वाह यूपी: कैदी सिर्फ 7 सेवा में लगे 25 लोग, क्या ठाट हैं इनके

बीते दिनों राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डा. शुचिता चर्तुवेदी ने यहां का दौरा किया और इस फिजूलखर्ची पर आपत्ति जतायी। डा. शुचिता ने न्यूजट्रैक को बताया कि उन्होंने इस संबंध में अपनी आपत्ति शासन को भी भेजी है।

Update:2020-01-22 18:24 IST

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: अब इसे फिजूलखर्ची नहीं तो और क्या कहेंगे। केवल सात सजायाफ्ता अभियुक्तो की देखरेख के लिए 25 सरकारी कर्मचारी, एक बड़ा भवन, भवन में डारमेट्री, डायनिंग हाल तथा प्लेग्राउंड और हर मुजरिम के खानपान पर हर माह हजारों का खर्च। जी हां ऐसा ही कुछ हो रहा है गाजीपुर जिले में स्थापित यूपी के राजकीय विशेष गृह सुरक्षा प्रकोष्ठ में जिसे प्लेस आफ सेफ्टी कहा जाता है।

आइये, हम आपको इस प्लेस आफ सेफ्टी के बारे में बताते है। इसके भवन में चार बड़े हाल है। इस प्लेस आफ सेफ्टी में कुल क्षमता 50 सजायाफ्ता अभियुक्तों को रखने की है। जिसके लिए यहां 35 सरकारी कर्मचारियों के पद है। जिनमे एक अधीक्षक, एक सहायक अधीक्षक, एक मनोवैज्ञानिक, चार सुपरवाइजर, चार शिक्षक तथा 14 तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के पद, जिनमे क्लर्क से लेकर नर्स तक शामिल है, स्वीकृत है।

यहां महज सात सजायाफ्ता अभियुक्त है

मौजूदा समय में यहां महज सात सजायाफ्ता अभियुक्त है और इनकी देखरेख के लिए 25 सरकारी कर्मचारी तैनात है। अधीक्षक व सहायक अधीक्षक के पद पर कोई तैनाती न होने के कारण मनोवैज्ञानिक ही प्रभारी अधीक्षक का कार्यभार संभाल रहे है। जबकि दो सुपरवाइजर, दो विभागीय शिक्षक तथा एक बेसिक शिक्षा विभाग के सम्बद्ध शिक्षक समेत तीन शिक्षक है और 12 तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी तैनात है।

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प्लेस आफ सेफ्टी गाजीपुर के प्रभारी अधीक्षक राम कृपाल ने न्यूजट्रैक को फोन पर बताया कि मौजूदा समय में सभी कर्मचारियों के वेतन पर नौ लाख रुपये प्रतिमाह खर्च हो रहा है। इसके अलावा प्रति अभियुक्त चार हजार रुपये प्रति माह भरण-पोषण का भी दिया जाता है। यहां 700 स्क्वायर फिट की एक डारमेट्री है, जिसमे अभियुक्तों के सोने का इंतजाम किया जाता है। इसके अलावा इन अभियुक्तों के खेलने के लिए खेल का मैदान भी है। इसी इमारत में किशोर न्यास बोर्ड भी चलता है। अभियुक्तों की संख्या के बारे में राम कृपाल ने बताया कि यहां क्षमता तो 50 अभियुक्तों को रखने की है लेकिन एक समय में अभी तक अधिकतम 15 अभियुक्त ही आये हैै।

कैसे अभियुक्त आते है यहां

अब आपको बताते हैं कि यहां अभियुक्त आते कैसे है। अगर किसी किशोर ने कोई अपराध किया है और उसका प्रकरण न्यायालय में लंबित है लंबे समय तक लंबित प्रकरण में जब न्यायालय द्वारा सजा दी जाती है तो उस व्यक्ति को यहां निरूद्ध किया जाता है। जैसे किसी ने 17 साल की उम्र में कोई अपराध किया और उसका प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है और इस दौरान उसकी जमानत हो गई लेकिन न्यायालय में प्रकरण पर सुनवाई चल रही है तथा लंबे समय के अंतराल पर न्यायालय द्वारा उसे दोषी करार दिया जाता है तो उसे इस हाउस आफ सेफ्टी में निरूद्ध किया जाता है।

शिक्षा-दीक्षा के लिए भी शिक्षक और शिक्षिकाओं की व्यवस्था

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में इटावा के बाद दूसरा राजकीय विशेष गृह सुरक्षा प्रकोष्ठ गाजीपुर में वर्ष 2014 में खुला। गाजीपुर के गोरा बाजार में संचालित राजकीय बाल गृह बालक के भवन से 11 निराश्रित बालकों को रामनगर वाराणसी स्थित किशोर गृह में शिफ्ट करने के बाद इसी इमारत में यह राजकीय विशेष गृह सुरक्षा प्रकोष्ठ में संचालित किया जा रहा है। यहां पर 18 वर्ष से ऊपर के सजायाफ्ता अभियुक्त रखे जाते है। इस इमारत में रहने के लिए चार बड़े हाल बनाए गए हैं। यहां उनके रहने, खाने-पीने की व्यवस्था के साथ ही शिक्षा-दीक्षा के लिए भी शिक्षक और शिक्षिकाओं की व्यवस्था की गई है।

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बीते दिनों राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डा. शुचिता चर्तुवेदी ने यहां का दौरा किया और इस फिजूलखर्ची पर आपत्ति जतायी। डा. शुचिता ने न्यूजट्रैक को बताया कि उन्होंने इस संबंध में अपनी आपत्ति शासन को भी भेजी है।

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