सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मस्जिद के लिए सरकारी ज़मीन की क़बूल

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सरकार द्वारा दी गई पांच एकड़ जमीन स्वीकार कर ली है। छह सदस्यों ने जमीन लेने के पक्ष में जबकि दो सदस्यों ने विरोध में किया वोट

Update: 2020-02-24 15:34 GMT

लखनऊ। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर सरकार द्वारा दी गई पांच एकड़ जमीन स्वीकार कर ली है। सोमवार को वक्फ की एक अहम बैठक में वक्फ बोर्ड के आठ सदस्यों में से छह सदस्यों ने जमीन लेने के पक्ष में वोट किया जबकि दो सदस्यों ने जमीन लिए जाने का विरोध करते हुए बैठक का बहिष्कार किया। बता दे सरकार ने वक्फ बोर्ड को अयोध्या के रौनाही में मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन दी है।

जल्द ही भूमि पर होगा निर्माण

बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा जनपद अयोध्या में पांच एकड़ भूमि मस्जिद के निर्माण के लिए प्रदान की गई है। बोर्ड की बैठक में भूमि को स्वीकार किए जाने का फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि इस पांच एकड़ भूमि पर निर्माण के लिए जल्द ही बोर्ड द्वारा एक ट्रस्ट का गठन किया जायेगा, इसके पदाधिकारियों से संबंधित संपूर्ण विवरण की घोषणा प्रस्तावित ट्रस्ट के गठन के बाद होगी। ट्रस्ट इस पांच एकड़ भूमि पर एक मस्जिद के साथ ऐसा केंद्र स्थापित करेगा जो सदियों तक इंडो-इस्लामिक सभ्यता को प्रदर्शित करेगा।

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भूमि पर होगा चैरिटेबिल अस्पताल का भी निर्माण

वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने बताया कि पांच एकड़ जमीन पर भारतीय तथा इस्लामिक सभ्यता के अन्वेषण तथा अध्ययन के लिए एक सेंटर भी स्थापित किया जायेगा। इसके अलावा इस जमीन पर ही एक चैरिटेबिल अस्पताल और पब्लिक लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं भी विकसित की जायेगी।

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सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के इस फैसले का इसके दो सदस्यों ने विरोध करते हुए बैठक का बहिष्कार किया। बहिष्कार करने वाले अब्दुल रज्जाक ने कहा कि शरीयत मस्जिद की जमीन के बदले जमीन लेने की इजाजत नहीं देती इसलिए हमें जमीन नहीं लेनी चाहिए और हम इसका विरोध कर रहे हैं। जबकि इमरान माबूद खान ने भी शरीयत का हवाला देते हुए बैठक का बहिष्कार किया है।

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