Sonbhadra: सिस्टम की मार के शिकार ’कांता’ के परिजनों को सरकारी तंत्र से नहीं पहुंची मदद, मंत्री बोले-कराई जाएगी जांच..

Sonbhadra: म्योरपुर ब्लाक अंतर्गत शक्तिनगर थाना क्षेत्र के चिल्काटांड़ गांव निवासी बुजुर्ग कांता पांडय को सरकारी कोटे की दुकान से मिलने वाला अनाज चार साल से बंद कर दिया गया था।

Update:2024-11-21 16:47 IST

सिस्टम की मार के शिकार ’कांता’ के परिजनों को सरकारी तंत्र से नहीं पहुंची मदद (न्यूजट्रैक)

Sonbhadra News: सिस्टम के जाल में फंसकर, मुफलिसी के मार के चलते जान गंवाने वाले कांता पांडेय के परिजनों को मौत के सप्ताह भर बाद भी सरकारी तंत्र की तरफ से कोई मदद नहीं मिल पाई है। जनजातीय गौरव दिवस में शामिल होने पहुंचे प्रदेश सरकार के मंत्री भी इसको लेकर कोई ऐलान नहीं कर पाए। हालांकि समाज कल्याण राज्य मंत्री असीम अरूण, संजीव सिंह गोंड़ के साथ पत्रकारों के सवाल का जवाब दे रहे जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि उनकी सरकार प्रत्येक जाति-वर्ग को कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित करने में लगी हुई है। कोई भूखा न रहने पाए, इसका खास ख्याल रखा जा रहा है। कांता के मामले में किस स्तर पर चूक हुई? इसकी जांच कराई जाएगी।

बताते चलें कि म्योरपुर ब्लाक अंतर्गत शक्तिनगर थाना क्षेत्र के चिल्काटांड़ गांव निवासी बुजुर्ग कांता पांडय को सरकारी कोटे की दुकान से मिलने वाला अनाज चार साल से बंद कर दिया गया था। वहीं, उन्हें मृतक दर्शाकर 18 माह से उनकी पेंशन रोक दी गई थी। आर्थिक तंगी से गुजर रहे कांता और उनके परिवार के लोग, लगातार ब्लाक से लेकर जिला मुख्यालय का चक्कर काट रहे थे। राशन की प्रकरण की जहां किसी ने संज्ञान लेने की जरूरत नहीं समझी। वहीं, पेंशन के मामले में तीन-चार माह पूर्व समाज कल्याण विभाग की ओर से निदेशालय को पत्र जरूर भेजा गया लेकिन यह कवायद भी सिस्टम से जुड़ी प्रक्रिया के जाल में उलझ कर रह गई। आयुष्मान कार्ड की सुविधा न मिलने से इलाज की सुविधा भी कहीं से मयस्सर नहीं हो पाई। आखिरकार गत 13 नवंबर को कांता की सांसें थम गई।

प्रकरण लगातार बना हुआ था मीडिया की सुर्खियां, फिर भी नहीं टूटी तंद्रा

पिछले कई दिनों से यह प्रकरण मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है। बावजूद न तो उनके जिंदा रहते, संबंधित परिवार या व्यक्ति को किसी योजना का लाभ तात्कालिक तौर पर उपलब्ध कराने की जरूरत समझी गई न ही, कांता की मौत पर आर्थिक तंगी से गुजर रहे परिजनों को मदद कौन कहे, संवेदना के दो शब्द भी किसी संबंधित की तरफ से सामने नहीं आए। मौत के बाद परिवार की आर्थिक तंगी, एकमात्र पुत्र के दिव्यांग होने, मजदूरी के जरिए किसी तरह गुजर-बसर की बात सामने आने के बावजूद जहां अब तक सरकारी तंत्र की ओर से चुप्पी की स्थिति बनी हुई है। वहीं किसी को मृतक दर्शाने के लिए अच्छी-खासी प्रक्रिया का प्रावधान होने के बावजूद, महज सत्यापन के नाम पर जिंदा व्यक्ति को मृतक दिखाने के मामले की कोई प्रक्रिया सामने नहीं आ सकी।

कर्मकांड के लिए आम लोगों ने बढ़ाए मदद को हाथ

परिवार की तरफ से कर्मकांड के लिए भी पर्याप्त धनराशि न होने की जानकारी के बाद आम लोगों की तरफ से मदद को लेकर तेजी से हाथ आगे बढ़ाए गए हैं। जय मां दुर्गा पूजा सेवा समिति ब्रह्मनगर, राबटर्सगंज कमेटी अध्यक्ष एवं समाजसेवी गिरीश पांडेय की अपील पर, जिला मुख्यालय क्षेत्र से कई लोगों ने, थोडी-थोडी मदद राशि ऑनलाइन पहुंचानी शुरू की है। गिरीश पांडेय ने बताया कि उनकी अपील पर आम समाज से कई लोग थोड़ी-थोड़ी मदद के लिए आगे आए हैं। मृतक परिवार से जुड़े खाते में कर्मकांड के लिए धनराशि भेजी जा रही है। मृतक के पुत्र गोपाल पांडेय का कहना था कि आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण, कर्मकांड को लेकर चिंता बनी हुई थी। गिरीश पांडेय की अपील पर, गिरीश पांडेय के साथ ही, राजीव पांडेय, विनय दूबे, राजू चौबे, रविशंकर मिश्रा, अनूप द्विवेदी, विद्यासागर उपाध्याय, शनि मिश्रा, श्रवण मिश्रा आदि की तरफ से मदद सामने आई है।

पत्रकारों ने उठाए सवाल तो एकबारगी मंत्री भी रह गए अवाक

उधर, सलखन में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस में शामिल होने के लिए पहुंचे जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह भी पत्रकारों की तरफ से उठाए गए सवाल पर अवाक रह गए। कहा कि उनकी सरकार लगातार जरूरतमंदों को योजनाओं से लाभान्वित करने में लगी हुई है। कांता के मामले में कैसे और किस स्तर पर लापरवाही हुई, इसकी जानकारी ली जाएगी। साथ में मौजूद समाज कल्याण राज्यमंत्री असीम अरूण ने भी कहा कि, जलशक्ति मंत्री की तरफ से दिया गया बयान उनका भी बयान है। बताया जा रहा है कि इसको लेकर संबंधितों से रिपोर्ट भी तलब की गई है। मंत्री के हस्तक्षेप के बाद क्या स्थिति बनती है? इस पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं।

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