सधी पटकथा और बेहतरीन कलाकारी से सजा हुआ था ये 'गोरखधंधा'
इस नाटक के सभी पात्रों ने दर्शकों को खूब हंसाया और अपने अभिनय को जीवंत बनाये रखा। ये पात्र किसी भी तरह से दिखावटी नही लगे, और अपनी कलाकारी से दर्शकों का मन मोह लिया।
शाश्वत मिश्रा
लखनऊ: एक ऐसी कहानी जिसमें पैसे कमाने के लिए एक इंसान जिस तरह के काम कर सकता है और उसमें वह कैसे लोगों से झूठ बोलता है, कैसे उनके साथ धोखा करता है, और कैसे उसमें खुद ही फंस जाता है। इसी 'गोरखधंधे' को हास्यास्पद तरीके से नाटक के जरिये लोगों के सामने दिखाया गया। जिसका यहां पर आए लोगों ने खूब लुत्फ उठाया और प्रशंसा की। गोमती नगर के संगीत नाट्य अकादमी में प्रेम विनोद फाउंडेशन के माध्यम से संत गाडगे प्रेक्षागृह में नाटक का मंचन हुआ|
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बेहतरीन पटकथा और निर्देशन
इस नाटक के जरिये निर्देशक जे. पी. सिंह लोगों तक अपना संदेश पहुँचाने में सफल रहे हैं, तो वहीं लेखक जयवर्धन ने एक ऐसी पटकथा को अंजाम दिया है, जिसकी कहानी और डायलॉग दोनों काफी अच्छे ढंग से लिखे गए हैं। जिसमें दर्शक हंसता है लेकिन साथ में यह जरूर सोचने पर मजबूर भी होता है, कि समाज में ऐसे इंसानो से बचकर रहना चाहिए। जो इस तरह लोगों को दूसरों के घर किराये पर दे देते हैं, और बाद में पैसे ऐंठते हैं।
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नाटक के बारे में-
जब पैसा ही धर्म बन जाए, पैसा ही कर्म बन जाए तो सारे संबंध, सारी नैतिकता अर्थहीन हो जाते हैं। जब पैसा कमाना ही एक मात्र उद्देश्य हो तो इंसान का खुराफाती दिमाग कोई न कोई तिकड़म करता रहता है।
तो कहानी की शुरुआत होती है दिल्ली प्रॉपर्टीज से, जिसका मालिक सज्जन और उसका असिस्टेंट गुल्लू लोगों से पैसे कमाने के लिए उन्हें घर किराये पर देते हैं, फिर उन्ही घरों में नाटकों में काम करने का ख्वाब रखने वाले नटवर को पुलिस वाला बनाकर पैसे ऐंठने का काम करवाता है, इसी में एक गुप्ताजी जो कुछ दिनों के लिए बाहर जाने वाले होते हैं उनके घर में एक महिला जिसका नाम गीता होता है, उसको गुप्ताजी के घर में रख देते हैं, फिर कुछ दिनों बाद जब गुप्ताजी लौटते हैं तो वह गीता को अपने घर में पाकर गुस्से में सज्जन के पास पहुँचते हैं, और सज्जन अपनी गलती को छुपाने के लिए गीता को अपनी पत्नी बता देता है, जिसके बाद गीता उसके घर में रहने लगती है, और सज्जन को अपना पति मान लेती है। इस दौरान गुल्लू की कॉमेडी दर्शकों को खूब भाती है। अंततः सज्जन गुप्ताजी के दबाव में आकर गीता से शादी कर लेता है, और ये गोरखधंधा बंद करने की कसम खाता है।
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लाजवाब अभिनय और बेहतरीन कलाकारी
इस नाटक के सभी पात्रों ने दर्शकों को खूब हंसाया और अपने अभिनय को जीवंत बनाये रखा। ये पात्र किसी भी तरह से दिखावटी नही लगे, और अपनी कलाकारी से दर्शकों का मन मोह लिया। इसमें सज्जन के किरदार में राघवेन्द्र तिवारी, गुल्लू का किरदार सुशील शर्मा, गीता के रोल में दक्षा शर्मा तो वहीं नटवर के किरदार प्रिंस राजपूत और भास्कर, कृष्ण कुमार, गुप्ताजी के रोल में अरुण सोदे नज़र आये। इस नाटक में संगीत नेहा शर्मा ने दिया तो प्रकाश व्यवस्था जे.पी. सिंह की देखरेख में हुई।