Sonbhadra: नीलामी वाले कोयले की आड़ में हो रही 'ब्लैक डायमंड' की तस्करी, जाना था कहीं..पहुंच गया चंदासी मंडी
Sonbhadra News Today: महज 4 से पांच महीने में ही 'ब्लैक डायमंड' तस्करी से जुड़े चार बड़े सिंडीकेट सामने आने के बाद कोल इंडिया (Coal India) से लेकर केंद्रीय मंत्रालय तक हड़कंप की स्थिति है।
Sonbhadra News: नॉर्दर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड या एनसीएल (NCL) से विभिन्न डिओ होल्डरों द्वारा ली जाने वाली कोयले की नीलामी और इसका विभिन्न पावर प्रोजेक्टों के लिए परिवहन की आड़ में ब्लैक डायमंड (Black Diamond) की तस्करी के खुलासे ने कोल (COAL) और पावर सेक्टर (power sector) में हड़कंप की स्थिति पैदा कर दी है।
आपको बता दें कि, एनसीएल की खदानों से बाहर आने वाला कोयला राजस्थान, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश के खंडवा आदि जगहों पर जाने की बजाय नीलामी कोयले से जुड़े कागजातों की आड़ में चंदासी मंडी पहुंच जा रहा है। दो दिन पूर्व सोनभद्र पुलिस (Sonbhadra Police) और इससे पूर्व एसटीएफ की तरफ से किए गए खुलासे के बाद, केंद्रीय तथा राज्य की एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। तस्करी रैकेट में किस तरह के लोग शामिल हैं? इन्हें संरक्षण कहां से मिल रहा है? इन सारी चीजों की छानबीन शुरू कर दी गई है।
तस्करी के 4 बड़े सिंडीकेट आए सामने
बता दें कि, महज 4 से पांच महीने में ही 'ब्लैक डायमंड' तस्करी से जुड़े चार बड़े सिंडीकेट सामने आने के बाद कोल इंडिया (Coal India) से लेकर केंद्रीय मंत्रालय तक हड़कंप की स्थिति है। हाल के महीनों सबसे पहला खुलासा सिंगरौली पुलिस (Singrauli Police) की तरफ से सामने आया था। बीते दिनों मध्य प्रदेश के खंडवा जाने वाले कोयले को चंदासी मंडी (Chandasi Mandi) पहुंचने का खुलासा हुआ था। जिसके बाद, एडीजी वाराणसी (ADG Varanasi) की तरफ से दिए गए निर्देश पर सोनभद्र पुलिस ने एक ही रात में फर्जी कागजात पर चंदासी ले जाए जा रहे कोयला लदे 20 ट्रकों को पकड़ा था। जिसके बाद, तस्करों में खलबली मच गई थी। इस दौरान एक बड़े रैकेट का भी खुलासा हुआ था।
कई हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों का जुड़ाव
इसके बाद एसटीएफ ने अहरौरा में छापेमारी कर बड़े रैकेट का खुलासा किया था। जुलाई में एडीएम सहदेव मिश्रा ने कोल तस्करी से जुडे़ अंतर्राज्यीय रैकेट और उसके जरिए कृष्णशिला में कई मिलियन टन कोयले का अवैध भंडारण पकड़ कोलकाता से दिल्ली तक हलचल पैदा कर दी थी। हालांकि, इससे कई हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों के जुड़ाव के चलते प्रशासन को इसकी रिपोर्ट भेजने के बाद शांत होना पड़ा था। अब दो दिन पूर्व राजस्थान जाने वाले कोयले को चंदासी मंडी पहुंचने के खुलासे के बाद, जहां कोयला जगत से जुड़े लोग भौंचक्के हैं। वहीं, इस सिंडीकेट से कई हाईप्रोफाइल सफेदपोशों के जुड़े होने की चर्चा जोर पकड़ने लगी है।
मैनेजर-मुंशी ही 'मास्टरमाइंड'
अब तक जितने भी खुलासे सामने आए हैं, उसमें डीओ होल्डरों की संलिप्तता और उनके मुंशी-मैनेजरों की भूमिका मास्टरमाइंड के रूप में सामने आने लगी है। दो दिन पूर्व के खुलासे में सामने आए मास्टरमाइंड बबलू को एक डीओ होल्डर का मैनेजर बताया गया है। बताते चलें कि, डीओ होल्डर एनसीएल में होने वाली कोयले की नीलामी प्रक्रिया में भाग लेकर, कोयले का एक स्टाॅक हासिल कर लेते हैं और उसके परिवहन के कागजात की आड़ में विभिन्न राज्यों में बिजली परियोजनाओं को भेजे जाने वाले कोयले को, फर्जीवाड़े के जरिए चंदासी मंडी पहुंचा देते हैं।
वन विभाग भी नहीं समझता छानबीन की जरूरत
दिलचस्प मसला ये है कि वन विभाग ने भी कभी इसकी छानबीन की जरूरत नहीं समझी और ज्यादा से ज्यादा राजस्व हासिल करने के चक्कर, बगैर कागजातों की सत्यता जांचे अनपरा के काशी मोड वाले दफ्तर से, ट्रांजिट शुल्क की रसीद काट दी जाती है। वन विभाग का भी शुल्क कटा होने के कारण, रास्ते में कोई अवरोध नहीं आ पाता और कोयला आसानी से चंदासी पहुंच जाता है। हालांकि डीएफओ रेणुकूट की तरफ से की गई कार्रवाई में, बगैर कागजात कई कोयला लदे ट्रक पकड़े जा चुके हैं।
CBI रेड के समय चर्चित तस्कर ने बनाया चोपन को ठिकाना
साल 2009 में कोयले की तस्करी पर ऊर्जांचल में पड़ी सीबीआई रेड ने कोयला तस्करों की कमर तोड़ दी थी। इसके चलते 2016 तक चोरी-छिपे ही कोयले की तस्करी होती रही लेकिन 2017 में एक बार फिर से तस्करों ने ऊर्जांचल में जड़ जमाने की कोशिश की और साल दर साल तस्करी में बढ़ोत्तरी होती चली गई। बताते हैं कि सीबीआई रेड के समय सामने आए एक चर्चित चेहरे ने इन दिनों चोपन क्षेत्र को अपना ठिकाना बना लिया है। एक डिपो की आड़ में उसके जरिए भी कोयले की बड़े स्तर पर तस्करी होने की चर्चा है।