TGT सामाजिक विज्ञान कानूनी पचड़े में, निर्णय पर निर्भर करेंगी नियुक्तियां

Update: 2017-07-29 16:55 GMT

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टीजीटी सामाजिक विज्ञान विषय की परीक्षा में आए गत प्रश्नों के मामले में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही कहा कि इस विषय की नियुक्तियां याचिका के निर्णय पर निर्भर करेंगी।

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यह आदेश न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल ने जोगेश्वर सिंह व अन्य की याचिका पर अधिवक्ता सीमांत सिंह को सुनकर दिया है। एडवोकेट सीमांत सिंह ने कोर्ट को बताया कि 28 दिसंबर 2013 को विज्ञापित टीजीटी सामाजिक विज्ञान के 720 पदों के लिए लिखित परीक्षा व साक्षात्कार के बाद गत 19 जून को अंतिम परिणाम घोषित किया गया।

लिखित परीक्षा के दो प्रश्नों के उत्तरों पर विवाद था, याचियों ने इस संबंध में आपत्ति भी दाखिल की थी लेकिन बोर्ड ने कोई कार्रवाई नहीं की। उसके बाद याचिका दाखिल की गई तो कोर्ट भी इस बाद पर सहमत थी कि एक प्रश्न पर बोर्ड का उत्तर सही नहीं है। इस प्रश्न में वोट देने के अधिकार का उत्तर मांगा गया था।

उत्तर के विकल्पों में पहला सामाजिक अधिकार, दूसरा व्यक्तिगत अधिकार, तीसरा संवैधानिक अधिकार और चौथा विधिक अधिकार था। एडवोकेट सीमांत सिंह ने अपनी बहस में कहा कि सु्प्रीम कोर्ट ने मताधिकार को विधिक अधिकार माना है और याचियों ने अपने उत्तर में इसी विकल्प को चुना लेकिन जब आंसर-की जारी हुई तो उसका उत्तर संवैधानिक अधिकार बताया गया।

उनका कहना था कि याची का चयन दो अंक से रुक गया और एक प्रश्न 3.4 अंक का था। यदि याची को सही उत्तर के अंक मिल जाते तो वह सफल हो जाता। कोर्ट ने याचिका में पक्षकार बनाए गए सात सफल अभ्यर्थियों को भी नोटिस जारी किया है।

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