Sonbhadra News: जो जमीन सरकारी है... के नारे पर गरमाई सियासत, अमिताभ ठाकुर ने की ओमप्रकाश राजभर पर FIR की मांग की

Sonbhadra News: भाजपा द्वारा वित्त पोषित संरक्षण दिए जाने का आरोप लगाने के साथ ही, डीएम और सपा से ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग की।

Update:2023-10-01 13:38 IST

Sonbhadra News (Photo- Newstrack)

Sonbhadra News: सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर द्वारा सोनभद्र में जो जमीन सरकारी है वह जमीन हमारी है.. के लगवाए गए नारे और दिए गए बयान को लेकर सियासत तेज हो गई है। रविवार को सोनभद्र पहुंचे पूर्व आईपीएस एवं आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने इसको लेकर बड़ा हमला बोला। इस मामले को भाजपा द्वारा वित्त पोषित संरक्षण दिए जाने का आरोप लगाने के साथ ही, डीएम और सपा से ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग की। ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ किन-किन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए, इसके बारे में भी बताया।

सत्ताधारी नेताओं को बेनकाब करने की चलाएंगे मुहिम

2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी को सोनभद्र में मजबूत आधार देने के सिलसिले में पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने जहां भाजपा सरकार पर तानाशाही और यूपी में पुलिसिया राज कायम करने का आरोप लगाया। वहीं सोनभद्र में अवैध खनन और विकास कार्यों में भारी भ्रष्टाचार लगाने का आरोप लगाते हुए, इसके खिलाफ अभियान चलाकर इसमें शामिल तथा संरक्षण देने वाले सत्ताधारी नेताओं को बेनकाब करने की मुहिम छेड़ने का भी बड़ा ऐलान किया।

राजभर का बयान सोनभद्र को अस्थिर करने की कोशिश 

उन्होंने दो दिन पूर्व सोनभद्र आए ओमप्रकाश राजभर द्वारा दिए गए बयान और जो जमीन सरकारी है वह जमीन हमारी है.. के लगवाए गए नारे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कहा कि उनका यह बयान न केवल भावनाएं भड़काने वाला है बल्कि चार राज्यों से सटे सोनभद्र को अस्थिर करने की कोशिश है। डीएम-एसपी से मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए कहा कि ओमप्रकाश राजभर द्वारा दिया गया बयान पूरी तरह से एक आपराधिकृत कृत्य है। उन पर कौन-कौन सी आईपीसी की धाराएं लगनी चाहिए इसके बारे में बताते हुए, क्रिमिनल ला अमेंडमेंट एक्ट की धारा 7 के तहत भी मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग की।

डॉ. रोशन जैकब को खनन निदेशक पद से हटाए जाने की कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि वह सोनभद्र, बांदा, महोबा सहित अन्य जनपदों में अवैध खनन पर अंकुश लगाने में लगी हुई थीं। इसी कारण उन्हें खनन निदेशक के पद से हटा दिया गया।

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