Sonbhadra News: रिहंद डैम के किनारे हुआ था दुष्कर्म, मिली 10 साल की सजा
Sonbhadra News: साढ़़े सात वर्ष पूर्व 8 वर्षीय मासूम से किए गए अप्राकृतिक दुष्कर्म मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने की।;
Sonbhadra News (Image From Social Media)
Sonbhadra News: पिपरी थाना क्षेत्र के रिहंद डैम से जुड़े डोगिया नाला किनारे घूमने गए मासूम के साथ दुष्कर्म किए जाने के मामले में, दोषी को 10 वर्ष के कठोर कैद की सजा सुनाई गई है। 25 हजार के अर्थदंड से भी दंडित किया गया है। साढ़़े सात वर्ष पूर्व 8 वर्षीय मासूम से किए गए अप्राकृतिक दुष्कर्म से जुड़े इस मामले की सुनवाई बृहस्पतिवार को अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट सोनभद्र अमित वीर सिंह की अदालत ने की।
अधिवक्ताओं की तरफ से पेश की गई दलीलों, पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों और गवाहों की तरफ से परीक्षित कराए गए बयानों के आधार पर दोषसिद्ध पाया गया। इसके लिए दोषी बबलू उर्फ राधेश्याम को 10 वर्ष की कैद के साथ ही 25 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड अदा न करने की दशा में एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए कहा गया।
अभियोजन कथानक के मुताबिक पिपरी थाना क्षेत्र के रहने वाली एक महिला ने 17 सितंबर 2017 को पिपरी थाने पहुंचकर पुलिस को एक तहरीर सौंपी। इसके जरिए अवगत कराया कि 14 सितंबर 2017 दोपहर सा़ढ़े़ बारह बजे उसका आठ वर्षीय छोटा बेटा डोगिया नाला की तरफ निकला हुआ था। आरोप लगाया कि बबलू उर्फ राधेश्याम पुत्र प्रेम कुमार निवासी तुर्रा, थाना पिपरी उसे डोगिया नाला की तरफ साथ लेकर गया था। इसे उसके उसके मझले लड़के ने देखा भी था। और घर आकर इसकी जानकारी भी दी।
बेटे के आने में हुई देर तो की तलाश, पता चली घटना
जब पीड़ित को घर लौटने में देर हुई तब उसकी मां मझले लड़के से मिली जानकारी के आधार डोंगिया नाला की तरफ गई। आरोप लगाया कि जब वह मौके पर पहुंची तो देखा कि उसके 8 वर्षीय बेटे के साथ बबलू अप्राकृतिक दुष्कर्म कर रहा था। जब उसने उसे देखा तो वहां से भाग निकला। प्रकरण की दी गई तहरीर पर पिपरी पुलिस ने धारा 377 आईपीसी और पाक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर विवेचना की। पर्याप्त सबूत मिलने का दावा करते हुए न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की।
पीड़ित-गवाह दोनों ने की आरोप की पुष्टि
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्क तो सुने ही, गवाहों द्वारा परीक्षित कराए गए बयान और पत्रावली पर उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों का भी गहनता से परिशीलन किया। पीड़ित-गवाह दोनों की तरफ से आरोपों की पुष्टि की गई। इसके आधार पर दोषसिद्ध पाते हुए बबलू उर्फ राधेश्याम को अप्राकृतिक दुष्कर्म के अपराध के लिए 10 वर्ष के कठोर कारावास और पाक्सो एक्ट के अपराध के लिए सात वर्ष के कठोर कारावास से दंडित किया गया।
वहीं, कुल 25 हजार अर्थदंड की भी सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने की दशा में एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए कहा गया। आदेशित किया गया कि अर्थदंड की धनराशि जमा होने के बाद उसमें से 20 हजार की राशि पीड़िता को प्रदान की जाएगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी अधिवक्ता दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह ने मामले की पैरवी की।