Sonbhadra : दहेज हत्या के मामले में पिता-पुत्र को सात वर्ष की कठोर कैद, शादी के महज एक साल के भीतर गर्भवती हाल में हुई थी विवाहिता की मौत
Sonbhara News: शादी के महज एक साल के भीतर संदिग्ध परिस्थितियों में जहरीले पदार्थ के सेवन से विवाहिता की मौत मामले में न्यायालय का बड़ा फैसला आया है।
Sonbhadra News: दहेज के लिए प्रताड़ित करने और शादी के महज एक साल के भीतर संदिग्ध परिस्थितियों में जहरीले पदार्थ के सेवन से विवाहिता की मौत मामले में न्यायालय का बड़ा फैसला आया है। इसे दहेज हत्या का मामला पाते हुए पति-ससुर (पिता-पुत्र) को सात वर्ष के कठोर कैद की सजा सुनाई गई है। मामला राबटर्सगंज कोतवाली क्षेत्र से जुड़ा है। अपर सत्र न्यायाधीश (एफटीसी) अर्चना रानी की अदालत ने शुक्रवार को इस मामले की फाइनल सुनवाई की। अधिवक्ताओं की तरफ से दी गई दलीलों और पत्रावली में उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों के आधार पर दोषसिद्ध पाते हुए उपरोक्त फैसला सुनाया गया।
मई 2014 में हुई थी शादी, मार्च 2015 में हो गई मौत
अभियोजन कथानक के मुताबिक जगदीश उर्फ कल्लू पुत्र निवासी कूसी, थाना राबर्टसगंज ने 16 मार्च 2015 को राबटर्सगंज कोतवाली पहुंचकर एक तहरीर दी। आरोप लगाया कि उसके पुत्री चंदा की शादी श्यामसुंदर पुत्र बद्री निवासी बड़गांव, थाना राबर्टसगंज के साथ मई 2014 में हिंदू रीति रिवाज के साथ हुई थी। अपनी क्षमता अनुसार उसने दान-उपहार भी दिया। बावजूद बद्री और श्यामसुंदर उससे सोने की सीकडी, अंगूठी और एक लाख नकदी की मांग करने लगे। असमर्थता जताने पर पहले बेटी की विदाई कराने से इंकार कराई। किसी तरह विदाई कराई तो उसे लगातार प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। 13 मार्च 2015 की रात उसने भाई सुरेश और अपनी मां से फोन पर आपबीती बताई। 14 मार्च 2015 को बेटी के ससुराल पहुंचे तो पता चला कि उसे अस्पताल ले जाया गया है। कुछ देर बाद पता चला कि उसकी मौत हो गई। पुलिस को दी तहरीर में दहेज के लिए उसके साथ मारपीट करने, इसके चलते उसकी मौत होने का आरोप लगाया गया। पुलिस ने धारा 498ए, 304बी आईपीसी और धारा 3/4 डीपीएक्ट के तहत मामला दर्ज कर, पर्याप्त सबूत मिलने का दावा करते हुए न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया।
पीएम में मृतका को गर्भवती होने की मिली जानकारी
प्रकरण की सुनवाई के दौरान सामने आए साक्ष्यों से पता चला कि मृतका मृत्यु के समय गर्भवती थी। पीएम करने वाले डॉक्टर ने अदालत में बताया कि मृत्यु के पश्चात् शव में अकडन की स्थिति मौजूद थी और उसके गर्भाशय में बच्चा था। मृत्यु का कारण निश्चित न होने पर डॉक्टर की तरफ से विसरा प्रिजर्व किया गया। विष विज्ञान प्रयोगशाला से जो रिपोर्ट आई, उसमें एल्युमिनियम फास्फाइड विष कीइ पुष्टि हुई। सुनवाई के दौरान पेश की गई दलीलों और सामने आए साक्ष्यों के जरिए अदालत ने यह माना कि मृत्यु पूर्व मृतका के साथ क्रूरता की गई थी।
जानिए किस अपराध के लिए कितनी दी गई सजा
मामले में धारा 498ए आईपीसी के अपराध के लिए तीन वर्ष का कठोर कारावास, एक-एक हजार अर्थदंड, धारा 304बी आईपीसी के अपराध के लिए सात वर्ष का कठोर कारावास, धारा 4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम के अपराध के लिए एक वर्ष का कठोर कारावास तथाएक-एक हजार अर्थदंड लगाया गया। अर्थदण्ड अदा न करनेकी दशा में एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतने के लिए कहा गया। सभी सजा साथ-साथ चलेगी। जेल में पूर्व में विताई गई अवधि, सजा में समाहित की जाएगी। अभियोजन की तरफ से मामले की पैरवी सरकारी अधिवक्ता दिनेश प्रसाद अगहरि, सत्यप्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह ने की।