्य महकमे की इस कार्रवाई से जहां हड़कंप की स्थिति उत्पन्न हो गई हैं। वहीं दर्जन भर से अधिक अन्य अस्पतालों पर भी एफआईआर एवं पंजीयन निरस्तीकरण का खतरा मंडराने लगा है।
अस्पताल के संचालक सहित 3 लोगों के खिलाफ केस दर्ज
बताते चलें कि पिछले दिनों राजा जी रोड रामगढ़ में संचालित सद्गुरू हास्पीटल में छापेमारी की गई थी। डा. गुरूप्रसाद की तरफ से दी गई तहरीर में बताया गया है कि अवैध तरीके से हास्पीटल का संचालन किया जा रहा था। इसमें मौके पर मिली प्रतिबंधित दवा का भी जिक्र किया गया है। पुलिस से हास्पीटल का संचालन पूर्णतया बंद कराने का भी अनुरोध किया गया है। प्रकरण में अस्पताल के संचालक अजय कुमार यादव के खिलाफ धारा 420 आईपीसी और इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट की धारा 16 के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी गई है।
उधर, शाहगंज में बगैर रजिस्ट्रेशन अस्पताल संचालित करने, जांच करने गई टीम के साथ दुर्व्यवहार करने, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट का उल्लंघन करने के आरोप में नोडल डा. गुरू प्रसाद की तरफ से सिद्नाथ चतुर्वेदी और उनके पुत्र आशीष चतुर्वेदी के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है। मामले में पुलिस ने धारा 332, 420, 504, 506 आईपीसीर और इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट की धारा 16 के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।
एक महीने में दो दर्जन से अधिक चिकित्सालयों में की छापेमारी
बताते चलें कि पिछले एक महीने के दौरान दो दर्जन से अधिक चिकित्सालयों में छापेमारी की गई है। वहीं लगभग 20 चिकित्सालय या तो बगैर पंजीयन या फिर मानकों की अनदेखी कर संचालित होते पाए गए। इसको लेकर कई बार नोटिस निर्गत की गई लेकिन कई की तरफ से अभी जवाब ही स्वास्थ्य महकमे के पास नहीं पहुंच सका है। माना जा रहा है कि दो-तीन दिन में कई और अस्पताल संचालकों के खिलाफ एफआईआर की स्थिति सामने आ सकती है। फिलहाल 12 अस्पताल बताए जा रहे हैं, जिन पर पंजीयन निरस्तीकरण की तलवार लटके होने की स्थिति बनी हुई है। उधर, सीएमओ डा. आरएस सिंह का कहना था कि जिन लोगों ने स्पष्टीकरण नहीं दिया है या स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं है, उनके खिलाफ नोडल को एफआईआर कराने के निर्देश दिए गए हैं।
मिली थीं भ्रूण हत्या के लिए प्रयोग की गई दवाएं, कराई गई एफआईआर
नोडल डॉक्टर की तरफ से पन्नूगंज थाने में जो दूसरी एफआईआर दर्ज कराई गई है उसमें भ्रूण हत्या के लिए दवाओं के प्रयोग का भी जिक्र किया गया है। तहरीर में अवगत कराया गया है कि रामगढ़ स्थित साईंनाथ पाली हास्पीटल पर जब एसडीएम और उनकी अगुवाई वाली टीम पहुंची तो वहां भ्रूण हत्या की दवा प्रयोग किया जाना पाया गया। बगैर चिकित्सक मरीज का उपचार होता मिला। मौजूद मिले स्टाफ सचिन कुमार और रजत कुमार ने टीम को अस्पताल के निरीक्षण से रोकने की भी कोशिश की। मामले में पुलिस ने अस्पताल संचालक महेश्वर निवासी रामगढ़ के खिलाफ धारा 420 आईपीसी और इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी।
सरकारी अस्पतालों की दुर्व्यवस्था जुगाड़ सिस्टम को दे रहा मजबूती
मानक के विपरीत तथा बगैर पंजीयन अस्पतालों पर कार्रवाई तो शुरू हो गई है लेकिन सरकारी अस्पतालों में व्याप्त दुर्व्यवस्था, खासकर नगर स्थित पीपीपी सेंटर और जिला अस्पताल परिसर स्थित 100 बेड के अस्पताल की स्थिति अभी भी खराब बनी हुई है। यहीं कारण है कि इन दोनों सेंटरों से कथित जुगाड़ सिस्टम का जुड़ाव, जच्चा-बच्चा की जान के लिए खतरा बना हुआ है। पिछले दिनों रेलवे फाटक के पास स्थित कृघा हास्पीटल में उपचार में लापरवाही के चलते हुई प्रसूता की मौत मामले में स्पष्ट तौर पर यह बात सामने आ चुकी है कि जच्चा-बच्चा अस्पताल से आशा के जरिए, प्रसूता को वहां पहुंचाया गया था। यह भी स्पष्ट हुआ था कि बिचौलियों का एक बड़ा सिंडीकेट जच्चा-बच्चा अस्पताल पहुंचने वाले प्रसूताओं को अच्छा-खासा कमीशन देने वाले निजी अस्पतालों तक पहुंचाने में लगा हुआ है। इस काम में अस्पताल से जुड़े कुछ लोगों की संलिप्तता की भी चर्चा जब-तब सुनने को मिलती रहती है।
कब थमेगा एक डाॅक्टर के नाम पर कई अस्पतालों के पंजीयन का खेल
बावजूद इस मामले में अब तक कार्रवाई न होने को लेकर, सवाल उठाए जा रहे हैं। हालांकि कृघा अस्पताल के मामले में मृतका के ससुर की तहरीर पर ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर के खिलाफ राबटर्सगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है। बावजूद एक ही डाॅक्टर के नाम पर कई अस्पतालों के पंजीयन का खेल कब तक रूकेगा? यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है।