Sonbhadra News: मतगणना परिणाम तय करेंगे सियासी दिग्गजों का राजनीतिक भविष्य, अंतर्विरोध के असर पर टिकी निगाहें

Sonbhadra News: राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक जिले की चारों सीटों पर मतदान के दौरान जहां सपा और भाजपा में सीधी टक्कर का माहौल देखने को मिला।

Published By :  Divyanshu Rao
Update:2022-03-08 18:23 IST
यूपी विधानसभा चुनाव की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

Sonbhadra: विधानसभा के आखिरी चरण के मतदान के बाद अब सभी की निगाहें दस मार्च को होने वाली मतगणना के बाद आने वाले परिणाम पर टिक गई है। सोनभद्र में जिस तरह से प्रमुख दलों, खासकर राजनीतिक समीकरणों के लिहाज से जिले की सबसे हाट सीट बन चुकी सदर राबटर्सगंज सीट पर अंतर्विरोध की स्थिति सामने आई है। उसने दलों के पार्टी नेतृत्व तक को बेचैनी में डाल रखा है। इसको देखते हुए, आम मतदाताओं के साथ ही, प्रमुख दलों के शीर्ष नेतृत्व की भी निगाहें सोनभद्र में आने वाले चुनावी नतीजे पर टिकी हुई हैं। कहा जा रहा है कि संगठन में मजबूत पकड़ रखने वाले कई सियासी दिग्गजों के भविष्य के लिए इस बार के नतीजे टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक जिले की चारों सीटों पर मतदान के दौरान जहां सपा और भाजपा में सीधी टक्कर का माहौल देखने को मिला। वहीं घोरावल में कांग्रेस, राबटर्सगंज, ओबरा और दुद्धी में बसपा का समीकरण उलटफेर भरा नतीजा भी सामने लाने में कारगर साबित हो सकता है। इस दौरान जहां जनता के वोटिंग का अलग ट्रेंड देखने को मिला। वहीं अंतर्विरोध की झलक भी सियासी समीकरणों को उलझाए रही।

प्रमुख दलों के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से डैमेज कंट्रोल को लेकर खासा पसीना बहाया गया। प्रदेशस्तरीय नेताओं से लेकर मंत्रियों तक ने एक दूसरे के बीच की नाराजगी खत्म कराने की पहल की। कुछ हद तक कामयाब भी हुए लेकिन पूरी तरह स्थिति संभलती नहीं दिख पाई और मतदान के आखिरी क्षणों तक अंतर्विरोध की चर्चा बनी ही रह गई।

जिसे मिली सदर सीट पर जीत, उसकी बनी सरकार

जिले में घोरावल, ओबरा और दुद्धी विधानसभा सीट किसके हाथ लगेगी? इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाओं, अटकलों का बाजार तो गर्म है ही, सबसे ज्यादा चर्चा सदर यानी राबटर्सगंज विधानसभा सीट को लेकर बनी हुई है। लगभग दो दशक से यहां जिस पार्टी को जीत मिली, उसी की प्रदेश में सरकार बनती रही है। इसको देखते हुए, सदर सीट के परिणाम को लेकर लोगों में खासी उत्सुकता बनी हुई है।

कांग्रेस को अभी भी जमीनी आधार की तलाश

लड़की हूं, लड़ सकती है नारे.., छत्तीसगढ़ माडल के सहारे सोनभद्र में मैदान मारने की जुगत में जुटी कांग्रेस के लिए इस बार भी सोनभद्र में हालात बेहतर होते नजर नहीं आ रहे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि घोरावल छोड़, किसी भी सीट पर कांग्रेस सीधी टक्कर देती नजर नहीं आई। सदर सीट की स्थिति कांग्रेस के लिए सबसे खराब बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के लिए अभी भी जिले में जमीनी आधार की तलाश बनी हुई है।

बसपा के रणनीतिकार नहीं दे पाए जिताऊ समीकरण का संदेश

चुनावी सरगर्मी के शुरूआत से ही आम लोगों के बीच चर्चा में बसपा की जिले में मजबूत स्थिति मानी जाती रही। जातीय समीकरणों के लिहाज से प्रत्याशी चयन भी औरों से बेहतर रहा। चुनावी प्रचार के पीक में बसपा लोगों की जुबां पर मौजूद भी नजर आई लेकिन प्रचार के सबसे अहम चरण यानी आखिरी सप्ताह में, कहीं अति आत्मविश्वास तो कहीं खराब प्रबंधन बसपा को लोगों से धीरे-धीरे दूर करता चला गया। राजनीतिक समीक्षकों का दावा है कि बसपा के रणनीतिकार भी आखिरी समय में मतदाताओं के बीच जिताऊ समीकरण का संदेश दनेे में विफल रहे। यहीं कारण है कि अब बसपा के चुनावी लड़ाई की मजबूती, भाजपा-सपा के जीत का आधार मानी जा रही है।

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की तस्वीर (फोटो:न्यूज़ट्रैक)

सत्ता पक्ष ने झेला सबसे ज्यादा अंतर्विरोध, जिला नेतृत्व के करीबियों तक का दिखा अलग अंदाज

अंतर्विरोध के मामले में जहां सत्तापक्ष टाॅप पर रहा। वहीं जिला नेतृत्व के करीबियों का कई मसलों पर दिखा अलग अंदाज आम मतदाताओं को भी चैंकाता रहा। जिला नेतृत्व, जिस पर सभी को एक सूत्र में बांधे रखने की जिम्मेदारी थी, उसके कुछ ऐसे भी करीबी नजर आए, जो राबटर्सगंज विधानसभा सीट पर अपने सोशल मीडिया हैंडल से प्रचार करते रहे तो जमीनी प्रचार के लिए ओबरा और घोरावल विधानसभा क्षेत्र उनकी पहली पसंद बना रहा। चुनावी प्रबंधन के मसले पर भी चर्चाएं बनी रहीं। इसी तरह, चुनावी सर्वे में भाजपा से नजदीकी मुकाबले में मानी जा रही सपा अंतर्विरोध के मामले में दूसरे नंबर पर दिखी।

सपा के लिए भी सबसे ज्यादा अंतर्विरोध वाली सीट सदर विधानसभा ही नजर आई। बसपा में भी कुछ बिंदुओं पर अंतर्विरोध की स्थिति दिखी। वहीं कांग्रेस में आखिर तक कई मसलों पर वर्चस्व की ही लड़ाई चलती रही। यहीं कारण है, इस बार का चुनाव परिणाम और प्रमुख दलों के वोट शेयरिंग की स्थिति को, कई सियासी दिग्गजों की आगे की राजनीतिक पारी के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 

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