Sonbhadra: सरेबाजार नाबालिग का अपहरण कर किया था दुष्कर्म, दो को मिली उम्र कैद, साढ़े 9 वर्ष पुराना था मामला

Sonbhadra: साढ़े 9 साल पहले सरेबाजार नाबालिग का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने के मामले में दो दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।

Update: 2022-06-27 14:49 GMT

कोर्ट। (Social Media)

Sonbhadra: साढ़े 9 साल पहले सरेबाजार नाबालिग का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने के मामले में दो दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पॉक्सो की अदालत ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। मामले की सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर दोषी सीताराम और सरताज को उम्रकैद तथा प्रत्येक को 1.21 लाख अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने पर एक-एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतनी पड़ेगी। अर्थदंड की पूरी धनराशि जमा होने के बाद नियमानुसार पीड़िता को प्रदान की जाएगी।

अभियोजन कथानक के मुताबिक अनपरा थाना क्षेत्र (Anpara police station area) में, थाना क्षेत्र के ही एक व्यक्ति ने तहरीर दी। अवगत कराया कि वह 18 नवंबर 2012 को दोपहर तीन बजे अपनी साली के साथ अनपरा बाजार सामान खरीदने गया हुआ था। तभी वहां पर अनपरा थाना क्षेत्र (Anpara police station area) के दुगोड़वा, लोझरा निवासी सीताराम पुत्र रामसजीवन आ गया और उसकी साली के साथ जबरदस्ती करने लगा। उसने हस्तक्षेप किया तो सीताराम अपने चार साथियों के साथ मिलकर उसकी पिटाई शुरू कर दी और उसके साली को जबरिआ उठाकर बोलेरो में डाल दिया। जाते समय धमकी दी कि अगर पुलिस को सूचना दी तो घर को आग लगाकर उसकी हत्या कर देंगे।

19 नवंबर 2012 को पुलिस ने अपहरण और दुष्कर्म में की थी FIR दर्ज

तहरीर पर 19 नवंबर 2012 को पुलिस ने अपहरण और दुष्कर्म में एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू की। पर्याप्त सबूत मिलने पर सीताराम और डिबुलगंज निवासी सरताज सहित पांच के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया गया। मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुना। गवाहों के बयान और पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन किया। इसके आधार पर सीताराम और सरताज के खिलाफ दोषसिद्ध पाते हुए दोनों को उम्रकैद और प्रत्येक पर 1.21 लाख अर्थदंड की सजा सुनाई।

अर्थदंड अदा न करने पर एक-एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतने का आदेश पारित किया। जेल में बिताई गई अवधि सजा में समाहित की जाएगी। मामले में तीन आरोपी संतोष कुमार शुक्ल, अशोक यादव व अनिल श्रीवास्तव के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य न पाए जाने पर दोषमुक्त करार दिया गया। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी अधिवक्ता दिनेश अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह एडवोकेट ने पैरवी की

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