Sonbhadra News: मनरेगा-राज्य वित्त में बड़ा फर्जीवाड़ा, जांच में फंसी गर्दन तो जेई ने डीएम के सामने खोली पोल, कार्रवाई का हुआ निर्देश तो राइटिंग एक्सपर्ट से हस्ताक्षर जांच की दी गई रिपोर्ट
Sonbhadra News: सोनभद्र। चोपन ब्लाक में मनरेगा से कराए गए कार्यों के साथ ही ग्राम पंचायतों में राज्य वित्त से कराए गए कार्यों में बड़े फर्जीवाड़े की आशंका ने जहां, इससे जुड़े अफसरों की नींद उड़ा दी है।
Sonbhadra News: सोनभद्र। चोपन ब्लाक में मनरेगा से कराए गए कार्यों के साथ ही ग्राम पंचायतों में राज्य वित्त से कराए गए कार्यों में बड़े फर्जीवाड़े की आशंका ने जहां, इससे जुड़े अफसरों की नींद उड़ा दी है। वहीं, पुराने कुओं के जगत को नया दिखाकर, धनराशि हजम करने के एक मामले में, गर्दन फंसने के बाद, लघु सिंचाई विभाग के अवर अभियंता की तरफ से डीएम के सामने खोली गई फजीवाड़े की पोल को लेकर अंदरखाने हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि इसको लेकर डीएम की तरफ से दिए गए विधिवत जांच और आवश्यक कार्रवाई के निर्देश के मामले को फिलहाल, राइटिंग एक्सपर्ट से जांच कराने की जरूरत जताकर, एक नया पेंच फंसा दिया गया है। अब सभी की निगाहें, आगे की कार्रवाई पर टिकी हुई हैं।
शिल्पी गांव में निर्मित कुओं को लेकर हुई थी शिकायत
दरअसल 16 नवंबर 2022 को चोपन की रहने वाली सावित्री देवी की तरफ से शिल्पी गांव में कुओं के जगत निर्माण में घपलेबाजी की ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई गई थी। अपर आयुक्त ग्राम्य विकास ने मामले की जांच के निर्देश गए थे। 2 दिसंबर 2022 को तत्कालीन उपायुक्त मनरेगा शेषनाथ चौहान ने शिल्पी गांव जाकर जांच की और पांच कुओं के जगत के निर्माण में गड़बड़ी का दावा करते हुए संबंधित अवर अभियंता, ग्राम पंचायत सचिव और प्रधान को जिम्मेदार ठहराया। इस पर डीएम ने जिला विकास अधिकारी और सहायक अभियंता डीआरडीए को विस्तृत जांच के निर्देश दिए । मार्च 2022 में कमेटी ने जांच करते हुए, संबंधित अवर अभियंता, ग्राम पंचायत सचिव और प्रधान को दोषी ठहराया और कुल 1,03,481 रुपये के गबन की रिपोर्ट दी। कारण बताओ नोटिस की प्रक्रिया अपनाए जाने के बाद, प्रधान और सचिव को संबंधित राशि का 50-50 प्रतिशत राजकीय कोष में जमा करने के निर्देश दिए गए।
यहां आकर मामले ने लिया नया मोड़, डीएम ने दिए विधिवत जांच कर कार्रवाई के निर्देश
मामले में एक नया मोड तब आया जब अवर अभियंता ने महज तकनीकी स्वीकृति पर अपना हस्ताक्षर करते हुए, प्राक्कलन और नापी (एमबी) पर किसी और के हस्ताक्षर का दावा कर, अफसरों को हैरत में डाल दिया। कई और कार्यों में फर्जीवाड़े की बात कही। इस पर डीएम चंद्रविजय सिंह ने 26 जून 2023 को अधिशासी अभियंता लघु सिंचाई को विधिवत जांच करते हुए कार्रवाई का निर्देश दिया और पूरी रिपोर्ट तलब की।
छह माह बाद फंसाया गया एक्सपर्ट से राइटिंग जांच का पेंच
ज्हां जांच से लेकर रिकवरी नोटिस तक की प्रक्रिया महज छह माह में पूरी कर ली बई। वहीं, डीएम के विधिवत जांच और कार्रवाई के निर्देश की प्रक्रिया पूरी कर एक्ईएन लघु सिंचाई की तरफ से लगभग छह माह गुजार दिए गए। अब जाकर रिपोर्ट डीएम-सीडीओ को उपलब्ध कराई गई, जिसमें प्रधान, सचिव की तरफ से जेई के ही हस्ताक्षर होने और जेई की तरफ से फर्जी हस्ताक्षर होने के दिए गए शपथपत्र का हवाला देते हुए, अवर अभियंता के विभिन्न फाइलों में हुए हस्ताक्षर का सरकारी एजेंसी के राइटिग एक्सपर्ट से जांच कराने की जरूरत जताई गई।
इन सवालों का नहीं दिया गया कोई जवाब
डीएम ने निर्देश में उल्लेख किया था कि ग्राम पंचायत में कराए जाने वाले कार्य का भौतिक सत्यापन करते हुए उसका प्राक्क्लन तैयार करने और तकनीकी स्वीकृति दी जानी चाहिए थी लेकिन खुद जेई का दावा है कि उन्होंने बगैर कार्य के सत्यापन के ही तकनीकी स्वीकृति दे दी। कई बार फर्जी हस्ताक्षर का मामला प्रकड़ में आने के बावजूद, जेई ने न तो विभागीय अधिकारियों, न ही जिले के आला अधिकारियों को कोई सूचना देने की जरूरत समझी। डीएम का स्पष्ट कहना था कि जेई द्वारा अन्य तकनीकी अधिकारियों से प्राक्कलन कराकर दी जा रही तकनीकी स्वीकृति, शासकीय धनराशि के दुरूपयोग का बढ़ावा देना है लेकिन इन तथ्यों पर अब तक कोई कार्रवाई या जांच की बात सामने नहीं आई।