सोनभद्र खूनी-खेल का खुलासा: आईएएस, ट्रस्ट और प्रधान की मिलीभगत

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में बीते बुधवार की हुए नरसंहार में ग्राम प्रधान सहित 11 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। खूनी संघर्ष में इस्तेमाल किए गए हथियारों को पुलिस ने बरामद कर लिया है।

Update: 2019-07-19 04:37 GMT

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में बीते बुधवार की हुए नरसंहार में ग्राम प्रधान सहित 11 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। खूनी संघर्ष में इस्तेमाल किए गए हथियारों को पुलिस ने बरामद कर लिया है।

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पुलिस ने सभी नामजद 29 लोगों को मुख्य अभियुक्त के साथ गिरफ्तार कर लिया है। मुख्य अभियुक्त ग्राम प्रधान समेत सभी 26 लोगो को कल रात पुलिस ने गिरफ्तार किया ।

पुलिस अधीक्षक सलमान पास पाटिल ने बताया की घटना में प्रयुक्त सभी ट्रैक्टर और असलहे भी बरामद कर लिए गए है। उन्होंने यह भी बताया कि इसके लिए टीम में लगी सभी पुलिसकर्मियों को ₹25000 के नाम से भी नवाजा गया है क्योंकि पुलिस टीम के लोगों ने 24 घंटे के भीतर सभी नामजद लोगों को गिरफ्तार कर लिया है ।

खूनी संघर्ष के पीछे बिहार कैडर के पूर्व आईएएस प्रभात कुमार मिश्रा का नाम सामने आ रहा है। आईएएस ने यहां आदिवासियों के कब्जे की 90 बीघा जमीन को कोऑपरेटिव सोसाइटी के नाम करा लिया था। उस समय तहसीलदार के पास नामांतरण का अधिकार नहीं था, लिहाजा नाम नहीं चढ़ सका।

इसके बाद 7 सितंबर 1989 को आईएएस ने अपनी पत्नी और बेटी के नाम जमीन करवा ली। आईएएस की बेटी इस जमीन पर हर्बल खेती करवाना चाहती थी। लेकिन जमीन पर कब्जा न मिलने की वजह से उसका प्लान फेल हो गया।

64 साल पुराना है मामला

गांव वालों के अनुसार, सोनभद्र के उभ्भा गांव की इस जमीन का विवाद 1955 से चल रहा है। यह जमीन रिटायर्ड आईएएस प्रभात कुमार मिश्रा की है। इसमें कुछ जमीन एक ट्रस्ट की भी है। जमीन पर कई साल से गांव की गोड़ जाति के लोगों का कब्जा है। रिटायर्ड आईएएस जब उक्त जमीन को कब्जा नहीं कर सके तो मूर्तिया के प्रधान यज्ञदत्त सिंह भूरिया को भूमि औने-पौने दाम में बेच दी।

हालांकि जमीन पर आदिवासियों का कब्जा बरकरार रहा, लेकिन पटना से आईएएस का एक शख्स जिसका नाम धीरज है, वह हर साल प्रति बीघे लगान भी वसूलने आता था। इसी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश में लोगों की हत्या हुई है।

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ट्रकों-ट्रक भरकर हमलावर

बुधवार को प्रधान यज्ञदत्त ट्रैक्टर ट्राली व ट्रकों में भरकर करीब 200 लोगों को लेकर घोरावल थाना इलाके उम्भा गांव पहुंचा। इन लोगों के पास गंड़ासे व अवैध तमंचे थे। प्रधान ट्रैक्टरों से खेत की जबरन जुताई करवाने लगा। यह देख ग्रामीणों ने विरोध किया तो प्रधान के समर्थकों ने उन पर हमला कर दिया।

लोगों के मुताबिक, इस दौरान हमलावरों ने सामने आने वाले ग्रामीणों को गंड़ासे से काट डाला। करीब दो सौ राउंड फायरिंग हुई। फायरिंग में गोली लगने और गंड़ासे से घायल ग्रामीणों की लाशें खेत में चारों तरफ गिरती चली गईं।

लोगों का कहना है कि, ओबरा-आदिवासी बहुल जनपद में सदियों से आदिवासियों के जोत को तमाम नियमों के आधार पर नजरअंदाज किया जाता रहा है। सर्वे होने के बाद अधिकारियों की संवेदनहीनता उन्हें भूमिहीन बनाती रही है। इलाके में रसूखदार लोग इस तरह की काफी जमीनों पर अवैध तरीके से कब्जा किए हुए हैं।

जब हुआ मुआवजे के ऐलान तब हुआ अंतिम संस्कार

मृतकों के परिवार वालों ने सुबह शव लेने से इंकार कर दिया था। सपा समेत कई दलों ने इस कांड के खिलाफ प्रदर्शन भी किया। जिला प्रशासन ने समझा बुझाकर पीड़ित परिवार वालों को अंतिम संस्कार के लिए मनाया।

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मृतकों के परिवार को दस बीघा जमीन और घायलों के परिवार को पांच बीघा जमीन दी जाएगी। मुख्यमंत्री की तरफ से पांच लाख और किसान दुर्घटना बीमा योजना के तहत पांच लाख रूपए मुआवजा दिया जाएगा।

सोनभद्र नरसंहार में मीरजापुर के कमिश्नर तथा वाराणसी जोन के एडीजी ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। रिपोर्ट में राजस्व व पुलिस विभाग के अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।

जांच रिपोर्ट का परीक्षण कर उसे सीएम योगी आदित्यनाथ के समक्ष रखा जायेगा। माना जा रहा है कि शुक्रवार को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

 

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