सावन में हर सोमवार भगवान शिव यहां आकर करते हैं रात्रि विश्राम

लोगों का मानना है कि जो लोग सच्चे मन से पूजा अर्चना और जलाभिषेक करते हैं उनका हर मनोकामना पूर्ण होता है सावन के महीने में पूर्वांचल के लगभग सभी जिले के लोग यहां आकर जलाभिषेक करते हैं यहीं आकर राजा दशरथ खेलते थे शिकार पुराणो के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ यहां जल मार्ग से आकर शिकार करते थे।

Update:2019-07-18 22:53 IST

गाजीपुर: गाजीपुर जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर मरदह थाना क्षेत्र अंतर्गत महार धाम पौराणिक जगहों में एक है। सावन के महीने में गाजीपुर से गंगा का जल लेकर कांवरिया 40 किलोमीटर चलकर यहां जल चढ़ाने आते है। इस मंदिर के बारे में किवन्दति है की सावन महीने के हर सोमवार को स्वयं भगवान शंकर यहां आकर रात्रि निवास करते है।

यहां के लोगों का मानना है कि जो लोग सच्चे मन से पूजा अर्चना और जलाभिषेक करते हैं उनका हर मनोकामना पूर्ण होता है सावन के महीने में पूर्वांचल के लगभग सभी जिले के लोग यहां आकर जलाभिषेक करते हैं यहीं आकर राजा दशरथ खेलते थे शिकार पुराणो के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ यहां जल मार्ग से आकर शिकार करते थे।

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आज भी रथवट एवं झील के अपभ्रस बगल के गांव सुलेमापुर मे देखने को मिलते है। यहीं पर दशरथ के शब्दभेदी बाड़ से हुई थीं सरवन कुमार की मृत्यु मंदिर परिसर से लगभग चार कि०मी दुरी पर स्थानीय ब्लॉक का सरवणडीह गांव स्थित है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब श्रवण कुमार अपने अंधे माता पिता को लेकर तीर्थ के लिए जा रहे थे। तो रास्ते में उनको प्यास लगी प्यास बुझाने के लिए पास बनी झील से जैसे ही पानी निकाला पानी की आवाज सुनकर दशरथ ने मृग के चक्कर में शब्दभेदी बाण चला दिया जिसे श्रवण कुमार की मृत्यु हो गई ।

यहीं मिला दशरथ को श्राप इसी जगह जब श्रवण कुमार की मृत्यु हो गई तो वियोग में श्रवण कुमार के माता पिता ने दशरथ को श्राप दिया कि जिस तरह हमने पुत्र वियोग में अपने प्राण त्याग रहे हैं। उसी तरह तुम भी पुत्र वियोग में अपने प्राण त्यागो गे तभी से इस जगह का नाम सरवणदीह पड़ गया। पुराने समय मे चलता था संस्कृति पाठशाला यहां के लोगों का कहना है कि इस जगह पर पुराने समय में संस्कृत पाठशाला चलता था।

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एक बार पास के खजूर गांव निवासी एक व्यक्ति रात्रि में यहां रुका जिसको कोई पुत्र नहीं था, रात्रि में उसे स्वप्न में दिखा की भगवान शिव के जीर्णशीर्ण मंदिर का नवनिर्माण करो तुम्हें पुत्र रत्न प्राप्त होगा । अगले दिन उस व्यक्ति ने मंदिर के नव निर्माण के लिए जुट गया कुछ दिनों बाद उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई ।

हर वर्ग के देवी देवताओं का लगा हैं मुर्ति मंदिर परिसर के मुख्य गेट के सामने नंन्दी जी की विशाल मूर्ति स्थापित है मुख्य मंदिर में पंचमुखी शिवलिंग के साथ साथ समाज के हर वर्ग के देवी देवता स्थापित है ।

मंदिर के सामने आज भी खिलते हैं कमल के फूल मंदिर के ठीक सामने एक विशाल सरोवर है सरोवर के बगल में साठ हेक्टेयर में फैला विशाल झील है। जिसमें आज भी कमल का फूल खिलते हैं लोगों का मान्यता है कि यह कमल का फूल बरसों से खिल रहे हैं ।

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ऐतिहासिक मंदिर के देखरेख के लिए बना है समिति इस ऐतिहासिक व पौराणिक मंदिर के देखरेख के लिए महाहर मेला समिति बना है। जिसके अध्यक्ष जितेंद्र पांडे व महामंत्री रामबचन सिंह मंदिर के विकास हेतु हमेशा प्रयत्नशील रहते हैं ।

बन चुका है पुर्वान्चल का मुख्य पर्यटन स्थल यह स्थान यह अस्थान पूर्वांचल के लोगों के लिए मुख्य पर्यटन स्थल बन चुका है। यहां पर दूरदराज के लोग भी दर्शन के लिए आते हैं और इस धार्मिक स्थान पर लोग शादी विवाह भी कराते हैं।

इस जगह का मशहूर है लकड़ी से बना चौकी यहां की प्रमुख रूप से लकड़ी की चौकी मशहूर है जिसे खरीदने के लिए पूर्वांचल के साथ साथ बिहार के लोग भी आते हैं बाहरी लोगों का कहना है कि यहां की बनी चौकी काफी मजबूत होती है। नहीं हो पाया धार्मिक स्थल का विकास शासन के बेरुखी के चलते इस पौराणिक स्थल का समुचित विकास नहीं हो पाया है जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ।

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