UP में सरकारी कर्मचारियों के भत्तों को खत्म करने पर मंत्री ने कही बड़ी बात

प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने आज कहा कि राज्य सरकार द्वारा भत्तों को समाप्त किये जाने पर विचार किया गया है।

Update:2020-05-13 21:36 IST

लखनऊ: प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने आज कहा कि राज्य सरकार द्वारा भत्तों को समाप्त किये जाने पर विचार किया गया है। उन्होंने कहा कि सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग द्वारा जिस प्रकार सम्मानजनक जीवन स्तर के लिए आकार्षक वेतन संरचना की संस्तुति की गयी है। उसे देखते हुए इस प्रकार के भत्तों को समाप्त किया जाना औचित्यपूर्ण हो चुका था। सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि इन सभी भत्तों को समाप्त किये जाने से राज्य सरकार का अनुमानतः प्रति वर्ष लगभग रू1,300 करोड़ व्यय कम होगा।

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खन्ना ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों को निरन्तर केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति वेतन संरचना एवं मंहगाई भत्ते की दर अनुमन्य की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुरूप राज्य कर्मचारियों को केन्द्रीय कर्मचारियों के समान पुनरीक्षित वेतन संरचना अनुमन्य की जा चुकी है।

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महामारी के समय में भत्तों का दिया जाना उपयुक्त नहीं

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकारी कर्मचारी वेतन आयोग की संस्तुतियों को लागू करने की बात अक्सर करते हैं। परंतु जो भत्ते छठे वेतन आयोग में समाप्त कर दिए गए तथा सातवें वेतन आयोग में राज्य कर्मचारियों की स्थिति वेतन के कारण अत्यंत सम्मानजनक हो चुकी है। फिर कोरोना जैसी महामारी के समय में इन भत्तों का दिया जाना उपयुक्त नहीं है। कोरोना विश्व की ऐसी समस्या सामने आई है, जिसके अंत होने का समय निश्चित नहीं है।

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खन्ना ने बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण राज्य सरकार के राजस्व में आयी कमी के दृष्टि से महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं। उन्होंने कहा कि मा0 विधायक एवं मंत्री के वेतन से 30 प्रतिशत की कटौती की गयी है। विधायक निधि को एक वर्ष तक के लिये स्थगित किया गया है। अनेक राजकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा भी महामारी की गम्भीर स्थिति में स्वेच्छा से अपने एक दिन के वेतन का योगदान उत्तर प्रदेश कोविड केयर फण्ड में किया गया है।

रिपोर्ट: श्रीधर अग्निहोत्री

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