Sonbhadra Exclusive: दुष्कर्म-पाक्सो एक्ट में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पति-पत्नी बन चुके युगल के खिलाफ नहीं चलाया जा सकता अभियोजन, केस रद
Sonbhadra Exclusive: न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से प्रतिपादित एक निर्णय का हवाला देते हुए कहा है कि यदि आपराधिक अभियोजन को जारी रखने की अनुमति दी जाती है, तो एक खुशहाल परिवार टूट जाएगा।;
Sonbhadra Exclusive: सोनभद्र से जुड़े दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट के मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है। पक्षों के बीच बनी सहमति और पीड़िता तथा मुख्य आरोपी के बीच बन चुके वैवाहिक संबंध को ध्यान में रखते हुए निचली अदालत में चल रही आपराधिक अभियोजन की कार्रवाई को रद्द कर दिया गया है। न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की बेंच ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से प्रतिपादित एक निर्णय का हवाला देते हुए कहा है कि यदि आपराधिक अभियोजन को जारी रखने की अनुमति दी जाती है, तो एक खुशहाल परिवार टूट जाएगा।
यह था मामला :
रायपुर थाना क्षेत्र के रहने वाले निरंजन जायसवाल और राहुल जायसवाल के खिलाफ नाबालिग के साथ दुष्कर्म और धमकाने के आरोप में, धारा 506, 376-डी, 342, 363 आईपीसी और पाक्सो एक्ट की धारा 5-एल, 5-जी एवं 6 के तहत नवंबर 2022 में केस दर्ज किया गया था। आरोप था कि स्कूल जाते समय पीड़िता को बाइक से जबरिया जंगल क्षेत्र में ले जाया गया जहां निरंजन ने उसके साथ दुष्कर्म किया और जान से मारने की धमकी दी। वर्ष 2023 में पुलिस की तरफ से मामले को लेकर चार्जशीट भी न्यायालय में दाखिल कर दी गई थी।
इनकी तरफ से पेश की गई दलीलें :
न्यायालय में दायर की गई चार्जशीट को आरोपी पक्ष की तरफ से अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्रा के जरिए हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। पिछले सप्ताह न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की बेंच ने मामले की सुनवाई की। बेंच के सामने अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्रा, राज्य के एडवोकेट जनरल (एजीए) और पीड़ित पक्ष की तरफ से अधिवक्ता विजय प्रकाश चतुर्वेदी ने अपनी-अपनी दलीलें पेश की।
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह में रचाई गई शादी बनी फैसले का बड़ा आधार:
बेंच ने सुनवाई के दौरान पाया कि पीड़िता के पिता की तरफ से 20 नवंबर 2022 को प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। प्राथमिकी के बाद, पीड़िता ने आवेदक-1 (निरंजन) के साथ 17 जनवरी 2024 को मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह कार्यक्रम में विधिक रीति रिवाज के साथ विवाह रचा लिया। जिला समाज कल्याण अधिकारी की तरफ से इसको लेकर विवाह प्रमाण पत्र भी जारी किया गया। शादी के बाद पक्षों ने न्यायालय के बाहर समझौता कर लिया। पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर, एक समझौता पत्र तैयार करते हुए 23 अक्टूबर 2024 को निचली अदालत के समक्ष आवेदन दायर किया गया और इसके जरिए आपराधिक कार्रवाई को समाप्त करने की मांग की गई।
पक्षों की सद्भावना को देखते हुए हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
हाईकोर्ट ने कहा कि मामले में पक्षों की सद्भावना स्पष्ट हो रही है। पीड़िता ने अधिवक्ता के माध्यम से बेंच के समक्ष उपस्थिति दर्ज कराई है, जो आरोपी पक्ष की तरफ से दाखिल किए गए आवेदन का विरोध नहीं करते। उपरोक्त के आधार पर, सुरक्षित रूप से यह तर्क दिया जा सकता है कि आवेदकों/याचिकाकर्ताओं की तरफ से किए गए किसी भी अपराध को अब समाप्त कर दिया गया है। अभियोक्ता/पीड़िता अब आवेदक की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी है और आवेदक के साथ उसकी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के रूप में रह रही है।
परिवार की खुशहाली के लिए आपराधिक अभियोजन रद्द करना जरूरी
इसलिए प्रश्नगत आपराधिक अभियोजन को आगे बढ़ाने में, अब कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा। यदि आवेदकों के आपराधिक अभियोजन को जारी रखने की अनुमति दी जाती है, तो एक खुशहाल परिवार टूट जाएगा। इस प्रकार, वर्तमान आवेदन को अनुमति दी जानी चाहिए। इसको दृष्टिगत रखते हुए न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की बेंच की तरफ से धारा 482 के तहत दाखिल याचिका को स्वीकार करते हुए विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट की अदालत में लंबित मामले को रद्द करने का फैसला सुनाया गया।