जायदाद के लिए बेटों ने मां- बाप को घर से निकाला, बेबस पिता बोला- भेज दो जेल

Update: 2017-04-15 09:10 GMT

आगरा: थाना न्यू आगरा में मां -बाप को आज उन्हीं के बेटों ने घर से बेघर कर दिया। शहर के मेन मार्केट में दुकान और पॉश इलाके में कोठी होने के बावजूद भी आज उन्हें वृद्धा आश्रम में बुढ़ापा काटना पड़ रहा है।

कल तक जो लोग मंदिरों और मोहल्ले में होने वाले भंडारों में दान देते थे, आज उन्हीं को वृद्धा आश्रम की शरण लेनी पड़ी। पिता का आरोप है कि उनके दोनों छोटे बेटे जायदाद के लिए परेशान करते हैं, और हथियार बंद बदमाशों के दम पर उन्हें घर से भगा दिया।

वहीं बेटों का कहना है कि बड़े बेटे के चक्कर में पिता ज्यादतियां कर रहे हैं। Newstrack.com की टीम ने जब आश्रम जाकर उनसे उनका हाल पूछा तो वह उनकी बातों को सुनकर दंग रह गई।

सात अप्रैल को सिकंदरा स्थित राम लाल वृद्ध आश्रम में कमलानगर अलका कुञ्ज निवासी ओम प्रकाश (78) अपनी पत्नी राज कुमारी आश्रम में पनाह मांगने आए थे। ओमप्रकश करोड़ों की सम्पत्ति के मालिक हैं और जिनकी रावत पाड़ा और दिल्ली गेट पर दुकान और कमलानगर में कोठी है।

आगे की स्लाइड में पढ़ें पूरी खबर....

क्या है मामला ?

उनके तीन बेटे अनूप मित्तल ,मनोज मित्तल, और सुबोध मित्तल हैं।

बड़ा बेटा रावत पाड़ा की दुकान चलाता है और बाकी के दो बेटे दिल्ली गेट की दुकान पर बैठते हैं।

ओम प्रकाश की बाएं पांव की सर्जरी हुई है। इस कारण वो दुकान पर बैठने में सक्षम नहीं हैं।

उनकी इसी कमजोरी का फायदा उठा उनके दोनों छोटे बेटों ने उनकी दुकान पर कब्जा कर लिया और उन्हें घर से भी बेदखल कर दिया।

इतना ही नहीं पंचायत में समझौता होने के बाद भी उन्होंने गुजारा भत्ता के छह हजार रुपए नहीं दिए गए।

ओम प्रकाश के साथ बदसलूकी की और उन्हें धमकाया भी

25 मार्च को उनके बेटे का साला गौरव सौरभ और उनके साथ हथियार बंद साथियों ने ओम प्रकाश के साथ बदसलूकी की और उन्हें धमकाया भी था।

बाद में जब दोनों ने घर से अपना खर्च मांगा तो उन्हें मारा पीटा गया। जिससे किसी तरह वह जान बचाकर भाग गए।

बाद में उनके बेटे ने उन्हें घर वापस चलने को कहा तो उन्होंने घर चलने से मना कर दिया।

बेटों ने पत्र लिखकर घर बुलाया

इस मामले में दोनों छोटे बेटे मनोज और सुबोध ने एक पत्र लिखकर कहां कि पिता ने बड़े भाई अनूप मित्तल को अच्छी दुकान दी है जिससे उनका कारोबार अच्छा चल रहा है। बड़े भाई की दुकान के बाद अब घर पर नजर है। हम लोग जैसे- तैसे अपना गुजर बसर कर रहे हैं। हम माता- पिता के खर्फ़ को ध्यान में रखते हुए उन्हें छह हजार रुपए देते आ रहे है, लेकिन पिता बड़े भाई के चक्कर वह खुद फंस चुके हैं।

आश्रम के अध्यक्ष शिव कुमार के मुताबिक

-सात अप्रैल को आश्रम में कुछ लोग दो बूढ़े लोगों को लेकर आए थे।

-जो अब आश्रम में रह रहे हैं।

-उनके परिवार से बातचीत कर उन्हें दोबारा घर भेजने की कोशिश की जा रही है।

Tags:    

Similar News