तेलंगाना जैसा यूपी का ये जिला, बढ़ रहा विकास की तरफ
आज तेलंगाना राज्य की विकास दर कोरोना काल में भी 11 प्रतिशत से अधिक है जबकि देश के अन्य राज्यों की ग्रोथ रेट ऋणात्मक है। सिंचाई के क्षेत्र में भी कालेश्वरम परियोजना के माध्यम से साढे चार लाख हैक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल को सिंचित बनाया गया है।;
झाँसी: तेलंगाना जल संसाधन विकास निगम के अध्यक्ष प्रकाश राव अपने दो दिवसीय प्रवास पर बुन्देलखण्ड पधारे। इस दौरान उन्होंने बताया कि जिस तरह से बुन्देलखण्ड की भौगोलिक परिस्थिति है, उसी तरह की परिस्थिति उनके तेलंगाना राज्य की थी। वहां की राज्य सरकार के द्वारा जिस तरह से अपने राज्य में जल संरचनाओं के पुर्नजीवन का कार्य किया है वह आज पूरे देश में एक उदाहरण बना हुआ है। मिशन काकातिया के तहत 46 हजार से अधिक जल संरचनाओं का चिन्हाकंन एवं उनका पुर्नजीवन किया गया है।
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इन संरचनाओं में तालाब, झील, चैकडेम, एनीकट आदि है। 5 साल के दौरान इन संरचनाओं का योजनाबद्ध ढंग से पुर्नरूद्धार किया गया है। जिसके कारण जल स्तर में काफी बढ़ोत्तरी हुयी है। जल संकट क्षेत्र में कमी आयी है। पूरे राज्य में हो रहे मृदाक्षरण में कमी आयी है एवं कपास एवं मिर्च की फसल में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है जिससे किसानों को लाभ हो रहा है। इसी तरह से मिशन भागीरथी के तहत हर घर प्रति व्यक्ति 100 लीटर शुद्ध पेयजल की उपलब्धता की गई है। तेलंगाना ऐसा राज्य है जिसमें प्रत्येक घर को स्वच्छ पेयजल को उपलब्ध कराने का कार्य पूरा किया है। जिसे देखकर भारत सरकार ने हर घर नल से जल योजना बनायी गयी है।
तेलंगाना जैसी स्थिति हैं बुन्देलखंड में
आज तेलंगाना राज्य की विकास दर कोरोना काल में भी 11 प्रतिशत से अधिक है जबकि देश के अन्य राज्यों की ग्रोथ रेट ऋणात्मक है। सिंचाई के क्षेत्र में भी कालेश्वरम परियोजना के माध्यम से साढे चार लाख हैक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल को सिंचित बनाया गया है। एक राज्य जो अपने निर्माण के बाद मात्र 6 साल में पर्याप्त जल उपलब्धता का राज्य बन गया है। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड में भी तेलंगाना की तरह स्थितियों है वहां का भी इलाका ऊंचा, नीचा, पठारी एवं जल संकट था, राज्य में उनके एक जिला महबूब नगर से 70 फीसदी लोग पलायन करते थे। आज उनके राज्य में रोजगार के अवसरों की बढ़ोत्तरी हुयी है। पलायन रूका है जल उपलब्धता में आशातीत बढ़ोत्तरी हुयी है। 100 प्रतिशत राजस्व डिजिटलाइज किया गया है, ई-गवर्नेस के बेहतर मॉडल स्थापित किये गये है।
बुन्देलखंड में किसान की आत्महत्याएं बढ़ी है
बुन्देलखण्ड को वह पिछले 20 साल से जानते है जिस तरह से पहले पिछड़ा था, आज भी उसी तरह से पिछड़ा है। आप उनके इलाके में किसान आत्महत्याऐं रूक गयी है, बुन्देलखण्ड में किसान आत्महत्याऐं बढ़ी है। जल संरक्षण के क्षेत्र में परमार्थ के अग्रणीय कार्य को उनके द्वारा सराहा गया है। गांव स्तर पर तैयार किये जा रहे जल सुरक्षा कार्ययोजना को उनके द्वारा जाना गया एवं इसके सन्दर्भ में महत्वपूर्ण सुझाव दिया गया है। जल सहेली एवं पानी पंचायत के मॉडल को तेलंगाना राज्य में विस्तार करने का संकल्प लिया। जल संरक्षण के क्षेत्र में स्थानीय संगठन का निर्माण आवश्यक है, जिसका कार्य परमार्थ संस्था के द्वारा बहुत बेहतर ढंग से किया गया है। यह बात उन्होंने परमार्थ कार्यालय में उपस्थित जल कर्मियों को संबोधित करते हुए कही।
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जल संरक्षण के लिए कार्यकर्ताओं को साथ लेकर कर रहे हैं कार्य
नदी घाटी संगठन के कार्य को भी उन्होंने जानने की कोशिश की, जिस तरह से जल पुरूष राजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में पूरे देश में जल संरक्षण के लिए कार्यकर्ताओं को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है, वह देशभर के जल संरक्षण पर कार्य करने वाले कार्यकर्ताओ को एक साथ लेकर आये है। जिसके तहत आपस में अनुभव साझा हो रहे है। उन्होंने बुन्देलखण्ड के जन प्रतिनिधियों, अधिकारियों, कार्यकर्ताओं को आवाहन किया कि वह तेलंगाना आकर जल संरक्षण के कार्य को समझे एवं अपने क्षेत्र में भी प्रयास करे। परमार्थ के सचिव एवं जल जन जोडो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने कहा कि निश्चित तौर से बुन्देलखण्ड के लोग तेलंगाना में हुये बेहतर जल संरक्षण के कार्यो से सीखने के कोशिश करेगे एवं सफल प्रयासों को अपने काम में शामिल करेगे।
बी.के.कुशवाहा
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