Sonbhadra News: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के नियुक्ति की हो उच्चस्तरीय जांच, ईडब्ल्यूएस कोटे में आरक्षित वर्ग के चयन पर सवाल

Sonbhadra News: भर्ती के एवज में कथित डेढ़ लाख मांगने के ऑडियो को लेकर भी जांच और कार्रवाई की मांग उठाई। 48 घंटे के भीतर कार्रवाई न होने पर धरने का अल्टीमेटम दिया।;

Update:2025-03-17 20:43 IST

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Sonbhadra News: आंगनबाड़ी कार्यकर्तियों की नियुक्तियों में कथित गड़बड़ी का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। मारकुंडी ग्राम पंचायत सहित अन्य जगहों पर हुई नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए जहां पिछले सप्ताह डीपीओ और सीडीओ को शिकायती पत्र सौंप कार्रवाई की गुहार लगाई गई थी। वहीं, सोमवार को सदर तहसील में आयोजित समाधान दिवस की अध्यक्षता कर रहे एडीएम सहदेव मिश्रा को शिकायत सौंप प्रकरण की जांच और कार्रवाई की मांग की गई।

भर्ती के एवज में कथित डेढ़ लाख मांगने के ऑडियों को लेकर भी जांच और कार्रवाई की मांग उठाई गई। 48 घंटे के भीतर कार्रवाई न होने पर धरने का अल्टीमेटम भी दिया गया। उधर, नगवां ब्लाक के पौनी में ईवीएस कोटे में प्रथम स्थान पर अनुसूचित वर्ग की अभ्यर्थी और दूसरी वरीयता पर पिछड़े वर्ग की अभ्यर्थी के चयन पर भी सवाल उठाते हुए कार्रवाई की मांग तेज कर दी गई है। मामले को लेकर डीएम और डीपीओ के यहां शिकायत दर्ज कराई गई है।

ऑडियो का संज्ञान लेते हुए की जाए कार्रवाई:

मारकुंडी में कार्यकर्ती चयन की अपनाई गई प्रक्रिया की अभ्यर्थी रही रेनू यादव का आरोप था कि वह प्रथम स्थान पर चयन के लिए पात्र थी लेकिन इसके लिए डेढ़ लाख की मांग की गई। रकम न दिए जाने पर सूची से बाहर करते हुए, अपात्र को प्रथम-द्वितीय स्थान पर चयनित कर लिया गया। दावा किया गया कि कई सेंटरों पर हुई नियुक्तियों में गड़बड़ियां बरती गई हैं। कथित ऑडियो के आधार पर, मामले की गहन जांच करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई आवाज उठाई गई।कहा गया कि अगर इस मामले में जल्द प्रभावी कार्रवाई सामने नहीं आई तो धरने का रास्ता अपनाया जाएगा।

ईडब्ल्यूएस कोटे में कर दी आरक्षित श्रेणी की भर्ती का आरोप:

उधर, ईडब्ल्यूएस कोटे के लिए आरक्षित सीट पर आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के चयन का आरोप लगाया गया है। नगवां विकास खंड की पौनी गांव निवासी विभा शुक्ला पत्नी सूर्यप्रकाश शुक्ला ने डीएम और डीपीओ को दी शिकायत में कहा है कि शहरी/ग्रामीण क्षेत्र में बाल विकास परियोजना के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ती चयन के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। सीधी भर्ती प्रक्रिया के तहत संबंधित वेबसाइड पर ऑनलाइन आवेदन किया गया था।

पौनी गांव की सीट ईडब्ल्यूएस यानी गरीब सवर्ण कोटे के लिए आरक्षित थी। दावा किया गया है कि इस कोटे के तहत आवेदन करने के साथ ही, ईडब्ल्यूएस का प्रमाणपत्र भी उपलब्ध कराया गया लेकिन जब चयन सूची सामने आई तो पता चला कि ईडब्ल्यूएस कोटे पर आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी चयन कर लिया गया है। दावा किया जा रहा है कि पहले स्थान पर चयनित अभ्यर्थी अनुसूचित वर्ग से आती है। वहीं, दूसरे स्थान पर चयनित अभ्यर्थी का संबंध पिछड़े वर्ग से है।

जब EWS के थे अभ्यर्थी तो आरक्षित वर्ग की काउंसलिंग कैसे

शिकायत में दावा किया गया है कि प्रथम-द्वितीय स्थान पर चयनित अभ्यर्थी पौनी की बजाय पटवध ग्राम पंचायत की रहने वाली और पटवध गांव के लिए रिक्ति भी घोषित की गई थी।यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि जब सीट ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित थी और इस वर्ग के अभ्यर्थियों ने आवेदन भी किया था, तो किस व्यवस्था, किस नियम के तहत, ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थी को दरकिनार कर आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के आवेदन को अर्ह ठहराते हुए काउंसलिंग करा ली गई।

EWS अभ्यर्थी न होने पर अनारक्षित चयन प्रक्रिया का नियम 

ईडब्ल्यूएस मसले पर डीपीओ विनीत सिंह का फोन पर कहना था कि ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित वर्ग पर इस श्रेणी का कोई अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं है या उसने इसका प्रमाणपत्र नहीं लगाया है तो उस सीट को अनारक्षित मानते हुए चयन की प्रक्रिया अपनाए जाने का शासनादेश है। पौनी मामले में कहा कि प्रकरण संज्ञान में आया है, जल्द संबंधित को इसका जवाब उपलब्ध करा दिया जाएगा।

वहीं, अभ्यर्थी का दावा है कि उसने आवेदन के समय ईडब्ल्यूएस श्रेणी का उल्लेख तो किया ही था, इसका प्रमाणपत्र भी उपलब्ध कराया था। सच्चाई क्या है, यह तो उच्चस्तरीय जांच के बाद ही सामने आएगा। फिलहाल वायरल ऑडियो, ईडब्ल्यूएस मसले पर अभ्यर्थियों की शिकायत सही है या विभाग के दावे, यह तो उच्चस्तरीय जांच के बाद ही सामने आएगा, फिलहाल संबंधित प्रकरणों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।

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