Sonbhadra News: 22 खदानों में खनन कार्य पर रोक, नहीं मिली SEIAA से पर्यावरण मंजूरी, क्रशर एसोसिएशन बजा सकता है संघर्ष का बिगुल
Sonbhadra News: पर्यावरणीय स्वीकृति न मिलने के चलते जिले के 22 पत्थर खदानों में खनन कार्य प्रतिबंधित करने का निर्णय लिए जाने का मामला सामने आया है।
Sonbhadra News: स्टेट लेवल इनवायरमेंट अथारिटी (एसईआईएए) से अभी तक पर्यावरणीय स्वीकृति न मिलने के चलते जिले के 22 पत्थर खदानों में खनन कार्य प्रतिबंधित करने का निर्णय लिए जाने का मामला सामने आया है। सूत्रों की तरफ से, बताया जा रहा है कि इसको लेकर एनजीटी की तरफ से दिए गए निर्देश के क्रम में, संबंधित खदान संचालकों को नोटिस जारी कर खनन गतिविधियां ठप रखने के निर्देश दिए गए हैं।
पर्यावरणीय स्वीकृति मिलने तक बंदी प्रभावी रहेगी। उधर, इस मामले पर जो सुगबुगाहट सामने आ रही है, उसको देखते हुए माना जा रहा है कि खनन गतिविधियों में आ रही दिक्कतों से जुडे़ मामलों के निस्तारण में देरी को लेकर क्रशर एसोसिएशन की तरफ से संघर्ष का बिगुल फूंके जाने का निर्णय लिया जा सकता है।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक एनजीटी की तरफ से इनवायरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथारिटी से पर्यावरणीय स्वीकृति के बाद ही, खनन पट्टों के संचालन के निर्देश दिए गए हैं। बताते हैं कि वर्ष 2016 और इससे पहले की स्वीकृत की गई कई खदानें ऐसी हैं, जिन्हें अब तक एसईआईएए से पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिल पाई है।
बताया जा रहा है कि इस मामले में संबंधित खदानों के पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए प्रस्ताव जिले से भेज दिया गया लेकिन राज्य स्तर पर इसको मंजूरी नहीं मिल पाया है। वहीं, प्रकरण में बगैर ईसी खनन पट्टों के संचालन पर एनजीटी की सख्ती को देखते हुए फिलहाल 22 खदानों में खनन गतिविधियां प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया गया है।
ऑनलाइन 24 खनन पट्टों का आवेदन दिख रहा लंबित
वहीं बृहस्तिवार की शाम तक की, जो ऑनलाइन स्थिति दिख रही हैं। उसमें 24 खनन पट्टों को पर्यावरणीय स्वीकृति अभी तक न मिल पाने की जानकारी यानी प्रस्ताव पेंडिंग होने का मामला सामने आ रहा है। इस बारे में जानकारी के लिए ज्येष्ठ खान अधिकारी शैलेंद्र सिंह से फोन और मैसेज दोनों के जरिए संपर्क साधा गया लेकिन उनकी तरफ से चुप्पी बनी रही।
पहले सीटीओ, अब ईसी के मामले ने मचाया हड़कंप
बतातें चलें कि इससे पहले, सीटीओ को लेकर खदानों का बंदी आदेश लंब समय तक कागजों में ही उलझाए जाने का मामला सामने आया था। एनजीटी की कड़ी सख्ती के बाद, बंदी प्रभावी की गई। अब उन खदानों के जरिए पर्यावरणीय क्षति कितनी हुई इसका निर्धारण और क्षतिपूर्ति वसूलने के निर्देश दिए गए हैं। अभी इस प्रकरण का पटाक्षेप होता, इससे पहले बगैर पर्यावरणीय स्वीकृति की प्रक्रिया पूरी कराए ही, खनन गतिविधियों के संचालन का मामला सामने आने के बाद हड़कंप की स्थिति बन गई है। हालांकि एक तरफ फिलहाल के स्थिति में बंदी की नोटिस की खबरें, दूसरी तरफ कथित खनन गतिविधियां संचालित होने को लेकर, कई सवाल भी उठाए जाते रहे।
क्रशर एसोसिएशन फूंक सकता है संघर्ष का बिगुल
प्रदेश सरकार को रायल्टी के रूप में अच्छा-खासा राजस्व देने वाला खनन बेल्ट कभी अवैध खनन तो कभी ऊंचे दामों पर तो कभी फर्जी परमिट रैकेट की सक्रियता की मार झेल रहा है। खनन को नियंत्रित तथा पर्यावरण मानकों को अनुकूल बनाने के लिए लागू किए जाने प्रावधानों के पालन और महज कागजी खानापूर्ति, बाद में अचानक से बंदी जैसे निर्णय भी खनन उद्यमियों में नाराजगी का कारण बन रहे हैं। एक तरफ जहां सीएम की तरफ से एसयूजी नंबर पर आने वाली हर कॉल रिसीव करने के निर्देश हैं, वहीं जिले के खान महकमे में कॉल रिसीव न करना, गंभीर मसले पर भी टालमटोल भरा जवाब देकर कन्नी काटने की परंपरा सी बनने लगी है।