Sonbhadra News: यूपी में बढ़ी बिजली की मांग ने बनाया एक और नया रिकार्ड, 29147 मेगावाट पहुंची डिमांड
Sonbhadra News: यूपी सिस्टम लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक गत बुधवार की रात जहां बिजली की अधिकतम मांग 28090 मेगावाट रिकार्ड की गई।
Sonbhadra News: लगातार बढ़ती तपिश और बढ़ रही उमस की मार ने मई माह में बिजली खपत का एक बार नहीं, बल्कि दो बार अधिकतम मांग-खपत का नया रिकार्ड बना डाला। महज चार दिन पूर्व गत 21 मई की रात यूपी में अब तक की सर्वाधिक मांग/खपत 28336 मेगावाट रिकार्ड की गई। नया रिकार्ड बने एक सप्ताह भी नहीं गुजर पाए कि इस बीच बृहस्पतिवार की रात पीक ऑवर में तेजी से बढ़ी मांग ने मांग का आंकड़ा 29147 मेगावाट तक पहुंचाकर एक नया रिकार्ड बना डाला। शुक्रवार को भी बिजली की मांग और खपत में तेजी बनी रही। दोपहर में ही बिजली खपत का आंकड़ा 28496 मेगावाट पर पहुंच गया।
यूपी सिस्टम लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक गत बुधवार की रात जहां बिजली की अधिकतम मांग 28090 मेगावाट रिकार्ड की गई। वहीं, बृहस्पतिवार की दोपहर बाद बनी भारी उमस की स्थिति के चलते रात नौ बजते-बजते बिजली की मांग 29147 मेगावाट पर पहुंच गई। स्थिति को देखते हुए सिस्टम कंट्रोल की तरफ से जहां सोनभद्र सहित यूपी के कई हिस्सों में आपात कटौती का सहारा लिया गया। वहीं, एनर्जी एक्सचेंज से महंगी बिजली खरीदकर हालात संभाले जाते रहे।
अनपरा-ओबरा की एक-एक इकाइयों की ट्रिपिंग से बनी रही हायतौबा
रिकार्ड स्तर पर पहुंची मांग के बीच, प्रदेश सरकार को सबसे सस्ती बिजली मुहैया कराने वाले अनपरा और ओबरा बिजली घरों की एक-एक इकाई ठप रहने से पावर सेक्टर में हायतौबा की स्थिति बनी रही। अनपरा की पांच सौ मेगावाट वाली सातवीं यूनिट जहां ब्वायलर ट्यूब लिकेज के कारण बृहस्पतिवार से बंद चल रही है। वहीं, ओबरा की 200 मेगावाट वाली 11वीं इकाई आईडी फैन में आई खराबी के चलते पिछले एक सप्ताह से ठप है। परियेाजना प्रबंधन के मुताबिक दोनों इकाइयों को उत्पादन पर लाने के लिए युद् धस्तर पर कार्य जारी हैं। रविवार को दोनों इकाइयों से उत्पादन शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है।
तपिश के साथ तड़पाने का सबब बन सकती है बिजली की भारी मांग
एक तरफ मौसम विभाग की तरफ से दो जून तक हीटवेव को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। वहीं, दूसरी तरफ मई के आखिरी सप्ताह में तेजी से बढ़ी बिजली की मांग ने ऊर्जा जगत में भी बेचैनी की स्थिति उत्पन्न कर दी है। सूत्र बताते हैं कि महंगे टैरिफ करार के बाद भी राज्य सरकार को 27 हजार मेगावाट के इर्द-गिर्द ही बिजली उपलब्ध हो पा रहा है। शेष की जरूरत के लिए, एनर्जी एक्सचेंज का सहारा लेना पड़ रहा है जिसके लिए महंगे करार से भी ज्यादा कीमत अदा करनी पड़ रही है।
न्यूनतम मांग भी बढ़ोत्तरी का बना रहा रिकार्ड
पिछले वर्ष अधिकतम 19 हजार मेगावाट के इर्द-गिर्द रही न्यूनतम मांग, इस बार अभी से 22 हजार मेगावाट को पार कर चुकी है। सर्वाधिक बिजली खपत वाले जून और जुलाई माह अभी बाकी है। ऐसे में जहां बिजली की मांग 30 हजार मेगावाट को भी पार कर जाने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं, तेजी से बढ़ती मांग और लगतार महंगी बिजली खरीदने की स्थिति, दोपहर और पीक ऑवर के समय तड़पाने (कटौती) का सबब न बन जाए, इसकी भी चर्चा शुूरू हो गई है।