Sonbhadra News: बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे कनहर के विस्थापित, घर-जमीन गंवाने के बाद झोपड़ी बना ठिकाना
Sonbhadra News: सोमवार को यहां पहुंचे एक संगठन के लोगों से विस्थापितों ने जिस तरह का दर्द बयां किया, उसने वहां मौजूद हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया।
Sonbhadra News: कनहर परियोजना का मुख्य हिस्सा कनहर बांध पूरा होने के बाद जहां यूपी के 108 गांवों में जल्द सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने की उम्मीद जताई जाने लगी है। वहीं, इस परियोजना से विस्थापित होने वाले तमाम परिवार ऐसे हैं, जिनके सामने समस्याएं चुनौती बनकर खड़ी हो गई हैं। सोमवार को यहां पहुंचे एक संगठन के लोगों से विस्थापितों ने जिस तरह का दर्द बयां किया, उसने वहां मौजूद हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया।
बांध में डूब गया घर-मकान, अब झोपड़ी बनी जीने का सहारा
कोरची निवासी रमेश खरवार को सरकार से कोई विस्थापन लाभ नहीं मिला। इस वर्ष बांध में पानी भरने के साथ ही उनका खेत और मकान भी डूब गया। रहने के लिए उन्हें कनहर विस्थापित कॉलोनी में एक जमीन का टुकड़ा जरूर मिला, लेकिन उसपर सरकार से किसी तरह के आवास की सुविधा नहीं मिली। मजबूरन इस जमीन पर उनके द्वारा बांस बल्ली के सहारे खड़ी की गई झोपड़ी ही रहने का सहारा है। रमेश का कहना है कि तेज बरसात के समय पत्नी और तीन बच्चों के साथ रात जागते हुए गुजारनी पड़ती है। सुंदरी निवासी मुख्तार आलम के मुताबिक उनके तीन बेटे, जाबिर हुसैन, साबिर हुसैन और कादिर हुसैन हैं। उनका नाम भी विस्थापन पैकेज में था लेकिन विस्थापन सूची में उनका नाम नदारद हो गया और बगैर किसी विस्थापन लाभ के ही जमीन से बेदखल होना पड़ा।
बगैर मुआवजे के ही कई बीघे जमीन से होना पड़ा बेदखल
कोरची गांव में 50 बीघे के काश्तकार विंदेश्वरी की एकमात्र पुत्री राजमनिया और 20 बीघे के काश्तकार सुंदरी निवासी जसीमुद्दीन की पुत्री बेबी का भी नाम विस्थापन सूची से नदारद है। यूपी राजस्व संहिता के अनुसार बेटी भी पुत्र के न रहने पर पिता की संपत्ति में हकदार है लेकिन वर्ष 2014 में कनहर परियोजना को लेकर तैयार की गई विस्थापन सूची में बेटियों को पिता की संपत्ति के हकदार जैसी बात को पूरी तरह से नकार दिया गया। मजबूरन महिला मुखिया वाले परिवारों को बगैर मुआवजे के ही घर-जमीन छोड़कर दूसरा ठिकाना तलाशना पड़ा।
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बुनियादी सुविधाएं भी बनती जा रहीं स्वप्न
विस्थापितों की मानें तो उनकी बस्ती में बुनियादी सुविधाओं का भी खासा टोटा है। यहां अस्पताल की बिल्डिंग जरूर है लेकिन उसमें डॉक्टरों, दवाओं की जगह, ताला लटका हुआ है। यहां स्थित बेसिक परिषदीय विद्यालय में 1000 बच्चों को पढ़ाने के लिए महज दो शिक्षक तैनात हैं। सड़क, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा से भी बस्ती का अधिकांश हिस्सा वंचित है।
3100 परिवार हो गए हैं विस्थापन लाभ से वंचित
विस्थापित नेताओं का दावा है कि बघाडू में 66, गोहडा में 60, अमवार में 158, कुदरी में 122, बरखोहरा में 346, सुगवामान 331, कोरची में 733, भीसुर में 425, सुंदरी में 776, लांबी में 88, रंदह में 18 कुल लगभग 3100 परिवार विस्थापन पैकेज के लाभ से वंचित हो गए हैं।
मानवाधिकार आयोग को भेजी गई हालात की जानकारी
ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को पत्र भेजकर विस्थापितों के हालात की जानकारी दी है। बताया है कि शुद्ध पेयजल, शौचालय, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई जैसी समस्याओं से विस्थापित जूझने को मजबूर हैं। पत्र में यह भी कहा गया है कि सरकारी सूची में शामिल बहुतेरे लोगों को अभी तक विस्थापन पैकेज का लाभ नहीं मिला है। जबकि बांध का निर्माण पूर्ण होने के चलते उन्हें बेघर होना पड़ा है। दुद्धी में आईपीएफ जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका, कनहर विस्थापित नेता व पूर्व प्रधान इस्लामुद्दीन, गंभीरा प्रसाद, मजदूर किसान मंच के जिलाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद गोंड की मौजूदगी वाला एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को तहसील पहुंचा। वहां मिले नायब तहसीलदार विशाल पासवान को एसडीएम दुद्धी को संबोधित पत्रक सौंपा और कनहर विस्थापितों की समस्याओं को लेकर सिंचाई परियोजना के अधिकारियों के साथ वार्ता आयोजित कराने का अनुरोध किया। बताया कि कि 16 अगस्त को नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के साथ एक सम्मेलन दुध्दी सिविल बार एसोसिएशन के हॉल में आयोजित किया जाएगा। जिसमें विस्थापितों के हक के लिए आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।
विस्थापितों के मुद्दे पर आंदोलन की रणनीति
विस्थापितों के मसले को लेकर ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के एक प्रतिनिधिमंडल ने तहसील प्रशासन को एक पत्रक सौंपा और विस्थापितों के मसलों के समुचित समाधान तथा विस्थापित कालोनी में बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराने की मांग की। मामले को लेकर 16 अगस्त को दुद्धी तहसील मुख्यालय पर सम्मेलन आयोजित करने और मसले को लेकर आंदोलन की रणनीति बनाने का भी ऐलान किया गया।