यूपी में मक्का के क्षेत्रफल का आच्छादन सबसे अधिक है : सूर्य प्रताप शाही

देश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि हमारे प्रदेश में खरीफ मौसम में बोये जाने वाली मक्का के क्षेत्रफल का आच्छादन सबसे अधिक है, लेकिन इसकी उत्पादकता रबी मौसम में बोऐ जाने वाली मक्का से कम है।

Update:2019-07-20 19:17 IST
सूर्य प्रताप शाही की फ़ाइल फोटो

लखनऊ: प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि हमारे प्रदेश में खरीफ मौसम में बोये जाने वाली मक्का के क्षेत्रफल का आच्छादन सबसे अधिक है, लेकिन इसकी उत्पादकता रबी मौसम में बोऐ जाने वाली मक्का से कम है।

हमें खरीफ मौसम में बोये जाने वाली मक्का की उत्पादकता में वृद्धि के साथ-साथ रबी मौसम में उगायी जाने वाली मक्का के क्षेत्रफल में वृद्धि पर विचार करना होगा।

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कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कही ये बातें

उक्त बातें प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) की ओर से शनिवार को किसान मण्डी भवन में आयोजित 'उत्तर प्रदेश के कृषकों की आय बढ़ाने हेतु मक्का उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन की उन्नत तकनीकों का प्रोत्साहन' विषयक कार्यशाला में कही।

उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश में मक्का की खेती तीनों मौसमों खरीफ, रबी एवं जायद में की जाती है। वर्ष 2017-18 में प्रदेश में 7.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल पर मक्का की फसल की बोआई की गयी, जिससे 15.99 मिलियन टन उत्पादन प्राप्त हुआ तथा उत्पादकता 22.07 कुन्तल प्रति हेक्टेयर रही।

कृषि मंत्री ने कहा कि मक्का एक बहुउद्देशीय खाद्यान्न फसल है। मानव, पशुओं व मुर्गी के आहार, औद्योगिक उत्पादों एवं स्टार्च आदि के रूप में मक्का का उपयोग किया जाता है।

वर्ष 2018-19 के खाद्यान्न उत्पादन में उत्तर प्रदेश द्वारा बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की गयी है। प्रदेश द्वारा 59.4 मिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन किया गया तथा देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में प्रदेश ने 20 फीसदी से भी अधिक का योगदान किया है।

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यूपी के इन जिलों में उत्पादकता कम

उन्होंने प्रदेश में उत्पादकता के बारे में कहा कि प्रदेश के गोरखपुर, झांसी, ललितपुर, सोनभद्र, बस्ती, संतकबीरनगर, श्रावस्ती, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, अमेठी, बाराबंकी, सुल्तानपुर, खीरी, फैजाबाद, अम्बेडकर नगर, सिद्धार्थ नगर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, मिर्जापुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली एवं सीतापुर जनपदों की उत्पादकता प्रदेश औसत से कम है।

शाही ने कहा कि हमें कम उत्पादकता वाले जनपदों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है।

मक्का के मूल्य संर्वधन की जानकारी के अभाव में किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिल पाता है, इसके लिये व्यापक रूप से ब्लाक एवं जनपद स्तर पर प्रचार एवं प्रसार कार्यक्रमों को बढ़ावा दिये जाने की आवश्यकता है।

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किसान को अल्प समय में अच्छा मुनाफा

मक्का के अन्य प्रकारों में स्वीट कार्न, बेबी कार्न की खेती को प्रदेश में प्रचलित करने की आश्यकता है क्योंकि यह फसल कम समय में तैयार हो जाती है, जिससे किसान अल्प समय में ही अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं।

स्वीट कार्न एवं बेबी कार्न की मांग अंतराष्ट्रीय बाजार में भी अधिक है इसलिये इसकी खेती को बढ़ावा देकर विदेशी मुद्रा भण्डार को भी बढ़ाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा रबी 2018-19 में समस्त योजनाओं के अंतर्गत समस्त प्रकार के बीजों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान राज्य सेक्टर से दिये जाने का निर्णय लिया गया।

भारत सरकार की बीज ग्राम योजना अंतर्गत धान्य फसलों पर 25 प्रतिशत एवं दलहनी, तिलहनी फसलों पर 15 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान राज्य सेक्टर से दिया गया।

इस अवसर पर उपकार के अध्यक्ष सेवानृवित्त कैप्टन विकास गुप्ता, महानिदेशक उपकार डॉ. बिजेन्द्र सिंह, आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.जेएस संधू, आईआईसीआर व आईआईएमआर के निदेशक डॉ.सुजय रक्षित समेत प्रमुख लोग उपस्थित रहें।

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