यूपी: इन चार अधिकारियों पर स्टेट विजिलेंस की नजर

विश्व पटल पर स्थापित होने वाले नोएडा के दुरदिन खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं। 2014 से शुरू हुई जांच एजेंसियों की आवाजाही लगातार जारी है। एक बार फिर नोएडा प्राधिकरण प्रदेश की जांच एजेंसी की जद में आ गया है। इस बाद प्रदेश के मुखिया के आदेश पर स्टेट विजलेंस ने प्राधिकरण के चार अधिकारियों की जांच शुरू कर दी है।

Update: 2019-07-12 16:02 GMT

नोएडा: विश्व पटल पर स्थापित होने वाले नोएडा के दुरदिन खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं। 2014 से शुरू हुई जांच एजेंसियों की आवाजाही लगातार जारी है। एक बार फिर नोएडा प्राधिकरण प्रदेश की जांच एजेंसी की जद में आ गया है। इस बाद प्रदेश के मुखिया के आदेश पर स्टेट विजलेंस ने प्राधिकरण के चार अधिकारियों की जांच शुरू कर दी है। इसमें समाजवादी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में मलाई काटने वालों पर शिकंजा कसा जा रहा है। शुरुआत जांच में चार अधिकारी सीधे रुप से दायरे में आ चुके हैं लेकिन इनकी संख्या जल्द ही सात होगी क्योंकि तीन अन्य अफसरों का ब्यौरा एकत्र किया जा रहा है।

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डेढ़ दशक पहले जब समाजवादी पार्टी की सरकार सत्ता में आई जिसके बाद प्राधिकरण की कार्रवाई में बदलावा आया। दिल्ली से निर्देश लखनऊ पहुंचते थे और फिर इसे नोएडा में लागू किया जाता था। इस दौरान प्लॉट आवंटन की प्रक्रिया हुई जिसपर देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई ने कार्रवाई की।

इसके बाद 2014 में बसपा कार्यकाल की जांच हुई और दायरा बढ़कर 2007 और फिर 2003 तक पहुंच गया। अभी इन मामलों की जांच चल रही है, इसी बीच स्टेट विजलेंस की आहट से प्राधिकरण अफसरों में सुगबुगहाट तेज होने लगी है।

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अधिकारिक सूत्रों की मानें तो प्राधिकरण के चार अधिकारियों पर स्टेट विजलेंस की जांच शुरू हो चुकी है। इन अधिकारियों की आय, व्यय, चल और अचल संपत्ति की जानकारियों को विजलेंस विभाग खंगालने लगा है। बताया जा रहा है कि चार अधिकारियों अभी जांच में आए हैं लेकिन इनकी संख्या जल्द ही सात होने वाली है।

इंजीनियरिंग विभाग से जुड़े इन अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग करने आरोप लगा है। अपने पद का लाभ लेकर इन्होंने अवैध रूप से सरकरी राजस्व को नुकसान पहुंचाते हुए स्वयं लाभ प्राप्त किये हैं। सूत्रों की मानें तो स्टेट विजलेंस ने जांच का दायरा बढ़ते हुए कार्रवाई तेज कर दी है।

सिविल और जनस्वास्थ्य में चला सिक्का

सीएम के निर्देशानुसार यह अधिकारी सिविल और जनस्वास्थ्य विभाग में तैनात रहा। इस दौरान किसी भी अधिकारी का इस विभाग में कोई लेना-देना नहीं रहा। यहां तक उच्च अधिकारियों के आदेशों को भी नकारने में पीछे यह अफसर पीछे नहीं रहा।

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नियमों को ताक पर रखकर मिला प्रमोशन

प्राधिकरण में प्रमोशन पाने में हर कोई तिकड़म लगता है। इन महोदय को नियमों के विरुद्ध पदोन्नति दी गई। प्राधिकरण कार्यालय से काम नहीं बना तो लखनऊ से सत्ता के गलियारों को आदेश जारी किया गया। इसके बाद प्राधिकरण न चाहकर भी इन्हें प्रमोशन देने को मजबूर हुआ।

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