देवी पाटन मंडल में दस चीनी मिलों ने गन्ना किसानों का 70 करोड़ दबाया

Update: 2018-06-15 08:18 GMT

तेज प्रताप सिंह

गोंडा: किसानों की बेहतरी के लिए सरकारें लाख दावे करें लेकिन देवी पाटन मंडल में अब भी किसानों का 69935.86 लाख रुपया दस चीनी मिलों ने दबा रखा है। इस पैसे के भुगतान को लेकर जिला गन्ना अधिकारी सिर्फ पत्राचार कर कागजी कोरम पूरा कर रहे हैं। जबकि चीनी मिल प्रबंधन इस पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। देवी पाटन मंडल के चार जनपदों में निजी व सार्र्वजनिक क्षेत्र की 10 चीनी मिलें स्थापित हैं, जिसमें गोंडा में बलरामपुर चीनी मिल समूह की मैजापुर, मनकापुर और बभनान, बजाज समूह की कुंदरखी, बलरामपुर में बीसीएम समूह की बलरामपुर और तुलसीपुर तथा बजाज की इटई मैदा, बहराइच में सिंभावली समूह की चिलवरिया, परसेंडी, जरवल रोड और नानपारा की सहकारी चीनी मिल शामिल हैं।

चीनी मिलों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, बलरामपुर चीनी मिल का 11607.66, बजाज चीनी मिल इटईमैदा का 10003.83 और बलरामपुर समूह की ही तुलसीपुर चीनी मिल का 5345.14 लाख, गोंडा में बजाज की कुंदरखी का 20308.78, दतौली मनकापुर का 6616.14 और मैजापुर का 2815.50 तथा बहराइच में चिलवरिया का 5153.61, परसेंडी का 498.41, जरवल रोड का 2510.59 तथा नानपरा शुगर मिल का 5076.00 रुपया गन्ना किसानों का बकाया है। इसमें सर्वाधिक बकाया बलरामपुर जिले में है।

आंकड़ों के अनुसार, देवी पाटन मंडल में चालू पेराई सत्र में गन्ना बुआई का रकबा दो लाख 20 हजार हेक्टेयर रहा, जिसमें लगभग 11 करोड़ कुंतल उत्पादन हुआ। गोंडा जिले के सदर तहसील अंर्तगत सोनापार निवासी गन्ना किसान रमाकांत मिश्र ने बताया कि रिजेक्टेड प्रजाति के स्थान पर 0238 अर्ली प्रजाति का गन्ना बोते हैं। चालू पेराई सत्र में लगभग इनका दो लाख रुपया बकाया है। बराराय के राम करन यादव भी अर्ली प्रजाति का ही गन्ना बेाते हैं उनका एक लाख रुपया चीनी मिलों ने भुगतान नहीं किया है। पुरैनिया के रवीन्द्र नाथ पाण्डेय का 50 हजार, फरेन्दा शुक्ल के बृज किशोर का एक लाख, कोवपुर पहड़वा के विश्वनाथ सिंह का तीन लाख, अहिरनपुरवा के स्वामी यादव का डेढ़ लाख, भदुआ तरहर के बृज नंदन त्रिपाठी का दो लाख, ननकू तिवारी का तीन लाख और लाले यादव का 90 हजार बकाया है।

गन्ना किसानों के बकाया मूल्य भुगतान और अन्य समस्याओं के समाधान के बारे में जिला गन्ना अधिकारी पीएन सिंह ने बताया कि किसानों की सुविधा और जागरूकता के लिए विभागीय स्तर पर कार्यक्रम चलाए जाते हैं। बकाया भुगतान के लिए विभागीय उच्चाधिकारियों के साथ-साथ जिलाधिकारी को भी वस्तुस्थिति से अवगत कराया जाता है।

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