विकास दुबे केस: प्रदेश सरकार घेरे में, SC ने की तीखे सवालों की बौछार
यूपी के कानपुर में पुलिस हत्याकांड के आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले की सुनवाई के समय सुप्रीम कोर्ट प्रदेश सरकार के तर्कों से जरा सी भी सतुंष्ट होती नहीं दिखाई दी।
लखनऊ। यूपी के कानपुर में पुलिस हत्याकांड के आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले की सुनवाई के समय सुप्रीम कोर्ट को प्रदेश सरकार के तर्कों से पूरी तरह संतुष्ट नहीं मिली। जिसकी वजह से प्रदेश सरकार पर कई बार सवाल भी खड़े हो गए। ऐसे में मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे ने कहा कि हमें इस बात पर हैरानी है कि आखिर इतने मामलों का मुजरिम पैरोल पर बाहर कैसे था।
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प्रदेश सरकार पर सवालों की ताबड़तोड़ बारिश
असल में कानपुर के विकास दुबे एनकाउंटर मामले में प्रदेश सरकार ने अपनी सफाई देते हुए इस मुठभेड़ को सही बताया। इस संबंध में प्रदेश सरकार ने कहा कि वो पैरोल पर था और जब पकड़ा गया तो पुलिस की गिरफ्त से भागने की कोशिश की, इस दौरान आत्मरक्षा में पुलिस ने उसपर फायरिंग की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट इन तर्कों से बिल्कुल संतुष्ट नहीं दिखा और तभी प्रदेश सरकार पर सवालों की ताबड़तोड़ बारिश कर दी।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ये भी कहा गया कि राज्य सरकार कानून-व्यवस्था के लिए जिम्मेदार है, ऐसे में इस मामले में ट्रायल होना चाहिए था।
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मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा
इसी बीच मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें हैरानी है कि जिस व्यक्ति पर इतने मामले दर्ज हो, वो बेल पर कैसे बाहर हो सकता है और फिर इस तरह की हरकत कर सकता है। आपको बता दें कि विकास दुबे का नाम 60 से अधिक मामलों में दर्ज था।
इसके साथ ही कोर्ट ने अदालत शुरु से लेकर अभी तक के केस की पूरी जानकारी विस्तृत से मांगी है। वहीं सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ये पूरा मामला दिखाता है कि सिस्टम किस तरह फेल है, ये सिर्फ एक मामले की बात नहीं है।
प्रदेश सरकार पर सख्त होते हुए कोर्ट ने कहा कि वो जांच कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज को शामिल करना चाहते हैं, जिसके बाद प्रदेश सरकार ने कमेटी में बदलाव का नोटिफिकेशन जारी करने की बात कही है।
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पुलिसकर्मियों का मनोबल टूट सकता
प्रदेश सरकार की तरफ से कोर्ट में ये भी तर्क दिया गया कि पुलिसकर्मियों ने अपने आत्मरक्षा में हथियार चलाया। दलील दी गई कि ये मामला तेलंगाना एनकाउंटर से अलग है, पुलिसकर्मियों के भी अपने कुछ अधिकार होते हैं।
आगे प्रदेश डीजीपी की तरफ से हरीश साल्वे ने कहा कि विकास दुबे ने पुलिसकर्मियों को मार दिया, जब मुठभेड़ हुई तो वो मारा गया। अब आगे इसपर सवाल होते हैं तो पुलिसकर्मियों का मनोबल टूट सकता है।
लेकिन हरीश साल्वे के इस कथन पर भी सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत कहा है कि उन्हें नहीं लगता है कि कानून लागू होने से पुलिसकर्मियों का मनोबल टूट सकता है।
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